वाराणसी (ब्यूरो)भदोही, इजरायल-फलस्तीन युद्ध के चलते करीब आठ माह से खाड़ी देशों में अफरा तफरी का आलम हैइस बीच ईरान ने इजरायल पर हमला कर गंभीर संकट का संकेत दे दिया हैविशेषकर खाड़ी देशों को होने वाला शिपमेंट ठप होने के खतरा खड़ा हो गया हैदोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो मंदी के दौर से गुजर रहे कालीन उद्योग को तगड़ा नुकसान होगाइसे लेकर कालीन निर्यातकों की धड़कन बढ़ गई है.

तब हुआ था होल्ड

करीब चार माह पहले इजरायल-फलस्तीन घमासान के चलते इजरायल, इजिप्ट व लेबनान के आयातकों ने दो सौ करोड़ का माल होल्ड करा दिया थाहालात सामान्य होने के बाद पिछले माह शिपमेंट शुरू हुआ था कि ईरान के हमले के बाद संकट फिर से गहरा गया हैकारण है कि जनपद के 60 से अधिक निर्यातक इजरायल, यूनाइटेड अरब अमीरात, सउदी अरब, कतर, लेबनान सहित अन्य खाड़ी देशों को कालीन निर्यात करते हैंइजरायल को प्रति वर्ष आठ से नौ यूएस मिलियन डालर का कालीन निर्यात किया जाता है जबकि यूनाइटेड अरब अमीरात को 43 से 45 व सउदी अरब को 10 से 12 मिलियन डालर का निर्यात किया जाता हैइजरायल-फलस्तीन के बीच युद्ध के चलते कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ा हैयुद्ध के चलते नया आर्डर मिलना बंद हो गया है जबकि पुराने आर्डर की डिलीवरी ठप होने की आशंका है.

72 देशों में निर्यात

भारत से विश्व के करीब 72 देशों को कालीन निर्यात किया जाता हैनिर्यात के मामले में यूनाइटेड अरब अमीरात आठवें नंबर पर है जबकि सउदी अरब 23वें तथा इजरायल 25वें स्थान पर हैइसी तरह लेबनान, कतर, टर्की, कुवैत, ओमान सहित कई देशों में भारतीय कालीनों का अच्छा खासा निर्यात किया जाता हैअमेरिका भारतीय कालीनों का सबसे बडा खरीदार देश हैवर्ष 2021-22 वित्तीय वर्ष के आंकडों पर नजर डालें तो भारत से अमेरिका को 1281.29 यूएस मिलियन डालर का कालीन निर्यात किया गया थाजबकि आठवें नंबर के खरीदार यूनाइटेड अरब अमीरात को 43.93 मिलियन डालर, 25 नंबर के इजरायल को 8.87, 23वें नंबर के सउदी अरब को 10.35, 32वें नंबर के टर्की को 5.09, 33वें नंबर के कतर को 4.63, 40वें नंबर के कुवैत को 2.54 यूएस मिलियन डालर का निर्यात किया गया हैइसी तरह लेबनान व इजिप्ट के ग्राहक भी भारतीय कालीनों की खरीदारी करते हैं.

इजरायल-फलस्तीन युद्ध से कालीन व्यवसाय पर विपरीत प्रभाव पडा हैपिछले दिनों इजरायल के तीन ग्राहकों ने शिपमेंट होल्ड करवा दिया थाइसी तरह लेबनान व इजिप्ट के ग्राहकों ने भी माल भेजने से मना कर दिया थापिछले माह हालात में सुधार होने पर शिपमेंट शुरू हो गया था लेकिन ईरान के हमले के बाद स्थिति फिर से बिगडऩे की आशंका उत्पन्न हो गई हैखाड़ी देशों से पिछले छह माह से न तो नए आर्डर मिल रहे हैं न ही ग्राहकों की आमद हो रही हैशिपमेंट ठप हो गया तो पुराने का आर्डर का माल भी रुक जाएगा.

संजय गुप्ता, कालीन निर्यातक