वाराणसी (ब्यूरो)। एक नवंबर की देर रात आईआईटी बीएचयू की छात्रा के साथ हुई घटना के बाद से गुस्साए छात्रों को शांत कराने के लिए प्रशासन ने कैंपस में सुरक्षा को लेकर बीएचयू और आईआईटी कैंपस के बीच दीवार खड़ी करने का फैसला लिया था। इस फैसले के बाद से ही सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूटने लगा। कोई दीवार खड़ा करने का समर्थन कर रहा था तो कोई विरोध। लोग लगातार अपनी बात सोशल मीडिया के माध्यम से रख रहे थे। इन दिनों इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और सभी डिजिटल प्लेटफार्म पर इसी बात की चर्चा चल रही है। इसका असर यह हुआ कि रविवार को बीएचयू व बीएचयू आईआईटी प्रशासन के बीच वार्ता के बाद दीवार नहीं खड़ी करने का फैसला लिया है.
चरम पर छात्रों का गुस्सा
कैंपस में बीएचयू और आईआईटी कैंपस के बीच दीवार खड़ी करने का फैसले से छात्र-छात्राओं का गुस्सा चरम सीमा पर था। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर सबने अपनी-अपनी बात रखी। ट्विटर पर बीएचयू के छात्र श्याम सिंह लिखते हैं कि एक पिता के दो बच्चों को अलग किया और छांट दिया। बगिया में खिलती कलियों को कुचल दिया और काट दिया। यह बंटवारा देख आत्मा, महामना की रोई होगी। भीड़ तंत्र ने स्वांग रचा कैसे घर को बांट दिया.
इन्होंने ट्विटर पर रखी अपनी बात
अजय के चतुर्वेदी : मुद्दे को भटकाना सही नहीं। छात्राओं की आबरू से जुड़ा है। उसी मुद्दे पर बात होनी चाहिए। आंदोलन का विषय भी वही होना चाहिए। महामना की कर्मस्थली में विभाजन रेखा खींचने का विचार अलगाववादियों का ही हो सकता है। इस मसले में एकजुटता जरूरी है.
अर्चना पटेल : लड़कियां सुरक्षित तो नहीं थीं। पहले भी नहीं थी और न हैैं। पर ये गंदगी कॉलेज के कैंपस तक पहुंच जायेगी सोचा न था.
अमन : बीएचयू विश्वविद्यालय हम सब काशी वासियों की शान है। इस विश्वविद्यालय के चारों तरफ बाउंड्री पहले से है और विश्वविद्यालय के अंदर से दीवार खड़ा करना यह गलत है। यह बर्दाश्त नहीं होगा.
पूनम : कैसी मानसिकता के लोग होते हैं ये। बहन न सही, मां तो जरूर होगी इनकी।
शिवम : आईआईटी बीएचयू द्वारा चलाए गए इस प्रोटेस्ट को बिल्कुल नया मोड़ दे दिया गया। शुरू से ही पीडि़ता को न्याय दिलाने और दोषियों की पहचान कर उन पर कार्रवाई करने की मांग उनके एजेंडे से गायब रही.