वाराणसी (ब्यूरो)। हरियाली तीज पर महिलाओं ने व्रत रखकर शिव मंदिरों में पूजन अर्चन कर पति की लंबी उम्र की कामना की। इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं, क्योंकि ये सावन के शुक्ल पक्ष में आती है। इस त्योहार पर सुहागन महिलाएं सौलह श्रृंगार करती हैं। भगवान शिव-पार्वती की विशेष पूजा करती हैं और निर्जला यानी बिना पानी पीए व्रत रखती हैं। बुधवार को हरियाली तीज के चलते पूरे बनारस शहर में रौनक दिखाई दी। मंदिरों में देर रात तक दर्शनों के लिए भीड़ उमड़ी रही। महिलाओं ने मेहंदी लगवाकर और हरी चूड़ी पहनकर अपना श्रंगार किया। और पति की लंबी आयु के लिए व्रत भी रखा।
ये है पौराणिक मान्यता
हरियाली तीज पर शिवजी ने पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। पार्वती की तपस्या से भोलेनाथ खुश हुए। माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही शिवजी ने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। यही वजह है कि इस व्रत से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।
पूजा से जुड़ी जरूरी बातें
सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। फिर पीपल को जल चढ़ाते हैं। इसके बाद मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजते हैं। सोलह श्रृंगार करने के बाद महिलाएं पूजा करती हैं और पूजा की थाली में सुहाग की सभी चीजें रखी जाती हैं। पूरे दिन व्रत-उपवास रखा जाता है। सुबह-शाम भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।
झूला झूलने की परंपरा
हरियाली तीज पर सुहागिनें हरे रंग को प्राथमिकता देती हैं। यह प्रकृति की समृद्धि और समृद्ध जीवन का प्रतीक है। वे हरे रंग की चूडिय़ां और हरे रंग के कपड़े पहनती हैं। इस दौरान महिलाएं सोलह शृंगार कर हाथों में मेहंदी लगाती हैं। नवविवाहित वधू यह पर्व मायके में मनाती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की मंगल कामना करती हैं। हरियाली तीज के मौके पर खासतौर से पूजा-पाठ के बाद महिलाएं एक-दूसरे को झूला झुलाती हैं। इस दौरान सावन के गीत भी गाए जाते हैं।