प्रदेश के उन 40 जिलों में सामने आया है वाराणसी का नाम जो वसूली में हैं फिसड्डी
नए नियम लागू हुए तो 12 से 14 घंटे होगी कटौती, क्योंकि वसूली के हिसाब से होगी आपूर्ति
बिजली उपभोक्ताओं के लिए यह खबर चौंकाने वाली है। ऐसा इसलिए कि बनारस में बिजली व्यवस्था पुराने दौर में लौटने वाली है। अगले माह से यहां एक बार फिर कटौती का संकट गहराने वाला है। अब बनारस जिले को उतनी ही बिजली मिलेगी, जितने बिल की वसूली होगी। यूपी पावर कारपोरेशन ने अगस्त से नई रोस्टिंग लागू करने की तैयारी शुरू की है। केंद्र सरकार के एडवांस पेमेंट कर बिजली खरीदने के नए नियमों के बाद यूपीपीसीएल न तो उधार बिजली लेगा न ही आपूर्ति करेगा। प्रदेश में कम बिजली बिल देने वाले 40 जिलों का जो नाम आया है, उसमें बनारस भी शामिल है। नियम लागू होने के बाद यहां बिजली कटौती 8 से 12 घंटे तक हो सकती है।
बगैर एडवांस नहीं मिलेगी बिजली
केंद्र सरकार की ओर से 17 जुलाई को जारी एक आदेश में कहा गया है कि अब राज्य के बिजली निगम बगैर एडवांस पेमेंट किए किसी भी एजेंसी से बिजली नहीं खरीद पाएंगे। केन्द्र के मुताबिक पावर कारपोरेशन अपने बजट से भुगतान करे या बैंकों से लेटर आफ क्रेडिट के जरिए पॉवर प्लांट को पावर परचेज के लिए पेमेंट करे। यूपी पावर कारपोरेशन हर दिन 18-21 हजार मेगावाट बिजली आपूर्ति करता है। इसके लिए प्रतिमाह पांच हजार करोड़ रुपये की बिजली खरीदनी पड़ती है। बिलों की वसूली से जो पैसा मिलता है उससे पॉवर प्लांट्स को भुगतान होता है।
निराश करती वसूली व्यवस्था
बिजली चोरी, कम बिलिंग और निराशजनक वसूली व्यवस्था की वजह से बिलिंग-भुगतान का कैशगैप 10 हजार करोड़ रुपये के पार चला गया है। इसकी वजह से पावर कारपोरेशन बड़े कर्ज में है। नए रोस्टर सिस्टम से बनारस में बिजली कटौती 12-14 घंटे तक हो जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों की आपूर्ति भी 18 घंटे से घटकर 6-8 घंटे पर आ जाएगी। इस व्यवस्था से पूवरंचल के जिलों पर सबसे अधिक असर पड़ेगा।
तीस फीसदी तक लाइनलॉस
आंकड़ों की माने तो बनारस समेत पूरे पूवरंचल में अब भी लाइनलॉस 30 फीसदी तक है। पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के 21 जिलों में बिजली चोरी-लाइन हानियां होने से बिलों की वसूली नहीं हो पाती है। वाराणसी, गोरखपुर, इलाहाबाद, आजमगढ़, मिर्जापुर, बस्ती, बलिया, मऊ, भदोही आदि में कोई भी ऐसा जिला नहीं है जहां राजस्व का टारगेट पूरा हो सके।
नहीं मिला जवाब
ऊर्जा विभाग ने मामले में राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी। विभाग ने कहा कि राज्य सरकार या तो 10 हजार करोड़ रुपये के कैश गैप को पूरा करे या केंद्र सरकार से इस नियम को फिलहाल लागू न करने की गुजारिश करे। हालांकि राज्य सरकार की ओर से अब तक इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया गया है। वहीं उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव, ऊर्जा आलोक कुमार का कहना है कि राज्य सरकार से अनुदान देने की बातचीत चल रही है। लेटर आफ क्रेडिट के जरिए बिजली खरीदने की व्यवस्था कर रहे हैं। बिलिंग के अनुसार कटौती अंतिम विकल्प होगा।
पिछले वर्ष जुलाई की तुलना में इस जुलाई में हुई वृद्धि
जिला वृद्धि
वाराणसी 09 प्रतिशत
गोरखपुर 01 प्रतिशत
इलाहाबाद 13 प्रतिशत
आजमगढ़-1 39 प्रतिशत
आजमगढ़-2 14 प्रतिशत
मिर्जापुर 35 प्रतिशत
बस्ती 09 प्रतिशत
जौनपुर-1 04 प्रतिशत
जौनपुर-2 19 प्रतिशत
गाजीपुर 27 प्रतिशत
इस व्यवस्था को लागू करने के लिए अभी मुख्यालय से कोई आदेश नहीं आया है। वहीं से डिसीजन लिया जाएगा। हमे तो सिर्फ आदेश का पालन करना है।
विजय पाल, एसई, पीवीवीएनएल