- स्मार्ट सिटी को 10 बसों के संचालन में 18 माह में हुआ 4 करोड़ रूपये का घाटा
देहरादून, ब्यूरो: इस अवधि में स्मार्ट सिटी ने इलेक्ट्रिक बसों का संचालन कर रही ट्रांस कंपनी लिमिटेड को किलोमीटर के हिसाब से 5.06 करोड़ रूपये का भुगतान किया है। इसके अलावा उत्तराखंड परिवहन निगम के परिचालकों को उक्त अवधि में 63.46 लाख रूपये अलग दिए गए हैं। बताया गया कि दस में 5 बसों का संचालन 21 फरवरी 2021 से शुरु हुआ, जबकि 5 बसें जून 2021 से रुट पर चलनी शुरु की गई। आरटीआई में करीब 4 करोड़ रूपये के घाटे की बात सामने आ रही है।
मूल निवासियों का रोजगार छीन बाहरी कंपनियों को संरक्षण
देहरादून महानगर सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता विजय वर्धन डंडरियाल ने आरोप लगाया कि सरकार मूल निवासियों का रोजगार छीनकर बाहरी कंपनियों को संरक्षण देने का काम कर रही है। कहा कि जब सरकार घाटा ही सहन कर रही है, तो इलेक्ट्रिक बसों को देहरादून से मूसरी, हरिद्वार, ऋषिकेश रुट पर चलाया जाए। इससे सरकार का घाटा भी कम होगा और सिटी बसों के वाहन स्वामियों का रोजगार छिनने से बचाया जा सकेगा। 30 बसों में यह घाटा 100 करोड़ कर जाएगा पार
सिटी बसें हो जाएंगी समाप्त
विजय वर्धन डंडरियाल का कहना है कि स्मार्ट सिटी को 10 बसों से 4 करोड़ से अधिक का घाटा हो रहा है। स्मार्ट सिटी आने वाले समय में 30 बसों के संचालन की बात रही है। उनका कहना है कि जब 10 बसों के संचालन में 4 करोड़ का घाटा हो रहा है, तो 30 बसों के संचालन में घाटा 100 करोड़ तक पहुंच जाएगा। सरकार सिटी बसों को समाप्त करने की साजिश कर रही है। उनका कहना है कि शुरूआत में इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल देहरादून से मसूरी और हल्द्वानी से नैनीताल रुट पर किया गया था। कहा कि इन्हीं रुटों पर इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाए। इलेक्ट्रिक बसें देहरादून में चलाकर सरकार मूल निवासियों का रोजगार छीन रही है।
इलेक्ट्रिक बसों का संचालन घाटे और मुनाफे के लिए नहीं किया गया। कार्बन फुट प्रिंट को कम कर पर्यावरण को शुद्ध रखने की चुनौती की दिशा में देशभर में यह कदम उठाया गया है। सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें भविष्य की जरुरत है, इसे घाटे और मुनाफे के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
प्रेरणा ध्यानी, पीआरओ, स्मार्ट सिटी परियोजना, देहरादून