वाराणसी (ब्यूरो)। पूर्वांचल व बिहार के पड़ोसी जिलों के बीच मेडिकल हब के रूप में पहचान बना चुके बनारस में अब यूथ योग व आयुर्वेद में अपना कॅरियर तलाश रहे हैं। यंगस्टर्स का एक वर्ग जहां एलोपैथी के क्षेत्र में संभावनाएं तलाश रहा है। वहीं, एक ऐसा वर्ग भी है जो वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ करना चाहता है। योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा सहित अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर युवाओं का रुझान तेजी से बढ़ा है। कोरोना काल के बाद इन क्षेत्रों में करियर में तो बूम आया ही है, साथ ही आमजन का रुझान भी इस चिकित्सा पद्धति की ओर बढ़ा है। यहां के आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज और चिकित्सालयों में इलाज कराने वाले पेशेंट की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
पहचान के साथ दूसरी का भी ध्यान
स्वयं की पहचान बनाने के साथ साथ दूसरों की सेहत का भी ध्यान रखा जा सके। इसके लिए युवा योग और आयुर्वेद चिकित्सा की ओर रुख कर रहे हैं। बीते चार वर्षों में इस क्षेत्र को अपनाने वालों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है। युवा अब योग, प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, सुजोक थेरेपी आदि को काफी इम्पॉर्टेंस दे रहे हैं।
वैकल्पिक चिकित्सा में बढ़ा रूझान
आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ। अजय गुप्ता बताते हैं कि वर्तमान में वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में यंगस्टर्स का रुझान तेजी से बढ़ा है। आयुर्वेदिक-प्राकृतिक उपचार में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी के कारण आयुर्वेदिक चिकित्सकों की मांग भी बढ़ रही है। माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में इस सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं और ज्यादा बढ़ेंगी।
कोरोना ने बढ़ाया महत्व
आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज-बीएचयू के डीन प्रो। पीके गोस्वामी ने बताया, वर्तमान में यहां यूजी और पीजी को मिलाकर करीब 500 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। इसके अलावा 150 से ज्यादा पीएचडी के हैं, जो रिसर्च भी कर रहे हैं। एडमिशन लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिसे एडमिशन नहीं मिल पाता वो अन्य कॉलेजेस या फिर प्राइवेट में चले जाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा को करियर के रूप में इसलिए अपनाया जा रहा है, क्योंकि इसमें अब रोजगार के शानदार अवसर बन रहे हैं। मार्डन मेडिसिन वाले भी आयुर्वेद सेक्सन खोलने लग गए हैं। एक्सपोजर बढऩे से चिकित्सक और योगाचार्यों की डिमांड बढ़ गई है।
ग्लोबल स्तर पर डिमांड
आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज की चिकित्साधिकारी योग डॉ। उमा सिंह बताती हैं कि योग का महत्व अब सिर्फ भारत में नहीं ग्लोबल स्तर पर बढ़ा है। कोरोना संक्रमण काल के बाद इस इस दिशा में क्रांति आ गई है। अब लोग केवल अपनी सेहत के लिए ही योग नहीं अपना रहे, बल्कि दूसरों की चिकित्सा के लिए भी अपना रहे हैं। इसके लिए वे बाकायदा कोर्स कर रहे हैं। वर्तमान में यदि किसी भी मान्य व अच्छे संस्थान से इसका प्रशिक्षण ले लिया जाए तो 25 हजार से 80 हजार रुपये प्रतिमाह तक भी कमाया जा सकता है.
बीएचयू के आयुर्वेेद मेडिकल कॉलेज में
- यूजी में दिल्ली, ओडिसा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, बिहार।
- पीजी में केलर कश्मीर, पंजाब आदि प्रदेशों से भी बच्चे पढऩे के लिए आ रहे हैं।
- 650 के करीब स्टूडेंट हैं यूजी पीजी और पीएचडी के बीएचयू आयुर्वेद में
- 420 के करीब स्टूडेंट्स हैं बीएमएस के, एमडी के राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज में
ये है खास
माह के सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर पीएचडी तक कर रहे युवा
20 हजार रुपए से 80 हजार रुपए तक हो रही मासिक आय
22 से 35 वर्ष के युवाओं की संख्या ज्यादा है वैकल्पिक चिकित्सा के कोर्स करने वालों में
12वीं के बाद कोर्स के लिए आ रहे ज्यादातर आवेदन
पांच वर्षों में दोगुना हुई कोर्स करने वालों की संख्या
64, हजार रूपए शुरुआती सैलरी है आयुर्वेद डॉक्टर बनने पर