वाराणसी (ब्यूरो)। वाह रे, राजकीय जिला महिला चिकित्सालय की व्यवस्था। कहने को 180 बेड का अस्पताल है, लेकिन इसमें से कितने बेड मरीज इस्तेमाल कर रहे हैैं। इसका ताजा उदाहरण अस्पताल में जाकर देखा जा सकता है। हर वार्ड के बेड पर मरीजों का प्रेशर होने के बाद भी 30 बेड के वार्ड को अभी तक शुरू नहीं किया गया। रेनोवेशन हुए दो महीना से अधिक का समय बीत गया, लेकिन जब जाइए तब ताला में बंद ही नजर आता है.
हर हाथ में पर्चा
कहने को जिला महिला अस्पताल में मरीजों के लिए स्पेशल व्यवस्था कर दी गयी है, लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर है। जब भी जाइए मरीज परेशान ही नजर आते हैं। किसी को बेड नहीं मिल रहा है तो कोई जांच के लिए परेशान है तो किसी को डाक्टर नहीं मिल रहा। हर हाथ अस्पताल का पर्चा लिए बदहवास इधर से उधर भटकता ही नजर आता है। इस व्यवस्था से खिन्न होकर कई मरीज प्राइवेट अस्पताल में चले जाते हैं.
प्रसव के पहले का हाल
जिला महिला अस्पताल इन दिनों प्रेग्नेंट महिलाओं की भीड़ से पटा पड़ा है। ओपीडी में जांच के बाद प्रेग्नेंसी महिलाओं से बेड भरा है। इमरजेंसी में अगर अपराह्न दो बजे के बाद कोई प्रेग्नेंट महिला मरीज जांच के लिए पहुंचे तो उसको बेड ही नहीं मिलेगा, क्योंकि अस्पताल में प्रसव के बाद का भर्ती करने वाला वार्ड फुल है.
महिला अस्पताल में रैंप तक नहीं
ताज्जुब की बात है कि जिला महिला अस्पताल में रैंप तक नहीं बनाया गया है। अगर कोई प्रेग्नेंट महिला को ऊपर के प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराना हो तो सीढ़ी के अलावा रैंप की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके चलते प्रेग्नेंट महिलाओं को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है, जबकि अस्पताल में रैंप का होना जरूरी है। यही वजह है कि ऊपर का वार्ड हमेशा खाली ही रहता है, इसके चलते नीचे के वार्ड में मरीजों की भीड़ लगी रहती हैं.
वार्डों में बेड की स्थिति
सर्जिकल वार्ड-20
नसबंदी वार्ड -20
एसएनसीयू वार्ड-20
प्रसव के पहले का वार्ड-20
प्रसव के बाद का वार्ड- 20
नया वार्ड- 30
डाक्टर भी ऊपर के वार्ड में भेजने से कतराते
डाक्टर से जांच के बाद अगर कोई ऊपर का बेड मांगता भी है तो डाक्टर ऊपर भेजने से कतराते हैं कि बार-बार जांच के लिए उनको ऊपर जाना पड़ेगा। इसलिए ऊपर किसी भी मरीज को नहीं भेजा जाता है। ऊपर का पूरा वार्ड खाली ही रहता है। फिलहाल इस समय फस्र्ट फ्लोर के कुछ वार्ड में मरम्मत चल रहा है, जो धूल-गर्दा से पटा पड़ा है। महीनों से सफाई ही नहीं की गई.
कहने को 180 बेड
जिला महिला अस्पताल में कहने को मरीजों के लिए 180 बेड हैं। इसमें सर्जिकल, एसएनसीयू, नसबंदी समेत कई वार्ड शामिल हैं। इसके अलावा फस्र्ट फ्लोर पर कई बेड को तैयार किया गया, जिनके बारे में अस्पताल प्रबंधन को जानकारी नहीं है। इसके अलावा मरीजों की सहूलियत के लिए दो महीना पहले 30 बेड के वार्ड को रेनोवेशन कराया गया है, लेकिन उसको आज तक शुरू नहीं किया गया। अगर उसे शुरू कर दिया जाए तो मरीजों की दिक्कतें काफी हद तक कम हो सकती हैं। अस्पताल प्रशासन ने अभी तक क्यों नहीं शुरू किया, यह अचरज की बात है.
एक सप्ताह के अंदर शुरू कर दिया जाएगा। जिस इंजीनियर ने रेनोवेशन करवाया था उनकी तरफ से अभी तक कुछ कार्य बचा है जिसे कराया जा रहा है। एक हफ्ता के अंदर सारा कार्य पूरा कर 30 बेड के वार्ड को मरीजों के लिए खोल दिया जाएगा.
मनीषा सिंह सेंगर, एसआईसी, राजकीय जिला महिला अस्पताल