वाराणसी (ब्यूरो)। कोलकाता में महिला डाक्टर से दङ्क्षरदगी व हत्या के मामले में बीएचयू में शुरू हुई सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंटों की हड़ताल मरीजों पर भारी पड़ रही है। बुधवार को कई मरीज बिना इलाज ही लौटा दिए गए। चार सौ से अधिक रेजिडेंट विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। अब उनकी मांग है कि अगर रेजिडेंटों के साथ कोई घटना होती है तो मुकदमा अस्पताल प्रबंधन और विभागाध्यक्ष को दर्ज कराना होगा। उनकी तरफ से कोई तहरीर नहीं दी जाएगी, इस मांग पर गतिरोध बना हुआ है। मरीजों को हो रही परेशानी को देखते हुए आइएमएस निदेशक प्रो। एनएन संखवार ने नोटिस जारी किया है। कहा कि प्रकरण में सख्ती की जाएगी। जितने दिन रेजिडेंट हड़ताल पर रहेंगे, उन्हें उस दिन का वेतन नहीं दिया जाएगा। दिसंबर में आयोजित परीक्षा में भी इसका असर देखने को मिलेगा। इसके पहले रेजिडेंट बैनर लेकर आइएमएस कार्यालय पर धरना दिए। उनका आरोप है कि मांगों को पूरा नहीं किया गया है जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि रेजिडेंटों की अधिकांश मांगें मान ली गई है। ओपीडी में केवल कंसल्टेंट ही बैठे रहे।
इससे मरीजों की भीड़ ओपीडी के अंदर से बाहर तक लगी रही। हड़ताल का असर आपरेशन थियेटर से लेकर जांच काउंटर तक देखने को मिलेगा। कई सर्जरी टाल गई। केवल इमरजेंसी सर्जरी ही की गई। रेजिडेंटों का कहना है कि किसी भी स्वास्थ्य कर्मी के खिलाफ ड्यूटी के दौरान ङ्क्षहसा होने पर संबंधित संस्थान के प्रमुख की जिम्मेदारी होगी कि वह घटना के अधिकतम छह घंटे के भीतर संस्थागत एफआइआर दर्ज कराए। इस संबंध में आठ सूत्रीय मांग पत्र चिकित्सा अधीक्षक डा। केके गुप्ता को सौंपा। कहा कि अस्पताल में होने वाली चिकित्सकों के साथ अभद्र व्यवहार और मारपीट, तोडफ़ोड़ होने पर अस्पताल के मुख्य चिकित्सक अधिकारी इसकी जिम्मेदारी लें। यह स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सरकारी अस्पतालों को पत्र भेजा चुका है और सब अस्पतालों में लागू हो चुका है। सर सुंदरलाल अस्पताल में व्यवस्था लागू करने में क्यों देरी हो रही है। अगर दो दिन तक कोई पत्र नहीं जारी होता है तो प्रकरण की शिकायत स्वास्थ्य मंत्रालय से की जाएगी।