देहरादून,(ब्यूरो ): बहुउद्देशीय सौंग डैम प्रोजेक्ट के लिए खलंगा में बनाए जा रहे जल शोधन संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) व पेयजल लाइन निर्माण कार्य के लिए अब अन्यत्र भूमि चयनित की जाएगी। स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों के पेड़ कटान का विरोध करने के बाद यह निर्णय लिया है। अब परियोजना के लिए आसपास भूमि का चयन कर नए सिरे से प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। ट्यूजडे को खलंगा पहुंचे क्षेत्रीय विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी प्रोजेक्ट को पर्यावरण के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि खलंगा में सैकड़ों पेड़ों को काटकर वाटर प्रोजेक्ट को बनाना उचित नहीं है। उन्होंने पेयजल निगम के अफसरों को निर्देश देते हुए इस प्रोजेक्ट को दूसरी जगह शिफ्ट करने को कहा है।

चीफ इंजीनियर को लिखा लेटर
सौंग डैम प्रोजेक्ट सिंचाई विभाग के जीएम प्रशांत विश्नोई ने पेयजल निगम के मुख्य अभियंता गढ़वाल को इस संबंध में पत्र लिखा है, जिसमें कहा कि केंद्रीय भंडारण शाखा, प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (अमृत) की ओर से प्रस्तावित सौंग बांध पेयजल परियोजना के लिए 150 एमएलडी जल शोधन संयंत्र व जल वितरण प्रणाली का निर्माण किया जाना है। इसके लिए बीते फरवरी में 422.32 करोड़ भी स्वीकृत कर दिए गए हैं। कुल 130.60 मीटर ऊंचे बांध और 14.70 किमी लंबे जल संवाहक प्रणाली के लिए टेंडर भी निकाले जा चुके हैं। प्रोजेक्ट के निर्माण से करीब 1800 पेड़ काटे जाने प्रस्तावित थे।

प्रोजेक्ट पर एक नजर
130.60
मीटर ऊंचा डैम बनना है सौंग नदी में
1800
पेड़ों को काटा जाना था प्रोजेक्ट के लिए
150
एमएलडी का प्रस्तावित है डब्ल्यूटीपी
05
हेक्टेयर वन भूमि पर बन रहा था प्रोजेक्ट
422.32
करोड स्वीकृत किए गए वाटर प्रोजेक्ट के लिए
14.70
किमी लंबे जल संवाहक प्रणाली के लिए टेंडर हो चुके जारी

5 हेक्टेयर वन भूमि पर निर्माण
पेयजल निगम की ओर से 150 एमएलडी जल शोधन संयंत्र के लिए करीब पांच हेक्टेयर वन भूमि खलंगा वार मेमोरियल के पास चयनित की गई। निर्माण कार्य के लिए साल के पेड़ों का कटान भी किया जाना है। जिसका क्षेत्रवासी और विभिन्न संगठन विरोध कर रहे हैं।

विधायक बोले, दूसरी जगह तलाशें
ट्यूजडे को क्षेत्रीय विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी साल के पेड़ों को बचाने और पर्यावरण की महत्ता को ध्यान में रखने के निर्देश दिए। विधायक ने कहा कि खलंगा में वाटर प्रोजेक्ट नहीं बनेगा। इसके लिए जल आस-पास कहीं निजी भूमि चयन के लिए पेयजल निगम के अफसरों को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पेड़ और पर्यावरण की कीमत पर प्रोजेक्ट को नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए ऐसी भूमि तलाश की जाए, जहां पेड़ न कटे और कटे भी तो कम से कम पेड़ कटे, जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

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