- कम नहीं हो नशे का कारोबार, इस चैलेंज पर 7 व 8 अक्टूबर को दून में मंथन
- 12 वर्ष बाद उत्तराखंड पुलिस को मिला है 49वां एआईपीएससी के आयोजन का मौका
देहरादून, 4 अक्टूबर (ब्यूरो)। आगामी 7 और 8 अक्टूबर को दून के वन अनुसंधान संस्थान क्र(एफआरआईक्र) में 49वां अखिल भारतीय पुलिस कांग्रेस का आयोजन हो है। उत्तराखंड पुलिस के लिए यह दूसरा मौका है, जब पुलिस साइंस कांग्रेस के आयोजन का मौका मिल रहा है। इससे पहले उत्तराखंड पुलिस को 2011 में भी मेजबानी मिली थी। उस वक्त एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर मंथन हुआ था। उस वक्त जिस सब्जेक्ट पर चर्चा हुई, उसका एक्टिवेशन पूरा हो चुका है। जिलों में सेल काम कर रही है। गत वर्ष भोपाल में पुलिस साइंस कांग्रेस का आयोजन हुआ था। लेकिन, इस बार दून में जो पुलिस साइंस कांग्रेस हो रही है, उसमें नारकोटिक्स पर फोकस रहेगा। इसके अलावा ड्रग्स माफिया पर पूरे देश में एक साथ कड़ी कार्रवाई किस प्रकार की जाए, इस बारे में गहन मंथन होने की बात कही जा रही है।
ये होंगे शामिल
-देशभर के पुलिस ऑफिसर
-पैरामिलिट्री फोर्सेस के ऑफिसर
-एजुकेशनिस्ट
-रिसर्चर्स
-सोशल साइंटिस्ट
-फॉरेंसिक साइंटिस्ट
-न्यायविद
-स्टेक होल्डर्स
ड्रग्स माफिया कानेटवर्क ध्वस्त करने पर जोर
बताया गया है कि इस आयोजन में देशभर के पुलिस अधिकारियों के अलावा पैरामिलिट्री फोर्सेस और पुलिस के एकेडमिक इंस्टीट्यूशंस में एफएसएल आदि शामिल होंगे। उत्तराख्ंाड के डीजीपी अशोक कुमार के अनुसार ड्रग्स माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए ऐसे लोगों के फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर कड़ी नजर रखना जरूरी है। इस पर थी साइंस कांग्रेस में विचार मंथन होगा। डीजीपी के मुताबिक एफएसएल के फास्टली रिजल्ट ओरिएंटेड लैब में कन्वर्ट करने के लिए टेक्नीकल आइडियाज पर भी विचार होगा, जिससे क्रिमिनल्स पर मजबूत शिकंजा कसा जा सके।
1960 में हुई थी शुरुआत
ऑल इंडिया पुलिस साइंस कांग्रेस का आयोजन दून के आईसीएफआरई क्र(भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षाक्र) में होगा। पुलिस साइंस कांग्रेस की शुरुआत पहली बार 1960 में बिहार से हुई थी। तब से लेकर अब तक 48 बार देश के तमाम राज्यों में कार्यक्रम आयोजित हो चुका है। दून में हो रहे इस आयोजन के दौरान टेक्नीकल एग्जिबिशन का भी आयोजन होगा, जिसके लिए स्कूल व कॉलेजों के स्टूडेंट्स को भी इनवाइट किया गया है।
दून समेत राज्य को मिलेगा लाभ
जानकारों के अनुसार दून में आयोजित हो रही पुलिस साइंस कांग्रेस में होने वाले मंथन का असर उत्तराखंड समेत नशे के जाल में फंसते जा रहे राज्यों पर भी पड़ेगा। उत्तराखंड में नशे का कारोबार लगातार फल फूल रहा है। जबकि, पुलिस लगातार ऐसे अपराधियों की धरपकड़ करते आ रही है, फिर भी इस पर रोक नहीं लग पा रही है। राज्य में यूपी से लेकर दूसरे राज्यों और नेपाल तक से नशे की लगातार सप्लाई हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा दून, हरिद्वार, नैनीताल व उधमसिंहनगर जिले इफेक्टेड हैं। दून में तो 8 महीनों के भीतर 3.92 करोड़ का नशा बरामद किया जा चुका है। जबकि, 219 केस दर्ज हुए और 246 आरोपी पकड़े जा चुके हैं।
नशे के खिलाफ 8 माह में पुलिस एक्शन
केस दर्ज
देहरादून--219
उत्तरकाशी---17
टिहरी---25
चमोली--8
रुद्रप्रयाग--4
पौड़ी--32
हरिद्वार--174
अल्मोड़ा--23
बागेश्वर--13
पिथौरागढ़--15
चंपावत--45
नैनीताल--123
यूएसनगर--166
जीआरपी--2
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कुल--866
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आरोपी अरेस्ट
देहरादून--246
उत्तरकाशी---35
टिहरी---58
चमोली--10
रुद्रप्रयाग--4
पौड़ी--40
हरिद्वार--244
अल्मोड़ा--37
बागेश्वर--22
पिथौगगढ़ --18
चंपावत--59
नैनीताल--158
यूएसनगर--267
जीआरपी--2
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कुल--1200
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नशे की बरामदगी
चरस--154.5
स्मैक--14.30
डोडा अफीम--154.5
गांजा---860
अफीम--22.05
क्र(मात्रा--किग्रा में।क्र)
प्रतिबंधित दवाओं की बरामदगी
नशीली गोली--615498
नशीले कैप्सूल--162568
नशीले इंजेक्शन--9143
बरामद नशीले पदार्थों की कीमत (रुपये में)
उत्तरकाशी---1474540