वाराणसी (ब्यूरो)। विदेशी आर्मी के जवान अपने सिर और सीने पर जिस बैज को लगाकर सीना तान कर फख्र से चलते हैं, वह बैज बनारस में बनते हैं। आप यकीन नहीं मानेंगे, लेकिन यह सच है। अगर आपको देखना है तो लल्लापुरा, चौहट्टा समेत कई मोहल्लों में जाकर देख सकते हैं कि किस तरह से यहां के हुनरमंद विदेशी बैज को अपनी कलाओं से निखारते हैं, तभी यह बैज विदेशी आर्मी के सीने पर चमकते हैं। न सिर्फ विदेशी आर्मी के बैज बल्कि यूपी सरकार का लोगो भी बनारस में रहा है।
12 कंट्री के तैयार कर रहे बैज
लल्लापुरा में इस समय 12 कंट्री का बैज तैयार हो रहा है। इनमें अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, इग्लैंड, जर्मनी, पेरिस, अफ्रीका, ओमान, युगांडा समेत इंग्लैंड की रॉयल फैमिली से लेकर ईरान में जबरदस्त डिमांड है। लल्लापुरा के रहने वाले सादाब बताते हैं कि इस समय 12 कंट्री के बैज बना रहे हैं। तैयार होने के बाद अक्टूबर तक सभी बैज को एक्सपोर्ट कर दिया जाएगा।
बनारसी हुनर के कायल हैं विदेशी
सादाब बताते हैं विदेशी सबसे अधिक बनारसी साड़ी, बनारसी कालानी को पसंद करते हैं। जब कालीन, बनारसी साड़ी के ऑर्डर मिलने लगे तो उसको तैयार कर भेजा गया। यही बुनकारी की कला को देखते हुए बैज तैयार करने का भी ऑर्डर धीरे-धीरे मिलने लगा।
70 साल से चल रहा काम
शादाब बताते हैं कि यह हमारी तीसरी पीढ़ी है, जो बैज तैयार करने में लगी है। सबसे पहले हमारे दादा को बैज तैयार करने का ऑर्डर एक्सपोर्टर देते रहे। धीरे-धीरे विदेशों से ऑर्डर सीधे आने लगा। हर महीने 7 से 8 लाख के बैज तैयार करने के ऑर्डर आते हैं। जिस कंट्री के आर्मी का बैज रहता है, उसे भेज दिया जाता है। एक्सपोर्टर को भी बैज बनाने का ऑर्डर मिलता है तो वह भी यही पर तैयार कर एक्सपोर्ट करते हैं।
सोने व चांदी के धागों का यूज
बनारस के लल्लापुरा इलाके के मुमताज अली और उनके बेटे शादाब आलम अपनी इस पुश्तैनी विरासत को बचाकर बनारस को इंटरनेशनल लेवल पर चमका रहे हैं। पिछले 70 सालों से सोने और चांदी के ओरिजिनल धागों के साथ पतले-पतले कपड़ों पर जरी जरदोजी की डिजाइन तैयार करते हैं, जो विदेश में सेना का मान और सम्मान बढ़ाते हैं। बैज मेकर मुमताज बताते हैं कि दादा, पिता और अब वह और उसके बेटे इस काम को कर रहे हैं। उनके साथ लगभग आधा दर्जन कारीगर इस मुश्किल काम को पूरा करते हैं।
रॉयल फैमिली के बैज अधिक
यहां सेना के कंधे, टोपी और सीने समेत बाजू पर सजने वाला शानदार बैज तैयार किया जाता है। मुमताज बताते हैं कि हमारे पास सबसे ज्यादा ऑर्डर इंग्लैंड से आते हैं। इसमें इंग्लैंड की रॉयल फैमिली के बैज और इंग्लैंड में चलने वाले कई क्लब, रॉयल स्कूल और वहां की आर्मी के बैज हम तैयार करते हैं। हाल ही में इंग्लैंड के जल और वायु सेना के बैज तैयार करके यहां से भेजे गए हैं।
राष्ट्राध्यक्षों का बनाते हैं बैज
मुमताज ने बताया, हर महीने 5 से 10 हजार बैज को तैयार करने के लिए ऑर्डर मिलते हैं। इनमें युगांडा की आर्मी के शोल्डर बैज, कैप बैज, यूएई के आर्मी बैज के अलावा रशियन आर्मी के बैज और मलेशिया फ्लैग का लोगों के अलावा अलग-अलग कंट्री के राष्ट्राध्यक्षों के लिए बैज तैयार करते हैं। मुमताज ने बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति ए मैन्युअल मैक्रों वाराणसी के दौरे पर आए थे। उस दौरान उनके देश का एनवेलप ओरिजिनल सोने से बनाया जा रहा था, जिसे देखकर वह बहुत आश्चर्यचकित हो गए थे। उन्हें यह तोहफा पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों से दिया था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार का लोगो हाल ही में पीएम के बनारस दौरे पर उन्हें दिया गया। सिल्क और जरी का दुपट्टा भी उन्होंने तैयार किया था।
4 घंटे में एक बैज होता है तैयार
एक बैज को तैयार करने में काफी मेहनत लगती है। एक बैज बनाने में 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है। एक कारीगर सुबह से काम शुरू करता है। इसके बाद दिनभर में 2 से अधिक बैज नहीं बना पाता।
विदेशों में मेड इन वीएनएस का डंका
मुमताज का कहना है कि बैज अपने आप खास इसलिए होता है क्योंकि इनमें असली सोने व चांदी के तार से बिनकारी की जाती है। यही वजह है कि विदेशों में मेड इन वीएनएस (वीएनएस यानी वाराणसी) का जलवा है। बिनकारी को देखते हुए हर महीने विदेशों से ऑर्डर मिलते हैं।
इन कंट्री के बैज हो रहे तैयार
इंग्लैंड
कनाडा
यूएई
यूएसए
जर्मनी
फ्रांस
युगांडा
ईरान
पेरिस
तर्की
ताइवान
अरब
ब्रिटेन
बनारसी साड़ी, कालीन की बुनकरी की पूरी दुनिया कायल है। इसी कारीगारी को देखते हुए 70 साल से बनारस में बैज तैयार हो रहे हैं।
-मुमताज, बैज आर्टिस्ट
तीन पीढिय़ों से हमारे यहां बैज तैयार हो रहा है। किसी भी देश का बैज हो, इनमें सोने व चांदी के ही धागों का यूज होता है।
-शादाब, बैज आर्टिस्ट
फैक्ट एंड फीगर
7 से आठ लाख के बैज तैयार करने के ऑर्डर हर माह
70 साल से सोने और चांदी के ओरिजिनल धागों से बना रहे बैज