वाराणसी (ब्यूरो)। मऊ के सरायलखंसी थाने की पुलिस ने बुधवार को अंतरराज्यीय साइबर अपराधियों के एक संगठित गिरोह को पकडऩे में कामयाब रही। पड़के गए छह साइबर अपराधियों में से एक मऊ के घोसी का निवासी है। शेष आरोपित छत्तीसगढ़, बिहार व झारखंड के रहने वाले हैं। सीओ अंजनी कुमार पांडेय ने बताया कि बिहार, छत्तीसगढ़ व झारखंड में यह गिरोह काफी दिनों से सक्रिय है, अब मऊ में जाल फैलाने
की तैयारी में थे। इसके लिए उन्होंने घोसी के सेमरी जमालपुर निवासी दुर्गेश गिरी से संपर्क साधा था। इसके बाद वह यहां से भी कारोबार शुरू करने वाले थे, इससे पहले इनका कारोबार फलता फूलता ये लोग सरायलखंसी पुलिस के हत्थे चढ़ गए। बताया कि अभी आरोपितों से पूछताछ चल रही है। कई बड़े राज भी निकलकर सामने आए हैं, इस आधार पर पुलिस छापेमारी कर रही है। सीओ ने बताया कि सभी आरोपितों ने आइपीएल में भी सट्टा लगाने की बात कबूली है। प्रारंभिक जांच पड़ताल में अभी तक यह सामने आया है कि ये लोग करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दे चुके हैं। जांच पूरी होने के बाद ही सही तथ्य सामने निकल कर आएगा.
पुलिस अधीक्षक इलामारन के निर्देशन में सरायलखंसी थाने की पुलिस ने अपराधियों को पकडऩे में कामयाब रही, शहर की चांदमारी इमिलिया मोहल्ले से पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर सभी आरोपितों को दबोचा है। अपराधियों के पास से 16 मोबाइल फोन, विभिन्न कंपनियों के 48 सिम कार्ड, 30 एटीएम कार्ड, 15 चेकबुक, तीन पासबुक, चार लैपटाप और दो बाइकें भी बरामद की गई हैं। पकड़े गए साइबर अपराधियों में से दुर्गेश गिरी पुत्र राजेश गिरी मऊ जिले के घोसी थाना के सेमरी जमालपुर गांव का निवासी है। वहीं बिहार के सारण जिला के तेजपुरवा निवासी दीपक कुमार वर्मा, छत्तीसगढ़ के जामुल दुर्ग निवासी पी रोहन कुमार और हिमांशू साहू, बिहार के पटना के धनरूआ थाना के चकजोहरा निवासी रोशन कुमार, झारखंड के रामगढ़ के बरकाकाना निवासी विजय मुंडा शामिल हैं। छापेमारी टीम में प्रभारी निरीक्षक सरायलखंसी प्रवीण कुमार सिंह, एसआइ प्रभातचंद्र पाठक, एसआइ यूटी मनमोहन सिंह आदि शामिल थे.
इस तरह करते थे आनलाइन ठगी : गिरफ्तार साइबर ठगों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह फर्जी दस्तावेज पर बैंक एकाउंट खोलवा अपना मोबाइल नंबर खाते से अटैच कर लेते थे। इसके बाद उसी एकाउंट से आनलाइन सट्टा लगाया जाता था। इसमें पीडि़तों को धन दोगुना करने का झांसा दिया जाता था। जो फंस जाता था, उसकी ठगी कर मोबाइल बंद कर दिया जाता था। यही नहीं किसी को धन की लालच देकर उसका एकाउंट भी प्रयोग कर लेते थे। लाखों रुपये ठगी करने के बाद खाताधारक को भी अच्छी धनराशि देते थे।