वाराणसी (ब्यूरो)। बीएचयू के हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो। ओमशंकर ने अपने विभाग में हो रही नियुक्ति और आइएमएस के विभागों में अपनाई गई पदोन्नति प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगाया है। उनका कहना है कि बिना ईसी (एक्सक्यूटिव काउंसिल) की बैठक में स्वीकृति लिए कुलपति नियम विरुद्ध नियुक्तियां कर रहे हैं। विवि में ढाई साल बाद भी ईसी का गठन नहीं हुआ है। बुधवार को अपने विभाग में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि मरीजों की समस्याएं व नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायतें कुलपति से की जाती हैं लेकिन वह नजर अंदाज कर रहे हैं.
हृदय रोग विभाग में जिन पदों पर नियुक्तियां की जानी थीं, उसके लिए 31 जुलाई से पहले इंटरव्यू की डेट रखी गई, लेकिन जान-बूझ कर कुलपति ने मेरा कार्यकाल खत्म होने के दो-तीन दिन बाद साक्षात्कार की तिथि तय की है। क्योंकि मैं अध्यक्ष रहता तो नियम की बात करता। डा। ओमशंकर ने कहा कि गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग में प्रमोशन के लिए सभी डाक्टरों को अयोग्य करार दिया गया है। सवाल है कि जब उनकी नियुक्ति हुई थी तो उस समय उन्हें योग्य पाया गया और प्रमोशन के लिए जो कमेटी बनी थी उसने आरोग्य बता दिया है। कहा कि उन्हें गलत तथ्यों के आधार पर विभागाध्यक्ष पद से 24 मई को हटा दिया गया था, लेकिन मुझे 18 जुलाई को दोबारा अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। अगर मैं गलत था तो मुझे दोबारा क्यों नियुक्त किया गया। नियमानुसार 55 दिन मेरा कार्यकाल और होना चाहिए, इसके लिए मैंने पत्र कुलपति को लिखा है.
डा। विकास दोबारा विभागाध्यक्ष नियुक्त
कार्डियोलाजी विभाग के डा। विकास अग्रवाल को दोबारा अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। विवि प्रशासन ने तीन वर्ष के लिए नियुक्ति की है। मई में अनशन के दौरान डा। ओमशंकर को हटाकर डा। विकास को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, लेकिन 55 दिनों बाद उन्हें नाटकीय तरीके से पद से हटाया था। डा। ओमशंकर को दोबारा अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी.