आखिरी मिनट तक हम सब भी रोमांचित थे। पता नहीं था कि क्या होने वाला है। हर क्वार्टर के साथ मैच स्विंग कर रहा था। आखिरी मिनट में जब जर्मनी को पेनाल्टी कार्नर मिला तो सभी नर्वस थे, लेकिन टीम को गोलकीपर श्रीजेश पर भरोसा था। यही भरोसा टीम की ताकत बनी। 1980 मास्को ओलंपिक में पदक मिलने के 41 साल बाद टोक्यो में तिरंगा लहराया तो पोडियम पर हाकी टीम के सितारों में उत्तर प्रदेश के ललित उपाध्याय भी मेडल पहनने वालों में थे। मैच के बाद टोक्यो से फोन पर ललित ने कहा कि जीत का श्रेय करोड़ों देशवासियों को है, जिनको आखिरी मिनट तक उम्मीदें थीं। ललित उपाध्याय ओलम्पिक जाने वाली हाकी टीम में उत्तर प्रदेश से एकमात्र खिलाड़ी हैं। टोक्यो में जबर्दस्त प्रदर्शन के पीछे क्या राज है, इस पर ललित का कहना है कि कोई चमत्कार या जादू नहीं है, जो अचानक हो। कई साल की मेहनत का नतीजा है, जो टीम आज आस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसी टीमों को हराकर पदक में तब्दील हुआ है। पिछले कुछ वर्षो से इंडिया ने हाकी को व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया है, उसी का परिणाम यह पदक है। आगे की प्लानिंग पर ललित ने कहा कि छह महीने से घर से दूर हैं। ओलम्पिक तैयारियों के चलते कैंप में थे, इसलिए अब जल्द से जल्द मेडल के साथ घर लौटने और उन लोगों को शुक्रिया कहने की चाहत है, जिन्होंने मुश्किल समय में भरोसा कायम रखा।

हॉकी में ऐतिहासिक जीत पर चहुंओर जश्न

टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम की ऐतिहासिक जीत का जश्न समूचा देश मना रहा है। इस जीत के साथ बनारस और पूर्वांचल के हॉकी खिलाड़ी भी उत्साहित नजर आए। सिगरा स्टेडियम, बरेका व लालपुर स्टेडियम में खिलाडि़यों ने ढोल-नगाड़े बजाकर जीत का जश्न मनाया। सिगरा स्टेडियम में बतौर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आरपी सिंह ने कहा कि यह हॉकी के सुनहरे भविष्य का आगाज है। हमारी टीम आगे और बेहतर करेगी। 2024 के पेरिस ओलम्पिक में पदक का रंग जरूर बदलेगा। इस मौके पर हॉकी वाराणसी की अध्यक्ष नीलू मिश्रा ने हाकी खिलाडि़यों का मुंह मीठा कराया। उधर, बीएचयू हाकी ग्राउंड व बनारस रेल इंजन कारखाना ग्राउंड पर भी खिलाडि़यों ने जश्न मनाया।

सुबह टीवी के सामने से उठ नहीं सका, मैच ही देखता रह गया। जीत के बाद खुशी के आंसुओं को रोक न सका। इस उपलब्धि को बयां करने को शब्द कम पड़ेंगे। भारतीय टीम की यह जीत पीढि़यों को प्रेरित करेगी। अब आपको सड़कों पर हॉकी स्टिक लिए बच्चे देखने को मिलेंगे। अगले ओलम्पिक में उत्तर प्रदेश से चार-पांच खिलाड़ी टीम इंडिया की सूची में होंगे।

-राहुल सिंह, पूर्व ओलम्पियन एवं हॉकी खिलाड़ी

यह सब बाबा विश्वनाथ की कृपा है। इस ऐतिहासिक जीत के बाद सबसे पहले मेरे बड़े बेटे अमित उपाध्याय ने फोन किया और बोला कि हो गइल। इसके बाद से दिनभर शिवपुर के भगतपुर स्थित आवास पर बधाई देने वालों का तांता लगा है। अब तो मेरे बेटे ललित उपाध्याय के नाम से मेरी भी पहचान जुड़ गई।

-सतीश उपाध्याय, ललित के पिता