वाराणसी (ब्यूरो)। Varanasi News: वाराणसी में अर्बन ट्रांसपोर्ट रोप-वे का काम जारी है। हालांकि, मेट्रो रेल तो सपना है। बावजूद इसके डिजिटल ट्रैक पर रोप-वे भी चल रहा है और मेट्रो का नया प्रपोजल भी खूब वायरल हो रहा है। वाराणसी में 2016 से मेट्रो चलाने को लेकर कवायद शुरू हुई। इस प्रोजेक्ट पर खूब मंथन भी हुआ था। ग्राउंड लेवल पर राइट्स संस्था ने काफी काम भी किया था। प्रदेश सरकार ने बजट भी जारी किया था। खुद मेट्रो मैन ई श्रीधरन भी वाराणसी आए थे। उन्होंने राइट्स के सुझाए मार्ग पर निरीक्षण भी किया था। विजिबिलिटी भी देखी थी। जाते-जाते कहा था कि वाराणसी में मेट्रो दौड़ाना मुमकिन नहीं है। इसके बाद इसके ऑप्शन भी जोर दिया गया तो रोवपे प्रोजेक्ट लांच किया गया। इस पर भी काम चल रहा है। लगभग 70 फीसद तक काम हो चुका है। देव दीपावली के पहले कैंट से रथयात्रा तक यात्रा शुरू करने का टारगेट है।
2016 में यह था प्रस्ताव
काशी में 2016 के दौरान मौजूदा सरकार ने कहा था कि मेट्रो रेल परियोजना पर इसी साल अगस्त में काम शुरू होगा। वाराणसी के विकास की इस परियोजना के साकार होने के बाद शहर में यातायात की समस्या दूर होगी। जाम से मुक्ति मिलेगी और समय से लोग अपने गंतव्य तक पहुंचेंगे। परियोजना पर दो चरणों में काम होगा। कुल 29.3 किलोमीटर लंबे मेट्रो कॉरिडोर पर 12,256 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पहले चरण में बीएचयू से भेल (तरना) तक 19.3 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल लाइन बिछाई जाएगी। पहले चरण में 8418 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। पहले चरण का काम 2021 तक पूरा होने का लक्ष्य है। दूसरे चरण में बेनियाबाग से सारनाथ स्टेशन तक मेट्रो रेल दौड़ेगी। 9.88 किमी लंबे इस रूट पर 3838 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसमें कुल आठ मेट्रो स्टेशन होंगे। शिवपुर के गणेशपुर में वर्कशॉप और बेनियाबाग में टर्मिनल बनाया जाएगा। इस पर 2021 में काम शुरू होगा।
रोपवे का 70 फीसद काम पूरा
देश का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोप-वे देव दीपावली से वाराणसी में शुरू हो सकता है। पहले चरण में वाराणसी जंक्शन कैंट रेलवे स्टेशन से रथयात्रा तक की सुगम यात्रा होगी। इस प्रोजेक्ट का लगभग 70 काम पूरा हो चुका है। बाकी 30 फीसद पर तेजी से काम चल रहा है। रोप-वे के निर्माण के लिए स्विटजरलैंड से लाए गए उपकरण इंस्टॉल किए जा रहे हैं। रोप-वे के निर्माण पर 807 करोड़ रुपए की लागत आएगी। यह काम स्विट्जरलैंड की कंपनी बर्थोलेट कर रही है।मेट्रो को लेकर आए कमेंट
- पूर्णेंदु विश्वकर्मा लिखते हैं कि अभी मेट्रो का सपना पूरा होने में बहुत वक्त है।
विनोद कुमार सेठ लिखते हैं कि बनारस में सीवर सही बना नहीं पा रहे हैं, मेट्रो कैसे दौड़ेगी। यह सूचना गलत है।
रवींद्र नाथ सिंह लिखते हैं कि वाराणसी में मेट्रो प्रोजेक्ट तो कैंसिल हो चुका है। रोपवे का काम चल रहा है।
आलोक कुमार लिखते हैं कि बनारस में मेट्रो की जरूरत नहीं है। प्रमुख मार्गों पर बैटरी बसों के साथ ऑटो और ई-रिक्शा कम करें।
दीपू कुमार साहनी लिखते हैं कि अभी रोपवे पूरा हुआ नहीं, मेट्रो कहां से आ गई। पब्लिक को भ्रमित न करें।
राज सिंह लिखते हैं कि बनारस में जाम की समस्या बहुत ज्यादा है, क्योंकि सड़कें संकरी हैं। लोगों ने सड़क पर कब्ज़ा किया हुआ है। पहले सड़कें और सीवर सही हो जाए।
सुहैल अहमद लिखते हैं कि बनारस में मेट्रो का काम आसान नहीं है।
नवीन चतुर्वेदी लिखते हैं कि सोच अच्छी है, लेकिन अफसोस ये कभी पूरी नहीं होगी। ये नक्शे तक सीमित रह जाएगी।
कृष्णा श्रीवास्तव लिखते हैं कि बनारस में जमीन से 30 मीटर नीचे गंगा 8 किलोमीटर तक बह रही हैं, इसलिए यहां मेट्रो नहीं बन सकती। बहुत खतरा है।
रोपवे स्टेशन बनाने का कार्य काशी स्टेशन पर शुरू होने जा रहा है। मेट्रो के बारे में काई जानकारी नहीं है। रोपवे का काम अभी चल रहा है।
पूजा मिश्रा, डायरेक्टर, रोपवे