वाराणसी (ब्यूरो)। इस बार मां सरस्वती न सिर्फ अज्ञानता को तारेंगी बल्कि, ज्ञान-विद्या और बुद्धि, स्वच्छता संग यूथ को रोजगार का भी वर देंगी। काशी के मूर्तिकारों ने वीणावादिनी की मृण मूर्तियों में दिन-वार और सम-सामयिक विषयों को उकेरने का बेहतरीन प्रयोग किया है। मूर्तिकारों द्वारा गढ़ी देवी प्रतिमाएं 26 जनवरी को सरस्वती पूजा के दिन शहर के पूजा पंडालों में दिखेगी.
पूजन स्थलों के लिए देवी प्रतिमाओं का प्रस्थान मंगलवार से ही शुरू हो जाएगा और बुधवार को रातभर यह सिलसिला चलता रहेगा। देवनाथपुरा के मूर्तिकार गोपाल चंद्र डे ने बताया कि इस बार घूंघटदार, ओरिएंटल और बांग्ला शैली की मूर्तियों की मांग ज्यादा है। गैर बंगभाषी क्लबों में बांग्ला साज के मूर्तियों को आर्डर पहले की अपेक्षा अधिक रहा। दो सालों से कोरोना के चलते मूर्तियों के आर्डर पर असर दिखा। इस बार पिछले बार की अपेक्षा आर्डर 15 से 20 परसेंट अधिक हैं.
प्रतिमाओं की थीम
तैयार देवी प्रतिमाओं में गंगा संग यमुना-सरस्वती यानि त्रिवेणी की स्वच्छता का संदेश देती मां सरस्वती को गढ़ा गया है। इसके अलावा एक प्रतिमा में भगीरथ प्रयास को आकार दिया गया है। इसके अलावा इस बार मां सरस्वती के साथ गणेश जी भी पंडालों में दिखेंगे। यूथ को रोजगार के लिए प्रेरित करती प्रतिमा को फाइनल टच दिया जा रहा हैं। प्रतिमाओं को तैयार करने में दिन रात मूर्तिकार जुटे हैं.
पहाड़ पर वीणा वादन करतीं मां
मूर्तिकारों ने पहाड़ पर वीणा वादन करती देवी सरस्वती की सुंदर प्रतिमा बनायी हैं। देवी सरस्वती के साथ कृष्ण की माखन लीला और यशोदा मइया का दुलराना वाली प्रतिमा भी लोगों को पसंद आ रहा हैं। जबकि नन्हे कृष्ण को माथे पर बैठाकर यमुना पार कराते वासुदेव और बारिश से बचाते शेषनाग संग देवी सरस्वती की प्रतिमा को निखारा जा रहा है। । 26 जनवरी को बसंत पंचमी का पर्व पड़ रहा हैं इसलिए गणतंत्र दिवस की भी छवि देवी प्रतिमा दिखाई दे रही हैं। भारत माता के रूप में तिरंगा के साथ देवी अद्भुत लग रही हैं.
हाथ रिक्शा पर मां देवी
कोलकाता के हाथ रिक्शा पर देवी सरस्वती के दर्शन देती मां नजर आएंगी। अंजता-एलोरा की कला में ढली देवी प्रतिमा भी तैयार की गयी हैं। इसके अलावा घुंघट काढ़े विद्यादायिनी की ओरिएंटल प्रतिमा नजर आएंगी। रथ पर सवार वाग्देवी की प्रतिमाओं के अलावा अलग-अलग स्वरूप में मां पंडालों में दर्शन देंगी।
बांग्ला शैली में भी मां
पूजा-पंडालों में देवी सरस्वती संग विश्वरूप की प्रतिमा के दर्शन होंगे, जबकि देवी सरस्वती संग हनुमान जी भी दर्शन देंगे। शिव के कई रूपों से युक्त देवी प्रतिमा को आकार दिया गया है। देवी सरस्वती के साथ मोतीझील का लुक तैयार किया गया हैं जबकि भारत माता के रूप में देवी सरस्वती और बांग्ला शैली की प्रतिमाएं क्लबों में स्थापित होगी.