वाराणसी (ब्यूरो)। सड़क दुर्घटनाओं में पिछले साल लगभग तीन सौ लोगों की जान चली गई, जबकि यहां सिर्फ आठ ब्लैकस्पाट चिह्नित हैं। जबकि सही तरीके से जांच की तो वाराणसी में कम से कम 50 ब्लैक स्पाट चिह्नित किए जा सकते हैं। उनकी गड़बडिय़ों को दूर करके सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है और लोगों की जान बचाई जा सकती है। यह जानकारी सड़क सुरक्षा को लेकर ट्रैफिक पुलिस लाइन में मंगलवार को आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने दी। उन्होंने आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके यातायात को सुगम बनाने के बारे में भी बताया.
एक साल में 294 लोगों की मौत
सड़क सुरक्षा व यातायात प्रबंधन के विशेषज्ञ अरबाब अहमद व सोनम गुप्ता ने बताया कि ज्यादातर दुर्घटनाएं ब्लैक स्पाट पर होती हैं। एक स्थान को ब्लैक स्पाट चिह्नित करने के लिए जरूरी है कि उस स्थान पर तीन सालों में कम से कम पांच गंभीर दुर्घटना हुई हो। वाराणसी में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। सिर्फ एक साल में 294 लोगों की जान चली गई, जबकि यहां सिर्फ आठ ब्लैक स्पाट चिह्नित हैं.
सड़कों पर ट्रैफिक का भारी लोड
रोहनिया के लठिया चौराहे के पास एक साल में दो बड़ी दुर्घटनाएं हुईं। इसके पहले भी यहां कई दुर्घटनाएं हुई इसके बावजदू यह स्थान ब्लैक स्पाट के रूप में चिह्नित नहीं है। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की विवेचना करने वालों को भी अपनी रिपोर्ट में दुर्घटना के स्थान के साथ दुर्घटना के कारण की स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए। इससे ब्लैक स्पाट को चिह्नित करने में आसानी होगी। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने बताया कि वाराणसी की सड़कों पर ट्रैफिक का भारी लोड है.
वाहनों का दबाव
शहर के अंदर की सड़कों की चौड़ाई तो नहीं बढ़ रही लेकिन इन पर चलने वाली गाडिय़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनके सुगम यातायात के लिए उचित प्रबंधन जरूरी है। इसके लिए सिटी कमांड सेंटर का उपयोग किया जा सकता है। यहां से चौराहों पर भीड़ के अनुसार सिग्नल लाइट का संचालन किया जा सकता है। जबकि यहां सभी चौराहों के लिए सिग्नल लाइट का एक ही समय निर्धारित है। नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कैमरों की जरिए की जा सकती है। कार्यशाला में डीसीपी ट्रैफिक हृदेश सिंह, एसीपी विकास श्रीवास्तव, ट्रैफिक इंस्पेक्टर पंकज तिवारी शामिल थे.