देहरादून (ब्यूरो) बारिश, बाढ़, भूस्खलन और अतिवृष्टि ने इस बार सबसे अधिक क्षति देहरादून को पहुंचाई है। शहर के आउटर इलाकों में योजनाएं नदी-नालों में बह गई। दून में अब तक 322 योजनाएं बारिश की भेंट चढ़ चुकी हैं। अधिकांश योजनाओं को अस्थाई तौर पर वैकल्पिक तरीके से चलाया जा रहा है। जिससे पानी की आपूर्ति पूरी नहीं हो पा रही है। जगह-जगह से पेयजल लाइनें लीकेज हैं। पीने का अधिकांश पानी लीकेज के चलते बेकार जा रहा है। स्थिति यह है कि कई योजनाओं की पाइपलाइनें 500 मीटर से लेकर 2 किमी से अधिक बह गई है।

केदारनाथ में भी भारी नुकसान
अतिवृष्टि से केदारनाथ में सोनप्रयाग, गौरीकुंड, जंगलचट्टी, भीमबली और लिनचोली में कई स्थानों पेयजल लाइनें, इंटैक चैंबर, टीटीएसपी, पीटीएसपी, चरही और गर्म पानी के संयंत्र क्षतिग्रस्त हुए हैं। जीएमवीएन के बेस कैंप और केदारनाथ धाम में अस्थाई तौर पर पेयजल आपूर्ति शुरू कर दी गई है। जबकि अन्य जगहों पर आपूर्ति बहाल करने के प्रयास जारी है।


अब तक 42.76 करोड़ का नुकसान
मानसून ने शुरुआत से ही कहर बरपाना शुरू कर दिया था। अब तक बारिश ने प्रदेशभर में भारी नुकसान पहुंचाया है। पिछले दो माह में पेयजल योजनाओं को बाढ़, भूस्खलन और अतिवृष्टि से करोड़ों की क्षति हुई है। योजनाओं के स्थाई मरम्मत के लिए जल संस्थान को करीब 42 करोड़ की जरूरत बताई जा रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानसून ने किस कदर पेयजल योजनाओं को कितनी बड़ी क्षति पहुंचाई है। कई योजनाएं बाढ़ के साथ बह गई है। बरसात के दौरा भी प्रभावित लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि विभाग का दावा कि संबंधित क्षेत्रों में पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करके पेयजल आपूर्ति की जा रही है।

गढ़वाल में सबसे ज्यादा नुकसान
पेयजल विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक पेयजल योजनाओं को सबसे ज्यादा नुकसान गढ़वाल क्षेत्र में हुआ है। गढ़वाल क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान दून में हुआ है। सीजन में अभी तक 1387 पेयजल योजनाएं जगह-जगह पर क्षतिग्रस्त हुई है, इसमें से अकेले दून में 322 योजनाएं शामिल हैं। ज्यादातर स्कीम दून के आउटर व दुर्गम इलाकों की है।

अस्थाई तौर पर आपूर्ति शुरू
जल संस्थान के सचिव अप्रैजल मनीष सेमवाल ने बताया कि इस बार मानसून में पेयजल योजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है। जगह-जगह से पेयजल योजनाएं टूट-फूट गई है। 1300 से अधिक पेयजल योजनाएं बारिश के कारण प्रभावित हैं। इसमें कई निर्माणाधीन योजनाएं भी शामिल हैं। फिलहाल मरम्मत करके अस्थाई तौर योजनाओं से आपूर्ति सुचारू की गई है, लेकिन योजनाओं के स्थाई मेंटेनेंस के बाद ही नियमित व पर्याप्त आपूर्ति हो पाएगी। इसके लिए शासन से बजट की डिमांड भेज दी गई है। बजट मिलते ही योजनाओं की स्थाई मरम्मत का कार्य शुरू किया जाएगा।

पेयजल योजनाओं को बारिश के कारण भारी क्षति पहुंची है, जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हैं। क्षतिग्रस्त योजनाओं की अस्थाई मरम्मत कर जलापूर्ति सुचारू रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्थाई मरम्मत के लिए बजट के प्रस्ताव डिविजनों के स्तर से जिलाधिकारियों को भेजे जा रहे हैं।
नीलिमा गर्ग, सीजीएम, उत्तराखंड जल संस्थान

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