वाराणसी (ब्यूरो)। ईश्वरगंगी निवासी सुनीता यादव (24 वर्ष) की पहचान इलाके में एक चेन स्मोकर के रूप में हो चुकी थी। अभी एक सिगरेट उनकी बुझी नहीं होती थी कि दूसरी सुलगाने की उन्हें तलब लग जाती थी। सुनीता को ओस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के गलने की समस्या होने के बाद डाक्टर ने उन्हें हर हाल में सिगरेट छोडऩे को कहा तो सुनीता के लिए यह किसी बड़े चैलेंज से कम नहीं था। चिकित्सक की सलाह पर उन्होंने तम्बाकू नशा उन्मूलन केंद्र से संपर्क किया। कुछ दिनों की काउंसलिग के साथ चली जरूरी दवा चली। तब जाकर उनकी हालत में सुधार आया। पर ये सिर्फ सुनिता की कहानी नहीं है। वाराणसी शहर में ई सिगरेट का चलन तेजी से बढ़ा है। जिसका सेवन करने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ी है। लोगों का मानना है कि ई-सिगरेट हमें नुकसान नहीं करती है जोकि गलत है।
लगा होता है फिल्टर
एक्सपर्ट का कहना है कि ई सिगरेट में बस एक फिल्टर लगा होता है जोकि सिगरेट से होने वाले नुकसान को थोड़ा कम कर देता है। वाराणसी में 40 परसेंट लोग सिगरेट का सेवन करते हैं, जिसमें 65 परसेंट यूथ हंै। बात करें महिलाओं की संख्या की तो जहां एक साल पहले सिर्फ 10 परसेंट महिलाएं सिगरेट का सेवन करती थीं, अब उनकी संख्या 25 परसेंट तक हो गई है।
15 से 25 साल की युवतियां नशे की गिरफ्त में
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा। संदीप चौधरी ने बताया कि विश्व में हर 6.5 सेकेंड में धूम्रपान करने वाले एक व्यक्ति की मौत होती है। प्रतिदिन 2,200 से अधिक भारतीय तम्बाकू सेवन के कारण मरते हैं। तम्बाकू के सेवन से न केवल कैंसर होता है बल्कि ह्रदयरोग, मधुमेह, टीबी, स्किन डिजीज, हार्टअटैक और ओस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां भी होती हैं। किशोरावस्था से ही तंबाकू सेवन करने से नपुंसकता भी हो जाती है। मंडलीय अस्पताल के तम्बाकू नशा उन्मूलन केंद्र पर रोज 100 से अधिक लोग नशा मुक्त होने के लिए आते हैं। जानकर हैरानी होगी कि आने वाले लोगों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इन महिलाओं में सबसे अधिक स्किन डिजीज, ओस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां देखने को मिलती हैं और इनमें हार्ट अटैक का खतरा भी ज्यादा होता है। आने वाले युवतियों की उम्र 15 से 25 वर्ष तक ही है।
फैक्ट एंड फिगर
100
से अधिक लोग नशा मुक्ति के लिए मंडलीय अस्पताल पहुंचते हैैं
50
परसेंट से ज्यादा महिलाएं तंबाकू नशा उन्मूलन केंद्र पर आती हैैं
40
परसेंट लोग वाराणसी में स्मोकिंग करते हैं
65
परसेंट तक यूथ हैं। इसमें 25 परसेंट युवतियों की संख्या है
2,200
से अधिक भारतीय तंबाकू सेवन के कारण रोज दम तोड़ देते हैैं
सिकुड़ रही दिमाग की नस
एक्सपर्ट के मुताबिक सिगरेट का ज्यादा सेवन करने से ब्रेन डैमेज हो सकता है। कुछ लोगों को इसकी वजह से डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी का सामना भी करना पड़ सकता है। शॉर्ट टर्म इफेक्ट की बात करें तो यह शरीर के अंदर पहुंचने के बाद इसका असर तुरंत ब्रेन तक जाता है और ब्रेन की केमिस्ट्री बदल देता है। इससे हमारे ब्रेन में बदलाव हो जाते हैं और न्यूरॉन्स की एक्टिविटी दब जाती है। इससे बोलने, चलने फिरने और चीजों को याद रखने में काफी दिक्कत हो जाती है। ज्यादा शराब पीने से कुछ लोग बेहोश भी हो जाते हैं। ब्रेन की केमिस्ट्री बदलने से लोगों का तेजी से मूड स्विंग होता है। वे कभी उत्साहित फील करते हैं तो कभी उन्हें डिप्रेशन होने लगता है। अत्यधिक सिगरेट पीने से ब्रेन में ब्लड सरकुलेशन बिगड़ जाता है और ब्रेन सिकुडऩे लगता है।
युवाओं में सिगरेट पीने का चलन तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते कम उम्र में ही लोगों को हार्ट और अन्य बीमारियां घेर रही हैं।
संदीप चौधरी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
तंबाकू नशा उन्मूलन केंद्र में रोज 100 से अधिक लोग नशा मुक्त होने के लिए आते हंै। इसमें युवतियों की संख्या बढ़ी है। उन्हें लगातार काउंसलिंग और इलाज द्वारा ठीक किया जा रहा है।
अजय श्रीवास्तव, साइकोलॉजिस्ट, मंडलीय अस्पताल