वाराणसी (ब्यूरो)। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार यूपी के वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद समेत 8 शहरों में टोटल फर्टिलिटी रेशियो (टीएफआर) प्रदेश औसत 2.4 से भी कम हो गया है। यानि बड़े शहरों में कपल्स कम बच्चे पैदा करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। एक्सपर्ट की माने तो देर से शादी, महंगाई आदि कारणों से बड़े शहरों में सिंगल चाइल्ड का चलन देखने को मिल रहा है।
कम हो रहा टीएफआर
टीएफआर का मतलब होता है कि औसतन एक महिला अपने जीवनकाल में कितने बच्चों को जन्म देती है। एनएफएच सर्वे-5 के अनुसार देश का टीएफआर 2.1 है, जिसे अगले सर्वे तक 2 तक लाना है। वहीं, प्रदेश की बात करें तो सर्वे-4 में यह 2.7 और सर्वे-5 में यह 2.4 रहा था। इसे भी कम करना है ताकि नेशनल औसत तक इसे लाया जा सके।
धीरे-धीरे बढ़ रहा चलन
केजीएमयू के क्वीन मेरी की हेड डॉ। अंजु अग्रवाल ने बताया कि सिंगल चाइल्ड की ओर लोग धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। हालांकि, यह खासतौर पर एक सेलेक्ट ग्रुप ऑफ सोसाइटी द्वारा ही किया जा रहा है। बड़े घर के लड़के-लड़कियां नौकरी कर रहे हंै। जिसकी वजह से कम बच्चे कर रहे हैं। इसके अलावा, इंफर्टिलिटी वाले मामल भी होते हैं जो आईवीएफ में एक पर ही रुक जाते हैं। कई बार तो ऐसे कपल्स भी मिलते हैं जो, शुरू में बच्चा नहीं करने की सोचते हैं लेकिन अचानक से 38 से 40 की एज में बच्चे की प्लानिंग करते हैं।
असल शहरीकरण का असर
एनएचएम में परिवार नियोजन के जीएम डॉ। सूर्यांशु ओझा ने बताया कि बड़े शहरों में टीएफआर कम होने की मुख्य वजह सही मायने में हो रहा शहरीकरण है। इन जगहों पर रहने वाले कपल अधिक बच्चों के बारे में नहीं सोच रहे हैं। वे अपने बच्चों की अच्छी एजुकेशन, परवरिश और लाइफस्टाइल के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं। एक और कारण यह भी है कि ऐसे शहरों में कंडोम, अंतरा व छाया जैसे गर्भ निरोधकों के प्रति जागरुकता है और ये आसानी से भी उपलब्ध हैं। बड़े शहरों के कपल्स को अपनी प्राइयोरिटी पता है और उसी के अनुसार फैमिली प्लानिंग भी करते हैं। जबकि छोटे शहरों मेंं ऐसा नहीं है।
यह है टीएफआर
शहर टीएफआर
लखनऊ 1.6
झांसी 1.6
कानपुर 1.7
वाराणसी 1.8
गाजियाबाद 1.9
नोट - यह रॉ डेटा है, जो सैंपल साइज पर भी निर्भर करता है।
सेलेक्ट ग्रुप ऑफ सोसाइटी में सिंगल चाइल्ड का चलन बढ़ रहा है। हालांकि, अभी इसकी संख्या कम है। अब लोग बहुत कुछ सोचकर फेमिली प्लानिंग कर रहे हंै।
-डॉ। अंजू अग्रवाल, हेड, क्वीन मेरी
बड़े शहरों में असल मायने में शहरीकरण देखने को मिल रहा है। साथ ही कपल्स कांट्रासेप्टिव का अधिक यूज कर रहे है। इसलिए इन शहरों में टीएफआर कम हो रहा है।
-डॉ। सूर्यांशु ओझा, जीएम, परिवार नियोजन, एनएचएम