उत्तराखंड के 436 पुल खतरनाक

गुजरात में मोरबी में हुए झूला पुल हादसे के बाद उत्तराखंड में भी उन पुलों की याद आ गई है, जो कई साल पहले पुराने और असुरक्षित पुलों के रूप में चिन्हित किये गये थे, लेकिन आज भी उन पर आवाजाही बदस्तूर जारी है। पीडब्ल्यूडी ने ऐसे 236 पुलों की पहचान की थी। पिछले कुछ वर्षों में इनकी संख्या में कुछ और इजाफा हो गया होगा।

देहरादून (ब्यूरो)। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में झूला पुलों की भरमार है। इनमें कुछ पुल मोटर मार्ग के रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं तो कुछ केवल पैदल चलने के लिए। सैकड़ों झूला पुलों की इस श्रृंखला की शुरुआत ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला पुल से मानी जा सकती है। लक्ष्मण झूला 135 वर्ष पुराना है। बीच के दौर में इसकी मरम्मत भी हुई। इस पुल से पैदल चलने वालों के अलावा दो पहिया वाहनों की भी आवाजाही होती थी। 2019 में सपोर्टिंग वायर क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद से इस पुल पर दो पहिया वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई है।

झूला पुल पहाड़ों की लाइफ लाइन
पहाड़ों की नदियों पर झूला पुलों का निर्माण अंग्रेजों के जमाने से ही शुरू हो चुका था। इन नदियों पर झूला पुल बनने से पहले झूला हुआ करते थे। झूला रस्सियों से बनते थे। दो रस्सियां पैर टिकाने के लिए और दोनों तरफ पकडऩे के लिए रस्सियां होती थी। पैरों का बैलेंस बनाकर और दोनों हाथों से दोनों तरफ की रस्सियां पकड़कर नदी पार करनी होती थी। करीब 80 वर्ष पहले तक पहाड़ों में इन झूलों का इस्तेमाल किया जाता रहा। बात भी जहां-जहां ये झूले लगे थे, वहां झूला पुल बनाये गये। इनमें से ज्यादातर पुल अब भी हैं।

नये पुल बनाने के प्रस्ताव शासन में
पूर्व में उत्तराखंड में सभी पुराने और जर्जर हो चुके पुलों की पहचान की गई थी। पीडब्ल्यूडी ने यह काम किया था। कुल 436 पुलों की पहचान की गई थी, जिन्हें या तो मरम्मत की जरूरत थी या उनकी जगह नये पुल बनाये जाने थे। इनमें 207 पुल स्टेट हाइवे पर, 65 जिला मार्गों पर, 60 अन्य मार्गों पर और 104 ग्रामीण मार्गों पर हैं। पीडब्ल्यूडी ने इन पुलों की मरम्मत करने या इनकी जगह नये पुल बनाने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया था, लेकिन उसके बाद से शासन इस प्रस्ताव पर कुंडली मारे बैठा है।

पुलिस हुई सचेत
436 पुलों की मरम्मत या नये पुल बनाने वाले प्रस्ताव में शासन बेशक गुजरात की घटना के बाद भी न जागा हो, लेकिन फिलहाल पुलिस विभाग इस पर सक्रिय हुआ है। डीजीपी अशोक कुमार की ओर से इस बारे में सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं। इन निर्देशों में कहा गया है कि पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट और अन्य माध्यमों से सभी जिलों में जर्जर और असुरक्षित हो चुके पुलों पर किसी भी हाल में आवाजाही बंद कर दी जाए।

कई क्षेत्र कट जाएंगे
जर्जर और असुरक्षित पुलों पर यदि पुलिस वास्तव में आवाजाही रोक देती है कि पहाड़ के कई इलाके पूरी तरह अलग-थलग पड़ जाएंगे। दरअसल राज्य में दर्जनों ऐसे मोटर मार्ग हैं, जिन पर बने पुल जर्जर स्थिति में हैं। ऐसे में इन पुलों पर आवाजाही बंद होने का सीधा अर्थ है, ऐसे क्षेत्रों में आवाजाही पूरी तरह से बंद हो जाना। फिलहाल इन पुलों की मरम्मत या इनकी जगह नये पुल बनाने की कोई योजना सरकार के पास नहीं है। इसके लिए बड़ी धनराशि की भी जरूरत होगी।
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हम समय-समय पर पुलों का सेफ्टी ऑडिट करवाते हैं। सेफ्टी ऑडिट पर ही लक्ष्मण झूला पुल बंद करवाया गया। फिलहाल 436 पुलों की रिपोर्ट है। वित्तीय उपलब्धता और पुलों के महत्व व स्थिति को देखते हुए उन्हें चरणबद्ध तरीके से बदला जाएगा।
आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव
पीडब्ल्यूडी