वाराणसी (ब्यूरो)। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय (एसएसवी) में बनारस और साउथ अमेरिका के छात्र एक साथ मिलकर भारतीय ज्ञान पर शोध करेंगे। इस शोध के जरिए साउथ अमेरिका और बनारस के स्टूडेंट व शोधार्थी एक-दूसरे देशों के कल्चर गैप को पाटने का भी काम करेंगे। इसके लिए एसएसवी ने सोमवार को साउथ अमेरिकी इंस्टीट्यूट के साथ एकेडमिक समझौते पर हस्ताक्षर किया किया।
सहेजेंगे एक-दूसरे की परंपराएं
इक्वाडोर स्थित सेंट्रो लैटिनो अमेरिकानो डी एस्टुडियोस वेदिको (सीएलईवी) के स्टूडेंट काशी की संस्कृति और भारत की परंपराओं को सहेजेंगे। इक्वाडोर डेलिगेशन और एसएसवी के वीसी प्रो। बिहारी लाल शर्मा और सीएलईवी के निदेशक बारबरा फ्लोरेस समेत 10 से ज्यादा प्रोफेसरों के समक्ष यह समझौता कॉलेेज कैंपस में किया गया। वीसी की मानें तो यह एकेडमिक समझौता भारत और साउथ अमेरिका बीच के कल्चर की दूरी को कम करने की एक कवायद है। इसके तहत दोनों संस्थान अपने-अपने देशों की एकेडमिक सुविधाएं, कल्चरल रिसर्च, रिसर्च पेपर, लाइब्रेरी और एग्जिबशन व परंपराओं को साझा करेंगे।
विदेश में भारतीय ज्ञान
विवि के वीसी प्रो। बिहारी लाल शर्मा ने बताया भारतीय ज्ञान और परंपरा का झंडा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहराएगा। वहीं, इक्वाडोर सेंट्रो लैटिनोअमेरिकानो डी एस्टुडियोस वेदिको के निदेशक बारबरा फ्लोरेस ने बताया कि दोनों संस्थाओं के बीच हुए इस करार से दोनों संस्थाओं के स्टूडेंट्स को ज्ञान और परंपराओं का बड़ा खजाना मिलेगा। इस समझौते के दौरान जॉर्ज सार्मिएंटो टकर निदेशक ईवीडी सीएलईवी, प्रभारी कुलसचिव प्रो रमेश प्रसाद, प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो। रामपूजन पाण्डेय, प्रो सुधाकर मिश्र, प्रो.
जितेन्द्र कुमार शाही, प्रो.हीरक कांत चक्रवर्ती, प्रो विजय कुमार पाण्डेय आदि मौजूद रहे।
समझौते का उद्देश्य
- संकाय और छात्रों के लिए अकादमिक आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना.
- सहयोगात्मक अनुसंधान और शोध निष्कर्षों को साझा करने को प्रोत्साहित करना.
- पुस्तकालय सामग्री और प्रकाशन सहित अकादमिक संसाधनों का आदान-प्रदान करना.
- प्रदर्शनियों, प्रदर्शनियों और अकादमिक संगोष्ठियों सहित सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित करना.
-अल्पकालिक यात्राओं, पाठ्यक्रमों और शोध कार्यक्रमों के लिए संकाय और छात्र गतिशीलता की सुविधा प्रदान करना.
- संयुक्त डिग्री कार्यक्रम विकसित करने की संभावना का पता लगाना.
पांच साल के लिए समझौता
- समझौता ज्ञापन 5 वर्षों के लिए प्रभावी होगा और संयुक्त समिति द्वारा आवधिक समीक्षा के अधीन होगा.
- कोई भी संशोधन आपसी सहमति से किया जाएगा.
- समझौता ज्ञापन को लागू करने के साथ उसकी मॉनिटरिंग के लिए संयुक्त कमेटी बनाई जाएगी.
- रिसर्च प्रोजेक्ट पर सहयोग किया जाएगा।
यह एकेडमिक समझौता भारत और साउथ अमेरिका के बीच कल्चर की दूरी को कम करने की कवायद है। भारतीय ज्ञान और परंपरा का झंडा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहराएगा।
प्रो बिहारी लाल शर्मा, वीसी एसएसवी