वाराणसी (ब्यूरो)। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में सावन की परंपरा अनुसार अंतिम दिन झूला झांकी सजाने के लिए महंत आवास से पंचबदन प्रतिमा की शोभायात्रा निकाली जाती है। उसे ही गर्भगृह में विराजमान कराया जाता है। पूर्व महंत डा। कुलपति तिवारी के निधन के बाद परिवार में परंपरा निर्वहन के उत्तराधिकार के विवाद का हवाला दे प्रशासन ने महंत परिवार को इस आयोजन से रोक दिया। मंदिर प्रशासन ने अपनी प्रतिमा व झूला से परंपरा का निर्वहन किया।
टेढीनीम स्थित महंत आवास से निकलने वाली शोभायात्रा को मंदिर तक न पहुंचने देने के लिए प्रशासन ने सुबह 11 बजे ही पुलिस बल तैनात कर दिया। थाना दशाश्वमेध के प्रभारी निरीक्षक ने महंत परिवार को शांति व्यवस्था का हवाला देते हुए शोभायात्रा न निकालने का अनुरोध पत्र थमा दिया। हालांकि भीतर सुबह से ही परंपरानुसार कर्मकांड व शिवांजलि समेत तैयारियां चलती रहीं।
350 वर्षों की परंपरा टूटती देख पूर्व महंत स्व। डा। कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी अन्न-जल छोड़ अनशन पर जा बैठीं। एसीपी दशाश्वमेध प्रज्ञा पाठक ने उनकी बातों को शासन तक पहुंचाने का भरोसा देते हुए मान-मनौव्वल कर अनशन तोड़वाया। महंत परिवार की महिलाओं ने बाबा की प्रतिमा को राखी बांध रक्षा का आशीष मांगा। एसीपी ने भी बाबा की प्रतिमा को रक्षासूत्र बांध कर आशीर्वाद लिया। पूर्व महंत पुत्र पं। वाचस्पति तिवारी ने इसे प्रशासन का मनमानापन बताते हुए परंपरा को हस्तगत व खंडित करने का षड्यंत्र बताया।
जब यही करना था तो यह पत्र क्यों भेजा था
अनशन पर बैठी पूर्व महंत की पत्नी ²ष्टिबाधित मोहिनी देवी ने पूर्व महंत के निधन पर प्रधानमंत्री द्वारा भेजे गए पत्र को दिखाते हुए एसीपी दशाश्वमेध से कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री ने उनके स्वर्गीय पति को काशी की परंपराओं का संवाहक बताया, दूसरी ओर उन्हीं परंपराओं को रोकने के लिए पुलिस तैनात कर दी। जब यही करना था तो यह पत्र क्यों भेजा।