वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी और मेरठ के बीच लंबे समय से पड़ी खाई अब खत्म होगी। इसके लिए केंद्र के रेलवे मंत्रालय और प्रदेश सरकार के यूपीडा ने पहल की है। मेरठ से लखनऊ के बीच चल रही वंदे भारत एक्सप्रेस को वाराणसी स्टेशन तक विस्तार करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसी तरह मेरठ से प्रयागराज तक निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे के रूट में बदलाव किया गया है। अब यह एक्सप्रेस-वे वाराणसी से होकर बलिया तक ले लाने की योजना बनी है। यह गंगा एक्सप्रेस-वे वाराणसी में सदर तहसील के 53 और पिंडरा के 22 गांव से होकर गुजरेगा। इन दोनों परियोजना से मेरठ और वाराणसी के बीच कनेक्टिविटी के साथ स्पोट्र्स को रफ्तार मिलेगी और कारोबार, धार्मिक दृष्टि से रीच भी बढ़ेगी।
खुलेगा सीधा रास्ता
वाराणसी और मेरठ के बीच धार्मिक, सामाजिक और व्यावसायिक स्तर पर काफी समानता है। बनारस में बाबा विश्वनाथ तो मेरठ में बाबा औघडऩाथ का मंदिर है। दोनों शहर के वाशिंदे भगवान शंकर के भक्त हैं। गंगा नदी से भी जुड़ा है। मुस्लिम आबादी भी अच्छी खासी है। तीज-त्योहार को लेकर काफी उत्साह रहता है। इतना सबकुछ होने के बाद भी वाराणसी और मेरठ के बीच रेल और रोड से सीधी कनेक्टिविटी नहीं थी। मेरठ जाने के लिए हापुड़ या गाजियाबाद से होकर जाना पड़ता था, लेकिन गंगा एक्सप्रेस-वे और वंदेभारत ट्रेन ने मेरठ के लिए सीधा रास्ता खोल दिया है।
ये होंगे फायदे
- वाराणसी के गंजारी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण चल रहा है। इसके पूरा होने पर आईपीएल, वल्र्ड कप समेत इंटरनेशनल क्रिकेट मैच होंगे। इससे यहां भी स्पोट्र्स को रफ्तार मिलेगी। स्पोट्र्स हब मेरठ से खेलकूद का सामान इंपोर्ट होगा।
- धार्मिक दृष्टि से वाराणसी से हरिद्वार वाया मेरठ जाने में काफी सहूलियत होगी। वाराणसी और हरिद्वार में गंगा स्नान का बढ़ा महत्व है। इन दोनों शहरों के बीच रेल और रोड की कनेक्टिविटी होने से श्रद्धालुओं को काफी फायदे होगा।
- मेरठ में कैंची, जेम्स, शुगर, डेयरी का व्यापक स्तर पर कारोबार होता है। इसी तरह वाराणसी में साड़ी, गुलाबी मीनाकारी, स्टोन क्राफ्ट, पान, मिठाई समेत कई चीजों का कारोबार होता है। रेल और रोड की कनेक्टिविटी होने से दोनों शहरों के कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।
रूट में हुआ ये बदलाव
गंगा एक्सप्रेस-वे प्रयागराज से मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, गाजीपुर होते हुए बलिया तक जाएगा। वर्ष 2021 में इसे प्रयागराज से मिर्जापुर होते हुए वाराणसी रिंग रोड तक प्रस्तावित किया गया था। कुछ कारणों से गंगा एक्सप्रेसवे के रूट में बदलाव हुआ है। एक्सप्रेसवे अब गंगा के बाएं 10 किलोमीटर के रेंज से ही गुजरेगा। इससे एक्सप्रेस-वे के लिए गंगा पर कोई पुल का निर्माण नहीं बनना करना होगा। बलिया तक गंगा एक्सप्रेस-वे पर वरुणा, गोमती आदि नदियों के ऊपर से गुजरेगा।
दूसरे चरण में पांच और जिलों से गुजरेगा
इस मेगा प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में प्रदेश के पांच और जिले इससे जुड़ जाएंगे। इस चरण में इसे प्रयागराज से आगे मिर्जापुर से बिहार की सीमा पर स्थित बलिया तक बढ़ाया जाएगा। इस दौरान ये मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी और गाजीपुर होते हुए यह बलिया पहुंचेगा। गंगा एक्सप्रेस-वे का दूसरा चरण 350 किलोमीटर का होगा। दोनों चरण मिलाकर कुल लंबाई करीब 950 किलोमीटर की हो जाएगी, और यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे बन जाएगा।
वाराणसी के ये गांव चिह्नित
पिंडरा तहसील के अंतगर्त आने वाले परानापुर, आराजी चंद्रावती, रैपुरा, गुरवट, कनकपुर तिवारीपुर, रामदत्तपुर, करोमा, गहरवारपुर, दुनियापुर, भटौली, सुरवां, गोकुलपुर, पश्चिमपुर, पूरबपुर, खानपट्टी, पयागपुर, पलिया शंभूपुर, पुवारी खुर्द, हरदासपुर, नोनौटी, लुच्चेपुर, सराय काजी, गड़वा, पट्टी जमन पयागपुर, पांडेयपुर और रामपुर। इसी तरह सदर तहसील के पांडेयपुर, रजवारी, रखौना खजूरी, कल्लीपुर, नागेपुर, बेनीपुर, मेहंदीगंज, हरसोस, दिनदासपुर, परमानंदपुर, सरौनी, राखी, कुरसातो, रामकिशुनपुर, भटौली, सिहोरवा, तलुवा, काशीपुर, पृथ्वीपुर, खेवली, भतसार, मरूई, आयर, सरईयां, सुलेमापुर, भटपुरवा कला, भैटोली, कोहासी, गोसाईंपुर मोहांव, रौनाकलां, रौनाखुर्द, टेकारी, हडिय़ाडीह, बार्थरा खुर्द, अजांव, हरवंशपुर, गरथौली, कौवापुर, बहरामपुर, बिरनाथीपुर, ऊगापुर, धौरहरा, कुरेसिया, भगवानपुर खुर्द, सरैया, डेंगरूपुर, धौरहरा और रसूलपुर गांव को गंगा एक्सप्रेस-वे शामिल किया गया है।
56 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट
गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण का कुल बजट 56,000 करोड़ रुपये है। इसमें पहले चरण की कुल निर्माण लागत 37,350 करोड़ रुपये अनुमानित है। इसमें करीब 9500 करोड़ रुपये की भूमि अधिग्रहण लागत भी शामिल है। गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण यूपीडा कर रहा है। सरकार का लक्ष्य कुंभ से पहले 2024 के दिसंबर तक इसका निर्माण कराने का था, लेकिन बारिश की वजह से इसमें देरी हो सकती है।
खाली चल रही 60 प्रतिशत सीटें
मेरठ से लखनऊ के बीच चल रही वंदे भारत एक्सप्रेस को यात्री नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में ट्रेन का विस्तार वाराणसी स्टेशन तक करने की तैयारी की जा रही है। इससे लखनऊ से वाराणसी जाने वाले यात्रियों को राहत हो जाएगी। साथ ही रेलवे की आमदनी भी बढ़ेगी। कुछ दिनों पहले ही मेरठ से लखनऊ के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन शुरू किया गया है। ट्रेन में औसतन 60 से 65 प्रतिशत तक सीटें खाली चल रही हैं। टिकट महंगा होने के कारण यात्री रूट पर चलने वाली राज्यरानी एक्सप्रेस व नौचंदी को तरजीह दे रहे हैं।
यात्री बढ़ाने के लिए विस्तार की तैयारी
सेमी हाईस्पीड ट्रेन होने के बावजूद वंदे भारत को सात घंटे से अधिक का वक्त मेरठ की दूरी तय करने में लगता है। रेलवे के मुताबिक ट्रेन को विस्तार देने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत ट्रेन को वाराणसी तक चलाया जा सकता है। इसके लिए फिजिबिलिटी चेक की जा रही है। माना जा रहा है कि ट्रेन के वाराणसी तक विस्तार से यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। लखनऊ से वाराणसी के लिए अभी शटल ट्रेन, बरेली वाराणसी सहित कई ट्रेनें हैं, ऐसे में वंदे भारत का संचालन होने से यात्रियों को भी राहत होगी। साथ ही ट्रेन की ऑक्यूपेंसी 80 से 90 प्रतिशत तक पहुंच सकेगी और ट्रेन का संचालन मुनाफे में आ सकेगा।
गंगा एक्सप्रेस के रूट में परिवर्तन करते हुए वाराणसी से भी कनेक्ट किया गया है। इसके लिए वाराणसी के दो तहसील के 75 गांवों को चिन्हित किया गया है। सेकेंड फेज का काम पूरा होने के बाद इसका लाभ मिलेगा।
कौशल राज शर्मा, कमिश्नर