वाराणसी (ब्यूरो)। गाजीपुर में जिन अंसारी बंधुओं को आपराधिक छवि का बताकर अपनी पार्टी में कौमी एकता दल का विलय कराने वाले चाचा शिवपाल यादव को अखिलेश यादव ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, उन्हीं अखिलेश ने दो चुनावों में हार के बाद अपनी नीति बदल ली। अल्पसंख्यक वोटों की खातिर सिद्धांत की राजनीति को ताख पर रख दिया। उन्हीं अंसारी बंधुओं में से सबसे बड़े सिबगतुल्लाह और उनके बेटे को पार्टी में शामिल किया। बेटे को विधायक बनवाया और अब बसपा सांसद अफजाल अंसारी को गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से पार्टी का टिकट दे दिया।
वोटों की राजनीति की खातिर कैसे कोई राजनीतिज्ञ या उसकी विचारधारा नेपथ्य में चली जाती है, उसका साक्षात उदारहण बन गए हैं सपा मुखिया। हाल यह कि पार्टी की जिस युवा लाबी ने उस दौर में इंटरनेट के विभिन्न मंचों पर पोस्ट कर खुद को समाजवादी के बजाय अखिलेशवादी कहना आरंभ किया और अपराध की राजनीति से अलग होने पर भरपूर समर्थन किया आज उन्हीं युवा समर्थकों की पोस्ट मुख्तार का गुणगान करने में जुटी है।
बात 2012 से आरंभ होती है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने विदेश से पढ़कर आए युवा बेटे के हाथों में विरासत सौंप दी। पार्टी ने नया नारा गढ़ा- च्युवा सोच-युवा जोशज्। गांव-गांव, गली-गली, साइकिल चली और अखिलेश के नेतृत्व में सरकार बनी। डायल 100 पुलिस सेवा, 108 निश्शुल्क एंबुलेंस सेवा, एक्सप्रेस वे आदि देकर अखिलेश ने विकास के रास्ते पर कदम रखा लेकिन पांच वर्ष के कार्यकाल में बढ़ी अपराध की आंधी और छिन्न-भिन्न कानून व्यवस्था, नौकरियों में भ्रष्टाचार आदि ने 2017 के चुनाव में सत्ता से बेदखल करा दिया। अखिलेश को सच्चाई समझ में आई और उन्होंने अपराधियों से दूरी बनाने का फैसला किया। इसी बीच पार्टी को और मजबूती दिलाने के लिए चाचा शिवपाल सिंह यादव ने पूर्वांचल की राजनीति में मुस्लिम वोटों पर पकड़ रखने वाले मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का सपा में विलय करा दिया। पार्टी की छवि सुधारने में लगे अखिलेश को चाचा की यह रणनीति पसंद नहीं आई और उन्होंने अंसारी बंधुओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसे लेकर शिवपाल से लेकर मुलायम सिंह यादव तक आहत हुए तो अखिलेश ने उन्हें भी नहीं बख्शा। नतीजा, पार्टी दो फाड़ हो गई। चाचा शिवपाल ने नई पार्टी बना ली। अब वही अखिलेश अंसारी बंधुओं से राजनीतिक फायदा उठाने के लिए उन सिद्धांतों को पीछे छोड़ चले है।
रात में ही पहुंच गए थे सपा के कई नेता :
कभी निर्दल, कभी सपा, बसपा, सुभासपा तो कभी अपनी ही पार्टी कौमी एकता दल के टिकट या समर्थन से चुनाव जीतते रहे मुख्तार के जनाजे में शामिल होने के लिए सपा के कई नेता शुक्रवार रात से ही पहुंचने लगे थे। शुक्रवार सुबह पूर्व मंत्री व सपा विधायक ओमप्रकाश सिंह ने घर पहुंचकर अफजाल अंसारी, सिबगतुल्लाह अंसारी, सुहेब अंसारी से मुलाकात की। दोपहर में गाजीपुर सदर विधायक जयकिशन साहू, जंगीपुर विधायक वीरेंद्र यादव, सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश कुशवाहा, नन्हकू यादव, रामधारी यादव, पूर्व विधायक राजेंद्र यादव, पूर्व ब्लाक प्रमुख शारदानंद राय आदि पहुंचे थे। रात में शव आने से कुछ देर पहले आजमगढ़ के अतरौलिया के पूर्व विधायक संग्राम यादव, आजमगढ़ सदर विधायक दुर्गा प्रसाद यादव, मुबारकपुर विधायक अखिलेश यादव, गोपालपुर विधायक नफीस अहमद आदि पहुंचे। सपा के पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी भी सुबह जनाजे में शामिल हुए।