देहरादून (ब्यूरो)। हर साल अक्टूबर से अप्रैल के पहले सप्ताह तक आसन नमभूमि में प्रवास करने वाले परिंदों की संख्या में इजाफा होने से झील में कलरव बढ़ गया है। वर्तमान में ग्रेट कारमोरेंट, व्हाइट ब्रिस्टेड वेटरन, कॉमन मोरहन, पर्पल सेमफेन, कॉमन कूट, ब्लैक विंटड, स्टिप, रीवर लेपविंग, रेड वेटल्ड लेपविंग, ब्राउन हर्टेड गल, गेटर कोकिल, इंडियन ग्रे हार्नबिल, कामन किंगफिशर, पाइड किंग फिशर, स्टार्क बिल्ड किंगफिशर, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, नोब बिल्ड डक, रुडी शेलडक, गैडवाल, यूरोशियन विजन, मलार्ड, इंडियन स्पाट बिल्ड डक, नार्दन शावलर, नार्दन पिनटेल, कामन टील, रेड क्रस्टड पोचार्ड, कामन पोचार्ड, फेरीजिनियस, टफ्टड डक, लिटिल ग्रेब, पेंटेड स्टार्क, वूली रुचिड स्टार्क, रेड नेफ्ड आइबीज, ग्लैसी आइबीज, ब्लैक नाइड हेरोन, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, ग्रेट इग्रेट, इंडियन कोरमोरेंट समेत 39 प्रजातियों के परिंदे प्रवास पर पहुंच चुके हैं। जबकि प्रजातियों की संख्या बढ़कर पचास से साठ के बीच में होने की उम्मीद जताई जा रही है। आसन रेंजर राजेंद्र सिंह हिंग्वाण व वन दारोगा प्रदीप सक्सेना के अनुसार प्रवासी परिंदों की सुरक्षा को वन कर्मियों की टीम रात दिन गश्त कर रही हैं।