वाराणसी (ब्यूरो)। अर्धनारीश्वर भगवान शिव आधी आबादी को सशक्त और आत्मनिर्भर बना रहे हैं। बाबा विश्वनाथ का नव्य भव्य धाम महिला सशक्तिकरण को भी बल दे रहा है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाबा विश्वनाथ को चढ़ाने वाला प्रसाद बना रही हैं। अब यहां बिकने वाला प्रसाद दर्शनार्थियों की संख्या बढऩे से क्विंटल में पहुंच गया है। इससे महिलओं के घर की अर्थव्यवस्था ने भी रफ्तार पकड़ ली है। ये महिलाएं घर की जिम्मेदारियों में भी आर्थिक रूप से बढ़-चढ़ कर सहयोग कर रही हैं।
व्यापार में आया उछाल
सनातन धर्म की आस्था का केंद्र श्री काशी विश्वनाथ धाम अब लोगों की आजीविका का साधन भी बन रहा है। धाम के विस्तारित होने के बाद जब प्रदेश सरकार ने धाम के संचालन का खाका तैयार किया तो लोगों के जीवन को नया आयाम मिलने लगा। लोगों को आजीविका के नए साधन मिलने लगे हैं। बनारस की एक ऐसी ही स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाबा का महाप्रसादम बनाने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं.
प्रतिदिन एक क्विंटल की मांग
समूह की मुखिया सुनीता जायसवाल ने बताया कि शुरुआत में 10 महिलाएं जुड़ी थीं, लेकिन मंदिर के विस्तारित होने के बाद हम लोगों के काम में भी विस्तार आया और अब समूह में 21 महिलाएं काम कर रही हैं। लोकार्पण के पहले 2019 में कुछ किलो तक ही प्रसाद की मांग थी, लेकिन जब से मंदिर का लोकार्पण हुआ है, बाबा के प्रसाद की मांग प्रतिदिन एक क्विंटल तक पहुंच गई है। छुट्टियों में या शनिवार और रविवार को बाबा को चढ़ाने वाले प्रसाद की मांग 100 किलो से भी अधिक हो जाती है। बीते सावन में करीब 125 किलो और शिवरात्रि में बाबा के प्रसाद की मांग 400 किलो तक पहुंच गई थी।
महिलाएं हुईं आत्मनिर्भर
स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष ने बताया कि पंडित दीनदयाल ग्रामीण आजीविका मिशन से कई महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है। विधवा समेत कई जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार मिला है और वह आत्मनिर्भर बन रही हैं। उन्होंने बताया कि बाबा का प्रसाद बनाने में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। भक्त जब प्रसाद की तारीफ करते हैं तो आत्मीय सुकून मिलता है। समूह की महिलाएं सिर्फ प्रसाद बनाती ही नहीं हैं, बल्कि धाम में काउंटर लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसादम की बिक्री भी करती हैं.