वाराणसी (ब्यूरो)भागदौड़ भरी जिंदगी में टेंशन ने हर घर में जगह बना ली हैहर कोई किसी न किसी बात को लेकर परेशान हैडाक्टरों का कहना है कि टेंशन के कारण घबराहट और नींद नहीं आने के केस बढ़े हैंवाराणसी में एक बड़ा वर्ग गंभीर स्तर के टेंशन से जूझ रहा हैइसमें बुजुर्ग या अधेड़ नहीं, बल्कि युवा भी शामिल हैंनींद नहीं आने और घबराहट जैसी शिकायतें बढ़ रही हैंयह खुलासा टेली मेडिसिन सर्विस के जरिए हुआ हैमानसिक परेशानियों से जूझ रहे लोग कई बार गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैंडाक्टरों के पास ज्यादा मरीज मूड खराब और घबराहट वाली समस्या के साथ आते हैंइसके बाद नींद न आने, टेंशन आदि परेशानियों वाली कॉल भी अधिक होती हैंवाराणसी में हर रोज 50 से 60 लोग टेली मेडिसिन सर्विस के जरिए कॉल करते हैंइनमें 20 से 40 साल की उम्र वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है.

ये 27 लक्षण वाले करते हैं फोन

कॉल करने वाले लोगों से खराब मूड, नींद में खलल, मनोवैज्ञानिक समस्याएं, टेंशन, पारिवारिक समस्या, निराशा, कुछ न होना लगना, आशा खो देना, आक्रामकता, नशा करना, इच्छा का खत्म होना, आत्महत्या का ख्याल आना लक्षण बताते हैंवहीं, कुछ लोगों की शिकायत होती है कि उन्हें अजीब आवाज सुनाई देती है या बहुत ज्यादा खुशी होती हैमेडिकल या परीक्षा संबंधित समस्या, अधिक काम करना, थकान, घबराहट होना, खुद को नुकसान पहुंचाना, दवा संबंधित दिक्कत, शरीर में अतिरिक्त परेशानी, दुर्घटना के पीडि़त और स्कूल जाने से इनकार करने आदि 27 लक्षणों वाले मरीज कॉल करते हैं.

एक कॉल ने जिंदगी बदल दी

मंडलीय अस्पताल के मनोचिकित्सक रविंद्र कुशवाहा ने बताया कि वाराणसी की सेंट जॉन कालोनी की रहने वाली 23 वर्षीय एक लड़की अवसादग्रस्त थीउनके मन में दिन में कई बार खुदकुशी के विचार आते थे और कोई काम करने में मन नहीं लगता थाऐसे में आत्महत्या का तीव्र ख्याल आने पर उन्होंने एक दिन टेली मेडिसिन हेल्पलाइन पर फोन लगा दियावह काउंसलर से बात करते हुए अपनी समस्या बताने लगी तो वहां मौजूद विशेषज्ञ काउंसलर ने उसे तुरंत मनोचिकत्सक से जोड़ दियापहले तो लड़की को फोन पर समझाया गयाउन्हें बात करने के लिए आकर्षित किया गया और फिर डॉक्टर ने लड़की को उसकी मां से बात कराने के लिए मना लियाडॉक्टर ने मां से कहा कि एंबुलेंस के 102 नंबर पर फोन करो और तुरंत बच्ची को लेकर इमरजेंसी आ जाओवहां लड़की को भर्ती करने के लिए सभी तैयारी पूरी कर दी गई थींकुछ दिन अस्पताल में इलाज चलने के बाद लड़की पूर्ण रूप से स्वस्थ है.

प्रतिस्पर्धा व क्षमता से अधिक पाने की चाह के चलते जीवन में तनाव बढ़ गया हैनींद में खलल, मनोवैज्ञानिक समस्याएं, टेंशन, पारिवारिक समस्या आदि समस्याओं से सबसे ज्यादा ग्रसित आज के युवा हैहर दिन करीब 20 से 25 मरीज ओपीडी में आते हैं.

- रविंद्र कुशवाहा, मनोचिकित्सक

आफिस में अत्यधिक काम, पढ़ाई या परीक्षा के चलते युवाओं में टेंशन की शिकायतें ज्यादा आ रही हंैहास्पिटल में औसतन 30 मरीज आते हैं, उसमें 20 युवा ही होते हैंऐसे में आराम बहुत जरूरी है.

-रविंद्र यादव, नैदानिक मनोचिकित्सक