वाराणसी (ब्यूरो)। जब किसी विषय के साथ लगाव हो जाता है, तब उसे आप ध्यान से पढ़ते हैं, सिर्फ एग्जाम देने के लिए नहीं, तभी उस विषय में हम आगे बढ़ पाते हैं। अंतरिक्ष सभी को आकर्षित करता है। जो धरती पर से आसमां दिखता है, सिर्फ खड़े होकर देखने में काफी चीजें दिखती हैं। हमारे पूर्वजों ने सिर्फ आंखों से देख कर ग्रहों की चालों को समझा, पूरा कैलेंडर बना दिया, अपने आप में बहुत यह बहुत नायाब है। यह बातें पद्मश्री भारतीय भौतिक विज्ञानी और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर हरिश चंद्र वर्मा ने बतौर मुुुख्य अतिथि कहीं। वे संस्थान में बुधवार को एबीएलटी परिसर में आयोजित तीन दिवसीय नेशनल स्पेस दिवस के शुभारंभ के अवसर पर आमंत्रित थे। अपने व्याख्यान में उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड के साथ मिलकर क्लास 6, 7 और 8 के लिए स्पेस साइंस को अच्छे से कहानी के माध्यम से परिचय कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मिकी को नक्षत्र, राशियों, ग्रहों की अच्छी जानकारी थी, जिससे उन्होंने रामायण में भगवान राम के समय घटित घटनाओं की संस्कृत श्लोकों में सभी जानकारी दी। हमें अपनी संस्कृति को पहचाने और अपनी विरासत को समझने की जरूरत है।
स्टूडेंट्स ने किए सवाल
इस अवसर पर उन्होंने छात्रों के सवालों के जवाब दिये। निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर एचसी वर्मा का स्वागत करते हुए कहा कि देश ने पिछले 50 वर्षों में अंतरिक्ष अनुसंधान में बहुत अच्छे कार्य किये हैं। हम सभी के लिए यह जागरुक रहने का समय है। जब कभी भी संभव हो, हमें देश के लिए अपना योगदान देने के लिए तैयार रहना होगा। स्वागत उद्बोधन डीन स्टूडेंट अफेयर्स प्रोफेसर राजेश कुमार ने किया। उन्होंने बताया कि 23 अगस्त को नई दिल्ली भारतमंडपम में आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी किया जाएगा। धन्यवाद ज्ञापन स्कूल ऑफ बॉयोकेमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ संजय कुमार ने किया।