वाराणसी (ब्यूरो)। नगर निगम वाराणसी की तरफ से पार्षदों को एक्सपोजर विजिट के लिए कई राज्यों में भेजा गया। पहले जत्थे में गए पार्षदों की दुखभरी कहानी ने चौंका दिया है। उनका कहना है कि पहले दिन अमृतसर पहुंचने पर खानी-पानी तक नहीं मिला। ऐसे में भूखे पेट रात में सोना पड़ा। यही नहीं दिल्ली से अमृतसर पहुंचने के लिए चार घंटे तक बिना रोककर रखा गया। साथ ही किसी भी दिन सुबह-शाम नाश्ता नहीं मिला। वहीं खटारा गाड़ी में सफर कराया गया। ऐसा एक्सपोजर विजिट उन्होंने कभी भी फेस नहीं किया था। उन्होंने आगे से किसी भी एक्सपोजर विजिट में जाने के लिए तौबा करने की बात कही। बता दें कि पार्षदों का पहला जत्था नगर निगम की तरफ से 9 जुलाई को गया था। पहले जत्थे में कुल 13 पार्षदों को अमृतसर, डलहौजी व जम्मू की यात्रा पर भेजा गया था।
ट्रैवल एजेंसी ने दिल्ली से ही झेलाया
पार्षदों के शहर छोडऩे के बाद से ही उनके ऊपर समस्या का पहाड़ टूट गया। पार्षदों के दल को प्वाइंट तक ले जाने का काम ट्रैवल एजेंसी को दिया गया था, जो एयरपोर्ट से ही अपनी जिम्मेदारी के साथ उनको लेकर जाने वाली थी। पार्षदों ने बताया कि बनारस से दिल्ली पहुंचने पर उनको एजेंसी द्वारा एयरपोर्ट पर चार घंटे तक रोककर रखा गया। इस दौरान पार्षदों को चाय-पानी तक के लिए आफर नहीं किया गया। चार घंटे के बाद अमृतसर की फ्लाइट से उनको निकाला गया.
रात में पहुंचा दल
पार्षदों का दल अमृतसर में होटल प्वाइंट पर 11.30 रात में पहुंचा। इस दौरान पार्षद यात्रा के नशे में थक कर चूर हो गए थे। रात में पार्षदों को खाना-पानी भी नहीं दिया गया। पार्षद भूखे पेट पूरी रात सोये रहे। पार्षदों ने कहा कि इतनी रात में पहुंचने के बाद कोई होटल भी नहीं खुला था, जहां से हम अपने पैसे से खाना खरीद कर खा सकें। इसके साथ ही पार्षदों का कहना था कि किसी भी दिन उनको शाम एवं सुबह का नाश्ता नहीं दिया गया.
खटारा थी गाड़ी
पार्षदों के दल ने कहा कि जब वे पहुंचे तो उनको खटारा टैंपो टाइप की गाड़ी रिसीव करके इधर-उधर घुमाई। इसके साथ ही उस गाड़ी में एसी नहीं थी। इतना ही नहीं नगर निगम द्वारा जिन-जिन प्वाइंट पर नगर निगम द्वारा घुमाने के लिए कहा गया था, वहीं पर घुमाया गया। इसके अलावा अगर पार्षदों को कहीं और घूमने की इच्छा थी तो गाड़ी उनको नहीं लेकर जाती थी। अगर पार्षदों को कहीं और जाना होता था तो वह अपने किराये से जाते थे, जिसका नगर निगम भुगतान भी नहीं करेगा.
बिन प्लान का रहा दौरा
पार्षदों का कहना था उनका दौरा बिना प्लान का था। उनको सिर्फ दो बार नगर निगम के अधिकारियों के साथ मीटिंग करने का मौका मिला। बाकी समय वह अपने आप सड़क पर घूमते रहे और परेशान होते रहे.
सब मिलाकर बहुत ही खराब दौरा रहा। खटारा गाड़ी से सफर कराया गया। इतना ही नहीं पहली रात में भूखे पेट सोने के लिए मजबूर किया गया.
राजेन्द्र प्रसाद मौर्या, पार्षद
यात्रा के दौरान मिसमैनेजमेंट काफी ज्यादा रहा। सबसे बुरा तो खटारा गाड़ी का सफर रहा। अपने किराये से यात्रा करनी पड़ती थी.
सुनील सोनकर, पार्षद
व्यवस्था नहीं थी। मात्र दो टाइम का खाना मिलता था। शाम एवं सुबह का नाश्ता विजिट के दौरान नसीब नहीं हुआ.
लकी वर्मा, पार्षद
काफी खराब एक्सपीरिंयस रहा है। दिल्ली में हम लोगों को चार घंटे तक अनावश्यक रूप से रोककर रखा गया। इसके बाद कई सारी मीटिंग को नगर निगम ने कैंसिल कर दी.
दिनेश यादव, पार्षद