- गैस सिलेंडर में आग लगने पर गैस कंपनी को करनी होती है नुकसान की भरपाई
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देहरादून। शायद ही कस्टमर्स को इस बात की जानकारी हो कि घरेलू गैस सिलेंडर का कनेक्शन लेते ही वो दस लाख के बीमा के हकदार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में सिलेंडर में आग लगने पर हुए नुकसान की भरपाई तेल कंपनियां करती हैं बशर्ते इसके लिए उस सिलेंडर का इस्तेमाल तेल कंपनी के नियम-कानूनों के अनुसार किया जा रहा हो।
एजेंसी देती है प्रीमियम राशि
दरअसल, आगजनी के लिहाज से गैस सिलेंडर का उपयोग बेहद सेंसेटिव होता है। सिलेंडर के उपयोग में जरा सी लापरवाही कभी भी बड़ी घटना का कारण बन सकती है। इसी को देखते हुए तेल कंपनियों ने एजेंसी संचालकों के लिए गाइड लाइन तय की है। जिसके तहत एजेंसी संचालकों को अपने कार्यालयों के अलावा गोदाम और कस्टमर्स का बीमा करना होता है। इसकी सालाना प्रीमियम राशि तेल कंपनियां एजेंसी से ही वसूल करती करती है। यह राशि उस एजेंसी से जुड़े कस्टमर्स की संख्या पर निर्भर करती है।
हर कस्टमर का दस लाख का बीमा
तेल कंपनियों द्वारा कराए गए इस बीमा में कस्टमर थर्ड पार्टी होते हैं, लेकिन उन्हें भी इस बीमा का फायदा मिल सकता है। सिलेंडर में आग लगने पर हुए नुकसान पर कस्टमर दस लाख रुपए तक क्लेम कर सकता है। इसके लिए कस्टमर को एजेंसी के माध्यम से ही तेल कंपनियों को आवेदन करना होता है। जिसके बाद तेल कंपनियों के प्रतिनिधि मौके का सर्वे करने के बाद बीमा राशि तय करते हैं और इसे एजेंसी के माध्यम से कस्टमर्स को दिया जाता है।
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'सिलेंडर में आग लगने पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए कस्टमर को एजेंसी में सूचना देनी होगी। जिसके बाद तेल कंपनियों के एक्सपर्ट आग के कारणों की जांच पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट देंगे। इसी रिपोर्ट के आधार पर कस्टमर को बीमा की राशि दी जाती है।
चमन लाल, अध्यक्ष, उत्तराखंड एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन
'हर उस कस्टमर का बीमा होता है, जो एजेंसी में रजिस्टर्ड होता है। सिलेंडर में आग लगने पर हुए नुकसान की भरपाई कस्टमर को बीमा के माध्यम से की जाती है.'
स्वराज मेहता, स्वराज गैस एजेंसी चकराता रोड
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कस्टमर्स को मिलने वाली बीमा राशि में एजेंसी कर्मचारियों की गलतियां रोड़ा बनती है। तेल कंपनियों की गाइड लाइन के अनुसार साफ है कि एजेंसी कर्मचारियों को साल में दो बार कस्टमर के घर पहुंचकर गैस सिलेंडर और चूल्हे की जांच पड़ताल करनी पड़ेगी। किसी भी तरह की कमी पाए जाने पर उसे तत्काल दूर किया जाएगा ताकि आगजनी की घटनाओं को रोका जा सके। लेकिन एजेंसी कर्मचारी शायद ही ऐसा करते हों। जिसका नतीजा आगजनी के तौर पर सामने आता है। ऐसे में यदि कोई बीमा की रकम के लिए आवेदन करता है तो तेल कंपनियों के एक्सपर्ट आगजनी की घटना की जांच पड़ताल के दौरान उन गलतियों को पकड़ लेते हैं, जो कस्टमर्स द्वारा गलती में की जाती हैं।
आईएसआई मार्क इक्विपमेंट करें इस्तेमाल
तेल कंपनी की तरफ से सिलेंडर में आग लगने पर बीमा राशि नहीं देने के पीछे सबसे बड़ा कारण कस्टमर्स की तरफ से यूज किए जाने वाले सिलेंडर से जुड़े इक्विपमेंट की मार्किंग भी होती है। दरअसल तेल कंपनियों की तरफ से तय मानक में सिलेंडर के साथ जुड़े चूल्हे का आईएसआई मार्क होना और रेगुलेटर का तेल कंपनी की तरफ से जारी किया जाना कंप्लसरी किया गया है। लेकिन कस्टमर्स पैसा बचाने के लिए किसी अनजान कंपनी का बिना आईएसआई मार्क वाला चूल्हा इस्तेमाल करने लगते हैं और अपना रेगुलेटर खराब होने की स्थिति में भी इसे एजेंसी से चेंज न कर बाजार से लोकल रेगुलेटर खरीद लेते हैं। इसके चलते भी बीमा आवेदन खारिज कर दिया जाता है।
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यह रखें ध्यान
- समय समय पर चूल्हे का जांच पड़ताल करवाते रहें
- आईएसआई मार्क का गैस चूल्हा, रेगुलेटर और पाइप ही यूज करें
- आग लगने पर तत्काल सूचना फायर पुलिस के साथ ही अपने गैस डिस्ट्रीब्यूटर को भी दें
- आग लगने के बाद हुए नुकसान की जानकारी भी गैस डिस्ट्रीब्यूटर को तमाम प्रूफ के साथ दें
- डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से यह जानकारी एजेंसी को दी जाएगी
- एजेंसी से बीमा के लिए क्लेम करने पर तेल कंपनियों के प्रतिनिधि मौके का सर्वे कर आगजनी के कारणों का पता करेंगे
- आग लगने में कस्टमर की गलती सामने न आने पर बीमा राशि कस्टमर को मिलेगी