- एक दशक पुरानी कालोनियों में भी नहीं है पाइपलाइन
- लाखों खर्च कर प्यास बुझा रहे नगर निगम के आउटर वाले इलाके
देहरादून (ब्यूरो): कई इलाकों में वाटर लेबल बहुत नीचे हैं उन इलाकों ढाई से तीन लाख रुपये खर्च करना पड़ रहा है। एक आम आदमी के लिए यह रकम काफी अधिक है। लोग लगातार मांग कर रहे हैं कि उनके क्षेत्र में पाइपलाइन बिछाई जाए। 8 से 10 हजार के पेयजल कनेक्शन के पब्लिक को तीन-तीन लाख रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है। मकान बनाने से ज्यादा पसीना लोगों को पानी के लिए करना पड़ता है। यह स्थिति राजधानी दून के नगर निगम क्षेत्र की है, जहां 24 घंटे सरकार घूमती रहती है। वहां भी लोगों को पानी के लिए लाखों रुपये चुकाने पड़ रहे हैं।
4 लाख को इंतजार
सरकारी नल जिन इलाकों तक नहीं पहुंचा है वहां के लोग पानी तो पी रहे हैैं, लेकिन लाखों रुपये खर्च करके। एक-एक परिवार को एक लाख से लेकर ढ़ाई लाख रुपए तक पानी की बोरिंग पर खर्च करने के लिए मजबूर है। शहर में ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि कई दर्जन इलाके हैैं। ऐसा नहीं है कि ये इलाके एक-दो साल पहले बसे होंगे। कई इलाके ऐसे हैं जिन्हें बसे हुए 10 से 15 साल हो गए हैं।
12 लाख है शहर की आबादी
दून सिटी में 100 वार्ड हैं। इसमें से 40 वार्ड पुराने हैं, जबकि 60 नए वार्ड बने हैं। सिटी के सभी वार्डों की अनुमानित आबादी 12 लाख से ज्यादा है। इसमें से करीब एक चौथाई एरिया सरकारी पेयजल लाइन से नहीं जुड़ा है। जल संस्थान के इंजीनियर यहां तक नहीं पहुंच पाए हैैं। नगर निगम के आउटर के सभी नए वार्डो के नए बसे अधिकांश कालोनियों में बोरिंग पर निर्भर है।
इन कालोनियों में पाइपलाइन
सहस्रधारा
नथुवावाला
रायपुर
लोअर नेहरू ग्राम
बालावाला
बिष्ट मोहल्ला
घोड़ा फैक्ट्री कॉलोनी
नकरौंदा
शिव शक्ति कॉलोनी
आनंद विहार
देवीपुरा
बद्रीपुर विहार
बद्री-केदार एन्क्लेव
शांति कुंज
गुरुनानक नगर
एक किमी लाइन बिछानी छोड़ दी
वार्ड 99 के नकरौंदा में जीरो प्वाइंट तक तीन साल पहले पानी की नई मेन लाइन बिछाई गई। इसके बाद करीब एक किलोमीटर एरिया को छोड़ दिया गया। क्षेत्रवासियों का कहना है कि लगातार कहने के बाद भी पेयजल लाइन नहीं बिछाई गई। 700 से लेकर 1000 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से बोरिंग की जा रही है। अमूमन 100 से 200 फुट तक पानी अच्छा मिल जाती है, राजपुर और सहस्रधारा जैसे कई इलाकों मेंं 400 से लेकर 500 फुट तक पानी नहीं मिल पा रहा है।
1.64 लाख कंज्यूमर्स हैं सिटी में
सिटी की कुल आबादी 12 लाख के करीब है, लेकिन पेयजल कंज्यूमर्स की संख्या 1.64 लाख है। यदि छूटे इलाकों में भी पेयजल लाइन बिछाई जाए, तो सिटी में कंज्यूमर्स की संख्या दो से ढ़ाई लाख तक हो जाएगी। इससे सरकार को बड़ा राजस्व मिल सकता है।
ये 4 डिविजन करा रहे वाटर सप्लाई
डिविजन का नाम कंज्यूमर्स की संख्या
साउथ 49610
नॉर्थ 36142
रायपुर 42276
पित्थूवाला 32348
क्या कहती है पब्लिक
- शिव शक्ति कालोनी निवासी दीप उपाध्या का कहना है कि हमे मकान बनाए 30 साल से अधिक हो गया है हम तब से बोरिंग का पानी पी रहे हैं। आज आस-पास सैकड़ों मकान बन गए, तभी भी लोग बोरिंग का पानी को मजबूर हैं।
- बद्री केदार एन्क्लेव बिष्ट मोहल्ला निवासी देवेंद्र कुमार का कहना है कि 12 साल पहले मकान बनाया था, तब से क्षेत्र के लोग पानी की लाइन बिछाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक समस्या जस की तस बनी हुई है।
- आनंद विहार निवासी सुमित्रा देवी का कहना है कि शहर में आम पब्लिक का नहीं बिल्डरों का विकास हो रहा है। बिल्डर कॉलोनियां काटकर बेच रहे हैं। बाद में सुविधाएं जुटाने के लिए पब्लिक को एडिय़ां रगडऩी पड़ती हैं। कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगाई है, लेकिन आज तक पानी की पाइप लाइन नहीं बिछी।
पेयजल लाइन बिछाने का काम जल निगम का है। पेयजल योजनाएं बन जाने के बाद जल संस्थान को हैंडओवर हो जाती है। शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है। एक साथ पानी की लाइन बिछाना संभव नहीं है। कई क्षेत्रों के प्रपोजल शासन को भेजे गए हैं। बजट उपलब्ध होते ही पेयजल लाइन बिछाई जाएगी।
नीलिमा गर्ग, सीजीएम, उत्तराखंड जल संस्थान
शहर पर एक नजर
12 लाख के लगभग है शहर की आबादी
1.64 लाख कंज्यूमर्स से सिटी में
04 आबादी को है पाइपलाइन का इंताजार
1000 रुपये प्रति मीटर बोरिंग का खर्च
15 साल पुरानी कालोनियां भी बोरिंग भरोस
100 वार्ड है दून नगर निगम में
40 आउटर एरिया जुड़े नगर निगम से
2.50 लाख रुपये तक खर्च कर रहे बोरिंग पर
500 फीट तक होती है कई क्षेत्रों में बोरिंग
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