- किसानों को सगंध फसलों की खेती के लिए करेंगे प्रोत्साहित
- सिनामन लीव्स के प्रोडक्शन में उत्तराखंड बनेगा अग्रणी
देहरादून, 30जुलाई (ब्यूरो)। कृषि मंत्री के अनुसार मिशन दालचीनी के अंतर्गत पहले चरण में जनपद चम्पावत और नैनीताल में इसकी शुरुआत कृषि वानिकी के रूप की जाएगी। इस फसल के प्रचार-प्रसार, तकनीकी प्रशिक्षण, प्रसंस्करण व बाजार के लिए खतेड़ा (चम्पावत) सिनामन सेटेलाइट सेन्टर के रूप में कैप द्वारा विकसित किया जा रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से सगंध फसलों के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। पारंपरिक फसलों को जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने के कारण किसानों द्वारा जो कृषि भूमि छोड़ दी गई है। कहा, हमारा प्रयास है कि उस पर सगंध फसलों की खेती शुरू कर किसान अपनी आजीविका बढ़ा सके।
दालचीनी से आय बढ़ेगी
मंत्री के अनुसार भविष्य में दालचीनी व सिनामन की पत्तियों के प्रोडक्शन में उत्तराखंड महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कारण, अभी तक दालचीनी का उत्पादन दक्षिण भारत में किया जा रहा है। हमारे किसानों द्वारा इसकी केवल पत्तियां ही बाजार में बेची जा रही हैं। मंत्री ने कहा कैप के वैज्ञानिकों द्वारा सिनामन की एक नई लाइन, जिसकी छाल की गुणवत्ता दालचीनी के समान है, का कृषिकरण कराया जा रहा है। जो कि उत्तराखंड दालचीनी के नाम से बाजार में अपनी एक अलग पहचान बना सकेगी। कहा, वर्तमान में तिमूर बीज की आपूर्ति नेपाल से की जा रही है। जबकि, उत्तराखंड की जलवायु इसके कृषिकरण के लिए अनुकूल है। प्रथम चरण में पिथौरागढ में इसकी रोपाई की जायेगी। राज्य में इस वर्ष 250 हेक्टेअर क्षेत्रफल में लैमनग्रास की खेती का लक्ष्य रखा गया है। जिसे निशुल्क पौध योजना व मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्राप्त किया जाएगा।
इन जिलों के लिए भेजी पौध
चंपावत के ग्राम - पडासेरा, सिरमोली, डिंडा
पिथारागढ के ग्राम - खुमती, बूगांछीना
टिहरी के ग्राम - भटोली
पौडी के ग्राम- जेठागॉव, ग्वीलगॉव
अल्मोड़ा के ग्राम - भुकना
दून के ग्राम - कोटा, डिमाऊ
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