वाराणसी (ब्यूरो)। भाद्रपद शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि पर भदैनी के लोलार्क कुंड में सोमवार को लाखों आस्थावानों ने संतान प्राप्ति और वंश वृद्धि की कामना से आस्था की डुबकी लगाई। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रविवार को मध्य रात्रि 12 बजे से ही कतारबद्ध आस्थावान कुंड में स्नान करने के लिए उतर गए। सोमवार की रात तक लाखों दम्पतियों ने मनोकामनापूर्ण डुबकी लगाई।
दो लाख से अधिक लोगों ने लगाई डुबकी
वहीं, पूरे क्षेत्र में देश में विभिन्न प्रांतों सहित आसपास के जनपदों से करीब डेढ़ से दो लाख लोगों की भीड़ रही। संकरी गली में सदियों से स्थापित गहरे कुंड तक पहुंचने के लिए स्नान करने वाले पुरुषों और महिलाओं की डेढ़ से दो किलोमीटर लम्बी कतार लगी रही।
दो दिन पहले से कतारबद्ध
संतान प्राप्ति की कामना और कामना के पूर्ण होने पर पहुंचे श्रद्धालुओं की लाइनें दो दिन पहले ही लगनी शुरू हो गई थी। मध्यरात्रि 12 बजे कुंड की पूजन-आरती हुई। इस दौरान पूरा परिवेश डमरुओं की डिम-डिम से गूंज उठा। पूजनोपरांत तिथि अनुरूप स्नान शुरू हुआ जो रात तक चलता रहा।
समूह में कराया गया स्नान
लोलार्क कुंड के निकट मुख्य मार्ग के दोनों ओर दूर तक बैरिकेडिंग की गई थी। सुबह आठ बजे स्थिति यह थी कि एक तरफ भदैनी से जंगमबाड़ी के आगे तक तो दूसरी ओर लंका तक कतार पहुंच गई थी। कुंड के आस-पास स्थान की कमी के कारण 100-100 लोगों के समूह को बारी-बारी से स्नान के लिए छोड़ जा रहा था।
एक ओर प्रवेश, दूसरी ओर निकास
एक समूह के दम्पतियों द्वारा स्नान करके कुंड से निकलने के बाद ही दूसरे समूह को आगे जाने दिया जा रहा था। वहीं, कुंड में एक ओर स्नान के लिए प्रवेश तो दूसरे ओर निकास की व्यवस्था बनायी गयी थी। स्नान करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों को अपनी बारी के लिए घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ी।
एक सब्जी का किया त्याग
लोलार्क कुंड में स्नान के दौरान दंपतियों ने जो वस्त्र धारण किए थे उन्हें वहीं छोड़ दिया। स्नान के दौरान ही दंपतियों ने एक-एक सब्जी का त्याग भी किया। स्नान व सब्जी या फल दान के बाद दंपतियों ने लोलार्केश्वर महादेव का दर्शन भी किया।
कपड़ों का ढेर
स्नान के बाद कुंड और सड़कों के किनारें कपड़ों व चप्पलों का ढेर लगा हुआ था। मान्यता यह है कि पुत्रप्राप्ति की कामना से स्नान करने वालों को भगवान सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए किसी एक सब्जी का त्याग कर देना चाहिए। उसका पालन करते हुए बहुतेरे लोगों ने स्नान के उपरांत लौकी और कोहड़ा जैसी सब्जियां भी कुंड में प्रवाहित की।
क्री कुंड में स्नान
स्नान करने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने रवींद्रपुरी स्थित क्रीं-कुंड में भी स्नान किया। यहां स्नान करने के पीछे रोगों मुक्ति पाने की कामना मुख्य थी।