देहरादून (ब्यूरो) नगर निगम में हैरत करने वाला यह मामला जो भी सुन रहा है वह दांतों तले अंगुली दबा रहा है। पत्रावलियों के गायब होने का सिलसिला वर्ष 1989 से शुरू हुआ, जो निरंतर चलता आ रहा है। 33 साल में 13743 अभिलेख गायब हुए। सालाना एवरेज लगाया जाए तो हर साल करीब 416 फाइलें गायब हुई हैं। सबसे ज्यादा फाइलें 1995 में 1071 फाइलें गायब हुई है।

अंतरिम लिस्ट में 15009 फाइलें गुम
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने आरटीआई की अपील की सुनवाई के दौरान फाइलों के गायब होने की शिकायत को गंभीरता से लिया। उन्होंने मुख्य नगर आयुक्त से अब तक के सारे रिकॉर्ड तलब किए, जिसमें पता चला कि 2015 तक 15009 पत्रावलियां गायब हैं। आयोग ने फाइनल लिस्ट मांगी, तो निगम ने 2022 तक 13743 फाइलों के गायब होने की सूची उपलब्ध कराई।

जमीनों के खुर्द-बुर्द की आशंका
दून नगर निगम अभिलेखागार में इतनी बड़ी संख्या में फाइलों के गायब होने के पीछे किसी बड़े महाघोटाले की आशंका जताई जा रही है। जमीनों के खुर्द बुर्द करने को लेकर निगम पर हमेशा से आरोप लगते आए हैं। बीच-बीच में पत्रावलियों के गायब होने की सूचना भी आती रही हैं। लेकिन राज्य सूचना आयोग के डंडे के बाद जो तथ्य सामने आया है, उसने पूरे नगर निगम की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। जानकारों की मानें तो गायब पत्रावलियों में जमीन और अन्य संपत्तियों के हस्तांतरण में बड़े पैमाने पर घपला किया गया है और सबूत मिटाने के लिए सबूत गायब किए गए हैं। इसमें कम से कम 1000 करोड़ की हेराफेरी का अंदेशा जताया जा रहा है। अधिक इनकी जांच की भी मांग की जा रही है कि गायब हुई पत्रावलियां किससे संबंधित है।

फाइलों की सुरक्षा में चूक क्यों
बड़ी संख्या में अभिलेखागार से फाइलें गायब हैं और नगर निगम प्रशासन को इसकी कोई खबर नहीं है। ये कैसे संभव हो सकता है। मामले में नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों की मिलीभगत जताई जा रही है। यह बात भी सामने आ रही है कि इसमें कोई बड़ा गैंग भी शामिल हो सकता है। जो कर्मचारियों और अफसरों की शह पर फाइलें गायब कर रहे हैं। इसकी बारीकी से जांच करने पर कई बड़े अफसरों के नपने की चर्चाएं हैं। मुख्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चिंता जताई कि पत्रावलियों और अभिलेखों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह व्यवस्था न होना इसका प्रमाण है। आयोग ने निगम के इंटरनल सिस्टम पर सवाल उठाते हुए प्रकरण को कार्रवाई लिए शासन को भेज दिया है।

एक नजर में
- 13743 फाइलें हो गई है नगर निगम से 33 साल में गुम
-1989 से लगातार गायब हो रही फाइलें
- 416 पत्रावलियों औसतमन हो रही गायब
- 1000 करोड़ से अधिक घपले की जताई जा रही आशंका

आरटीआई अपील की पड़ताल के दौरान नगर निगम में अभिलेखों और पत्रावलियों के बड़े स्तर पर गायब होने का खुलासा हुआ है। निगम से हजारों फाइलें गायब बहुत ही गंभीर विषय है। इस पर कार्रवाई के लिए प्रकरण शासन को भेज दिया गया है।
योगेश भट्ट, कमिश्नर, राज्य सूचना आयोग, उत्तराखंड
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