वाराणसी (ब्यूरो)। स्टूडेंट की पढ़ाई को लेकर अभी हाल ही में एनसीईआरटी ने एक काफ्रेंस मीटिंग के जरिए सीबीएसई, आईसीएस और यूपी बोर्ड के स्कूल्स को कनेक्ट किया। इसमें बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी मेंटल हेल्थ अच्छी कैसे रखें, इस पर भी चर्चा की गई। आखिर कैसे टीचर्स बच्चों के फेस एक्सप्रेशन से ये समझ सकते हैं कि उनकी मेंटल स्टेटस ठीक है या नहीं। इसके लिए टीचर्स को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। साथ ही टीचर्स को ये भी टास्क दिया गया है कि अगर कोई स्टूडेंट पढ़ाई में वीक है तो वह उस पर प्रेशर डाले बिना पढाई में हेल्प करे।
टीचर्स को मिला ये टास्क
टीचर्स स्टूडेंट्स को शिक्षा प्रदान करने के अलावा मेंटल और इमोशनल तौर पर भी मजबूत बनाने में मदद करते हैं। उचित मार्गदर्शन मिलने पर स्टूडेंट अपने फ्यूचर को उज्जवल बनाते हैं। दरअसल, बच्चों का जीवन मकड़ी के जाल के समान उलझा हुआ होता है। उसे टीचर्स अपनी गाइडेंस और सलाह के माध्यम से कठिनाइयों से बाहर निकलने में मदद करते हैं। इसलिए टीचर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है कि वे कैसे स्टूडेंट की हेल्थ मेंटल और इमोशनल तौर पर पढ़ सकते हैं।
टीचर्स डाल सकते हैं स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ पर पॉजिटिव इफेक्ट
1. टीचर स्टूडेंट रिलेशनशिप
शिक्षक और छात्र के बीच अगर अच्छा संबध हों तो उससे रिश्तों में सहानुभूति, विश्वास और पॉजिटिविटी आती है। साथ ही बच्चों की मेंटल हेल्थ में सुधार होता है। इससे स्टूडेंटस के अंदर आत्मविश्वास होने लगता है।
2. मोटिवेट करना
कई बार टीचर्स का मोटिवेशन स्टूडेंट्स के इरादों को मज़बूती प्रदान करने में मदद करते हैं। ऐसे में शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों को उनकी ताकत खोजने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे बच्चों का ज्ञान तो बढ़ता ही है और खुद पर भी विश्वास बढऩे लगता है। इससे बच्चा खुलकर पार्टिसिपेट करने लगता है।
3. कम्युनिकेशन है ज़रूरी
बच्चों में कुछ वक्त की गई बातचीत उनके मन की स्थिति को जानने का आसान ज़रिया है। ऐसे में बच्चों में समस्याओं को हल करने की क्षमता बढऩे लगती है। ये क्षमता युवाओं को लाइफ टाइम अच्छी मेंटल हेल्थ बनाए रखने में मदद करती है। अगर हम बच्चों को मानसिक तौर पर मज़बूत बनाएंगे, तो वे किसी भी हालात का डटकर सामना करने के लिए तैयार रहेंगे।
4. मेंटल हेल्थ के बारे में बातचीत
मेंटल हेल्थ के बारे में बच्चों से बातचीत बेहद ज़रूरी है। अगर टीचर्स को बच्चे की मेंटल हेल्थ को समझना है तो वह उनके फेस एक्सप्रेशन पढ़कर पता लगा सकते हैं। इससे बच्चों के मन में आने वाले भावों के बारे जानकारी हासिल होती है। इसके अलावा बच्चों के मन में इस बात को बैठाना बेहद ज़रूरी है कि उनके अंदर कुछ न कुछ स्पेशल जरूर है। जिससे बच्चा खुद के अंदर उस स्किल को तलाशे।
स्टूडेंट पेरेंट्स के बाद टीचर्स के साथ सबसे ज्यादा समय बिताते हैं। इसलिए बच्चे के मन में कोई परेशानी चल रही है तो वह उसके फेस एक्सप्रेशन से समझ सकते हैं। इससे बच्चों को काफी हेल्प होगी।
सुधा सिंह, प्रिंसिपल, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल
बच्चों की मेंटल हेल्थ को समझना बेहद जरूरी है। कई बार वह प्रेशर के चलते गलत कदम भी उठा लेते हंै। इसलिए बच्चों को मोटिवेट करना बहुत जरूरी है कि वह खास है।
नीलम सिंह, प्रिंसिपल, संत अतुलानंद स्कूल