वाराणसी (ब्यूरो)कई लोग बच्चों के पैदा होते उसकी फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर करने लगते हैंइंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य प्लेटफार्म पर लोग बताते हैं कि हमारा बच्चा कितना क्यूट है, दूसरों से कितना स्मार्ट है और कैसे-कैसे करतब कर रहा हैहमारे बच्चे का पहला जन्मदिन, दूसरा जन्मदिन, स्कूल का पहला दिन और भी बहुत सारी चीजें भी पोस्ट करते हैंअगर अपने छोटे बच्चे की फोटो के साथ ये सब करना आपकी आदत बन गई है तो अब इस आदत को बदल लीजिएसोशल मीडिया पर बेफिक्र होकर अपने बच्चों की तस्वीरें शेयर करने वाले लोगों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी हैअब आपको ऐसा नहीं करना चाहिएअब समय आ गया आपको सावधान हो जाने की

क्राइम के लिए कर सकते इस्तेमाल

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में आपके बच्चों की तस्वीरों का मिस यूज हो सकता हैआगे जाकर उनका भविष्य भी खराब हो सकता है और वे किसी मुसीबत में भी पड़ सकते हैंबीते दिनों असम पुलिस ने इसी विषय पर एक जागरूकता अभियान शुरू किया है, जिसका नाम है डोंट बी अ शेयरेंटशेयरेंट का मतलब उन पैरेंट्स से जो अपने बच्चों की फोटो लगातार पोस्ट करते हैं और उनकी प्राइवेसी की जरा भी चिंता न करते हुए सोशल मीडिया पर लगातार शेयर करते हैंइसके बाद हैकर्स उनके इन्हीं फोटोज का इस्तेमाल अलग-अलग तरह के क्राइम के लिए करते हैंअब ऐसी स्थिति में उन पैरेंट्स को तय करना है कि वे अपने बच्चों को लेकर कितने फिक्रमंद हंै.

बनारस में साइबर एक्सपर्ट का अलर्ट

बनारस में अभी तक तो बच्चों को लेकर इस तरह के केस सामने नहीं आए हैं, लेकिन यहां के साइबर एक्सपर्ट ने उन पैरेंट्स को आगाह करते हुए अपने बच्चों की फोटो न शेयर करने की सलाह जरूर दी हैसाइबर एक्सपर्ट अरुण सिंह ने कहा कि बच्चों के फोटो से हैकर्स या क्रिमिनल मिस यूज कर सकते हैंसोशल मीडिया पर बच्चों की सारी जानकारी और फोटो से उसकी उम्र व वर्तमान स्थिति को देखते हुए किडनैपिंग जैसी घटनाएं भी हो सकती हैइससे किडनैपर का काम भी आसान हो सकता हैयही बात इसलिए भी कहनी पड़ रही है कि विदेशों में अब इस आधार पर बच्चों से जुड़े क्राइम के मामले आ रहे हैं

बच्चों का तैयार होता है डिजिटल डेटा

एक्सपर्ट की मानें तो बच्चों के जिन तस्वीरों को लोग मेमोरी समझकर सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं और यह भी चाहते हैं कि उनके बच्चे के लिए ढेर सारा लाइक्स, कमेंट्स और शेयरिंग मिलेरिश्तेदार और फ्रेंड्स देखकर खुश हों और उनके बच्चों की तारीफ करेंमगर शायद आपको ये नहीं पता है कि लगातार फोटो पोस्ट होता फोटो आपके बच्चों का डिजिटल डेटा तैयार करता है, जिसका इस्तेमाल कहीं भी हो सकता हैइसमें एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तीन से चार साल की बच्ची को 15 से 16 साल की एक लड़की के रूप में दिखाया जा सकता हैइसके बाद इन्हीं फोटोज को इंटरनेट पर कही भी गलत तरीके से इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

यहां होने लगा है मिस यूज

जानकारों की मानें तो अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप समेत कई देशों में इस तरह की घटनाएं हर दिन सामने आने भी लगी हैजहां पैरेंट्स की इसी गलती की वजह से बच्चों के वर्चुअल डेटा का इस्तेमाल कर साइबर फ्रॉड या दूसरे अपराधों के लिए किया जाता है.

आसानी से निशाना बन सकते हंै बच्चे

साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि सोशल मीडिया पर बच्चों की फोटो छुपाना इसलिए भी जरूरी हो गया है कि अपराधी आपको नुकसान पहुंचाने के लिए बच्चों को जरिया न बनाएंबच्चों को आसानी से टारगेट किया जा सकता हैबच्चों की पहचान खुद ही शेयर करते हुए लोग अपराधियों का काम आसान करते हैं

क्योंकि इन्हें बच्चों की परवाह है

फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग खुद कभी भी अपने बच्चों की तस्वीरे शेयर नहीं करते और करते भी हैं तो ईमोजी लगा देते हंैइनके अलावा सेलेब्रिटीज भी कभी भी अपने बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करते, क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की परवाह है

ये भी हो सकता है

-बच्चों की आवाज को रिकॉर्ड कर आपत्तिजनक ऑडियो क्लिप बन सकता है.

-बच्चों का फोटो, वीडियोज व डिटेल्स से किडनैपिंग हो सकता है

-अपराधियों को सारा डेटा सोशल मीडिया से मिल जाता है

-स्टॉकिंग व साइबर बुलिंग का शिकार बनाया जा सकता है

हम हमेशा सभी लोगों को एडवाइज देते रहते हैं कि सोशल मीडिया पर अपनी प्राइवेसी का ध्यान रखेंऐसी कोई भी फोटोज या वीडियो शेयर न करें, जिससे आप या आपका बच्चा किसी मुसीबत में पड़ेअभी ऐसे केस तो नहीं आए हैं, लेकिन एआई के आने से संभावनाएं बढ़ गई हैं.

अरुण सिंह, साइबर एक्सपर्ट, साइबर सेल