वाराणसी (ब्यूरो) Pitru Paksha 2024: पितरों को तर्पण अर्पण करने का महीना 17 सितंबर यानि आज से शुरू हो रहा हैकाशी के पिशाचमोचन कुंड में श्रद्धा के साथ श्राद्ध करने के लिए देश के कोने-कोने से आए हैंहर कोई अपने पितृदेव से आशीर्वाद लेना चाहता है तो कोई माफी मांगना चाहता हैइसके लिए एक हफ्ता पहले से ही पिशाच मोचन पर त्रिपिंडी, नारायण बली का पूजन शुरू हो चुका हैप्रतिदिन 5 सौ से अधिक लोग श्राद्धकर्म कर रहे हैऐसे में पितृपक्ष आरंभ होने पर पिशाच मोचन कुंड तर्पण अर्पण करने वालों की भीड़ दोगुनी हो गयी हैश्राद्धकर्म के लिए पांच-पांच सौ लोगों की वेटिंग चल रही है

मिलता है फल
काशी के प्रधान तीर्थपुरोहित स्वमुन्ना पांडेय के बेटे आनंद पांडेय ने बताया कि श्राद्धकर्म करने का अलग फल मिलता हैपिता से पुत्र की प्राप्ति होती हैदादा से धन और परदादा श्रद्धा मिलता हैयही वजह है कि पितृपक्ष में श्राद्धकर्म करने वालों की संख्या बढ़ जाती हैपितर अगर नाराज रहते है तो परिवार में दिक्कत होती हैसंतान नहीं होता है, परिवार में हमेशा कलह की स्थिति बनी रहती हैइसलिए पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करना जरूरी होता है

आज से और बढ़ जाएगी भीड़
पितृपक्ष आज से आरंभ होने वाला हैइसलिए पिशाच मोचन कुंड पर श्राद्धकर्म करने वालों की भीड़ बढ़ गयी हैआम दिनों में जहां 5 सौ लोग आते थे वहीं अब संख्या बढ़कर हजार के ऊपर पहुंच गयी हैहालात यह है कि श्राद्धकर्म करने के लिए लंबी वेटिंग चल रही हैतिथिवार श्राद्धकर्म करने वालों की संख्या ज्यादा है

भटकती आत्माओं को मिलती है मुक्ति
मोक्ष के लिए पिशाचमोचन कुंड में भटकती आत्माओं की मुक्ति के लिए खास अनुष्ठान कराया जाता हैपितृपक्ष के अलावा आम दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ होती हैआनंद पाण्डेय बताते है कि इस कुंड पर तर्पण और श्राद्ध करने से भटकती आत्माओं को भी मुक्ति मिल जाती हैयही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालु पूजन के लिए आते हैं

नारायण बलि, त्रिपिंडी श्राद्ध
इस कुंड पर भटकती आत्माओं की शांति के लिए नारायण बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध कराया जाता हैपूरी दुनिया में सिर्फ काशी का पिशाच मोचन कुंड ही ऐसा तीर्थ है जहां ये अनुष्ठान होता है

तीन तरह की होती हैं आत्माएं
आनंद पाण्डेय ने बताया कि तीन तरह की आत्माएं होती हैतामसी, राजसी और सात्विक ये तीन तरह की आत्माएं होती हैंइन तीनों तरह की आत्माओं को मुक्ति दिलाने के लिए यहां अनुष्ठान कराया जाता है, जिसे नारायण बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध कहते हैंइसमें तीन अलग-अलग कलश पर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की पूरे विधान से पूजा की जाती है, जिससे उन भटकती आत्माओं के बैकुंठ जाने का मार्ग खुल जाता है

भगवान शंकर ने दिया था वरदान
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सिर्फ काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है.पुराणों के अनुसार पितृपक्ष के इन 15 दिनों में पितरों के लिए बैकुंठ का द्वार खुल जाता हैइस कुंड से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि भगवान शंकर ने खुद यहां प्रकट होकर ये वरदान दिया था कि जो अपने पितरों का श्राद्ध कर्म इस कुंड पर करेगा, उसे सभी योनियों से मुक्ति मिल जाएगी

पिशाच मोचन कुंड पर श्राद्धकर्म के लिए लंबी वेटिंग चल रही हैप्रतिदिन 500 से अधिक लोग श्राद्धकर्म करते हैंपितृपक्ष में यह संख्या बढ़कर दोगुनी हो जाएगी

-आनंद पाण्डेय, पुरोहित

पितरों को तृप्त करने का सबसे अच्छा महीना होता है पितृपक्ष में इसमें पितरों को तर्पण अर्पण करने से सभी तरह की बाधाएं दूर हो जाती है

संगीता गौड़, ज्योतिषाचार्य