वाराणसी (ब्यूरो)। बलिया में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआइए) लखनऊ की टीम जिले के मनियर, रसड़ा, पकड़ी व खेजूरी थाना क्षेत्र के ११ ठिकाने पर छापेमारी कर संदिग्धों से पूछताछ की। इस दौरान इलेक्ट्रानिक उपकरण भी बरामद किया गया है। सुरक्षा को लेकर स्थानीय पुलिस मुस्तैद रही। एसपी देवरंजन वर्मा ने बताया कि एनआइए की टीम जिले में आई थी। स्थानीय स्तर पर टीम की ओर से सहायता मांगी गई थी, उसे उपलब्ध करा दिया गया था। इसके अलावा टीम ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी।
भारत विरोधी साजिश मामले में प्रतिबंधित (माओवादी) संगठन पर कार्रवाई को लेकर शनिवार को एनआइए टीम संदिग्ध ठिकानों की तलाशी के दौरान मोबाइल फोन, सिम कार्ड और मेमोरी कार्ड सहित कई डिजिटल उपकरणों के साथ-साथ प्रतिबंधित नक्सली संगठन के पर्चे जैसे आपत्तिजनक दस्तावेज जप् किए हैं। इसके पहले टीम २०२३ को जिले में सीपीआई (माओवादी) के हथियारों और गोला-बारूद, आपत्तिजनक दस्तावेजों, साहित्य और किताबों की बरामदगी के बाद पांच लोगों की गिरफ्तार किया था। इसके पश्चात टीम जांच में जुटी रही। नौ फरवरी २०२४ को एजेंसी ने मामले में चार आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया है। इसी क्रम में जांच करने फिर जिले में पहुंची थी।
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बलिया में दो दशक पुराना है नक्सल का नाता
जिले में नक्सल इतिहास बहुत ही पुराना है। नक्सली अलग-अलग थाना क्षेत्रों में कई वारदात को अंजाम दे चुके हैं। अब मामला एनआइए के पास पहुंचा है। १५ वर्ष बाद नक्सली गतिविधि से प्रशासनिक महकमे में हलचल मची गई थी। सदर कोतवाली के सहरसपाली में वर्ष २००८ में गांव के सोहन सिंह की गोली मारकर हत्या हुई थी। पुलिस की जांच में नक्सली गतिविधि का सुराग मिलने पर प्रशासन की नींद उड़ गई थी। पूरा क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था। सघन चेकिंग अभियान चला, जिसमें कई घरों में हथियार और बम सहित अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद हुए थे। कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। पुलिसिया कार्रवाई में नक्सल गतिविधियों से जुड़े कई परिवार पलायन कर गए थे। इसके तीन वर्ष बाद २०१२ में सहतवार थाना क्षेत्र के कुशहर गांव में पुलिस वर्दी में आए नक्सलियों ने कुशहर गांव की प्रधान फूलमती देवी की हत्या कर दी थी। इसमें भी छोटे कहार आरोपी था। २०२३ को यूपी एटीएस ने बसंतपुर गांव से पांच नक्सलियों को गिरफ्तार किया था।