वाराणसी (ब्यूरो)। इस साल की रंगभरी एकादशी मां पार्वती के लिए बहुत खास होगी। बाबा विश्वनाथ जब उनका गौना करा के शिवधाम लौटेंगे तो मां गौरा स्वर्णमंडित गृह में पहली बार प्रवेश करेंगी। स्वर्णिम आभा में श्री काशी विश्वनाथ धाम का नजारा भी बदला-बदला नजर आएगा। मां पार्वती पहली बार मां गंगा के दर्शन सीधे कर पाएंगी। दान दाता के करीब 60 किलो सोने से बाबा के गर्भगृह और शिखर को स्वर्णमंडित कराया गया है। रंगभरी एकादशी तीन मार्च को मनाई जाएगी।
काशी में रंगों की छठा शिवरात्रि के दिन से ही शुरू हो जाती है, लेकिन बाबा की नगरी में एक दिन ऐसा भी रहता है। जब बाबा खुद अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा की मां गौरा के साथ चल प्रतिमा निकलती है। वैसे तो हमारे देश में मथुरा और ब्रज की होली मशहूर है, लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन साल में एक बार बाबा अपने परिवार के साथ निकलते हैं। इसी दिन से काशी में होली की शुरुआत मानी जाती है। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा राजशाही पगड़ी धारण करेंगे और मां पार्वती बरसाने की घाघरा पहनेंगी। बाबा के भाल पर मथुरा के जेल में अरारोट और सब्जियों से कैदियों द्वारा तैयार की गई खास गुलाल सजेगा, जिसक बाद काशी की गलियों में गुलाल उड़ेगा।
श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य ब्रजभूषण ओझा ने बताया कि बाबा रंगभरी एकादशी के दिन मां पार्वती का गौना कराकर वापस लौटते हैं। बाबा की पावन मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के आसान पर बैठाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बार रंगभरी एकादशी इसलिए भी खास है, क्योंकि मां जब गौने से बाबा विश्वनाथ के परिसर में आएंगी और पालकी मंदिर परिसर में घुमाई जाएगी तो मां गौरा गर्भ गृह के स्वर्णीम आभा को पहली बार देखेगी और बाबा के साथ स्वर्ण मंडित गर्भगृह में विराजेंगी.