वाराणसी (ब्यूरो)महादेव की नगरी आदिशक्ति की भक्ति में डूब गईघरों में घट स्थापन, मंदिरों में दर्शन-पूजन और जगराता के साथ वासंतिक या चैत्र नवरात्र की शुरुआत सविधि हुईमंगलवार को वासंतिक नवरात्र की प्रतिपदा पर अलग ही दृश्य दिखानवरात्र की प्रतिपदा पर तय मुहूर्त में माता के आगमन पर कलश स्थापित कियाउसके बाद पूरे विधि-विधान से माता का पूजन किया गयाइसके साथ ही घरों में अखंड ज्योत जलाया गयातत्पश्चात व्रती जनों ने माता को ध्यान करते हुए पाठ कियापंजाबी परिवारों में माता की चौकी भी सजाई गई.

शैलपुत्री के दरबार में उमड़े आस्थावान

घर में पूजन करने के बाद युवतियों और महिलाओं का हुजूम सजीले देवी दरबार में उमड़ पड़ाशास्त्रीय मान्यता के अनुसार प्रथम दिन नौ गौरी के क्रम में मुखनिर्मालिका व नौ दुर्गा के क्रम में माता शैलपुत्री देवी के दर्शन का विधान हैअलईपुरा स्थित मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में शैलपुत्री माता को स्नान कराकर नूतन वस्त्र और आभूषण धारण कराया गयाउसके बाद भोर में मां की विशेष आरती की गईइसके बाद भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गएमाता दर्शन को आधी रात से ही कतार लग चुकी थी जो भोर होने तक लंबी होती गईदर्शनार्थियों ने नारियल, चुनरी और अड़हुल की माला चढ़ाकर मइया रानी से अपनी मनोकमानाएं कहीं.

किया परंपरा का निर्वहन

काशी के मूल निवासियों ने परंपरा का निर्वाह करते हुए प्रथम दिन मुखनिर्मालिका गौरी का दर्शन-पूजन कियागायघाट क्षेत्र स्थित एक हनुमान मंदिर में मुखनिर्मालिका देवी का विग्रह विद्यमान हैब्रह्म मुहूर्त में देवी की मंगला आरती के बाद मंदिर के पट भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिया गयाभोर में पांच से दोपहर 12 बजे तक मंदिर में भक्तों की कतार लगी रहीइसके बाद स्थिति सामान्य दिनों की भांति हो गई.

दुर्गामंदिर में दर्शनार्थियों की कतार

दुर्गाकुंड स्थित दुर्गामंदिर में सुबह से शाम तक दर्शनार्थियों की कतार लगी रहीसुबह में आरती के बाद मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया थाहाथ में माला-फूल लिए और मन में मां का जप करते हुए कतारबद्ध लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहेवहीं, बैरिकेडिंग करके दुर्गाकुंड और मानस मंदिर की ओर से वाहनों का प्रवेश रोक दिया गयामंदिर के बाहर दूर तक माला-फूल और प्रसाद की मौसमी दुकानें लग गई हैंशहर के अन्य टोले-मोहल्ले में स्थित देवी दरबार में भी आस्थावानों की भीड़ देखी गई.

पूजन के बाद फलाहार

कलश स्थापना और दर्शन-पूजन के बाद व्रती जनों ने फलाहार कियाफलाहार में लोगों ने आलू, सेब, केला सहित अन्य फलों से जलपान किया.