वाराणसी (ब्यूरो)मैं अपने पति से तलाक लेना चाहती हूंवह रोज शराब पीकर आते हैं और मारते-पिटते हैंबार-बार बोलते हैं कि अपने पापा से दहेज मांग कर लाओविरोध करने पर बहुत ही बेहरहमी से मारते हैंपिटाई की वजह से मेरे गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत भी हो गईबावजूद उत्पीडऩ बंद नहीं हुआससुराल में नौकर की तरह व्यवहार किया जाता हैखाना भी नहीं मिलतामैडम इस नरक से मुक्ति दिलाओअब सहा नहीं जाताप्लीजमैडमफैमिली कोर्ट में लक्सा की रहने वाली संध्या सिंह महिला जज के सामने गुहार लगा रही थीलंका की ममता कुमारी, कचहरी की सबनम बेगम, चेतगंज की सोनम गुप्ता समेत कई महिलाएं हैं, जो दहेज के लिए हर दिन प्रताडि़त की जा रही हैं

तलाक के लिए 900 अर्जी लगी

समाज में दहेज के लिए महिलाओं का उत्पीडऩ कोई नई बात नहीं हैदेश में दहेज लेने और देना दोनों अपराध की श्रेणी में आता हैबहू-बेटियों को यातनाएं दी जा रही हैंबेटियां जलाई जा रहीं हैंसामाजिक डर से दहेज की शिकार महिलाएं घूंट-घूंट कर जीने को विवश हैंपुरुष प्रधान सामाजिक पंचायत में बहू-बेटियां को न्याय नहीं मिल रही तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा रही हैंफैमिली कोर्ट के आंकड़ों के अनुसार संध्या सिंह, ममता कुमारी, सबनम बेगम, सोनम गुप्ता समेत लगभग 900 बहू-बेटियों ने पति से तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर रखी हैं

536 बेटियों ने दोबारा दिया मौका

फैमिली कोर्ट में 900 बहू-बेटियां अब किसी तरह के समझौते को तैयार नहीं हैवह सिर्फ तलाक ही चाहती हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी बहू-बेटियां हैं, जो फैमिली, समाज और भविष्य को देखते हुए एक बार फिर अपने वैवाहिक जीवन को फिर से शुरू भी कर दिया हैपिछले एक साल में फैमिली कोर्ट के मेडिएशन के दौरान पति और ससुराल पक्ष ने बहू को दहेज के लिए उत्पीडऩ नहीं करने का भरोसा दिया हैजिसे देखते हुए फैमिली कोर्ट के सामने 536 बहू-बेटियों ने एक बार फिर से पति के साथ रहने की सहमति जताई है

दहेज की भेंट चढ़ी 28 बहू-बेटियां

ससुराल वालों ने बहू के साथ बच्चों को भी मौत के घाट उताराबाइक के लिए बहू को जला दियादो लाख की डिमांड नहीं पूरा करने पर बहू की हत्या कर दीइस तरह की घटनाएं महीने में दो या तीन होती हैंकमिश्नरेट पुलिस के अनुसार 1 जुलाई 2023 से 30 जून 2024 तक वाराणसी में दहेज के लिए 28 बेटियों की बलि चढ़ा दी गईयही नहीं वाराणसी के 29 थानों में दहेज उत्पीडऩ के 590 मुकदमे दर्ज किए गए हैंइसके अलावा एडीसीपी महिला अपराध ममता रानी की जनसुनवाई में रोजाना दहेज उत्पीडऩ की लगभग दस शिकायतें आती हैं

वन स्टॉप सेंटर में प्रतिदिन तीन शिकायतें

कमिश्नरेट पुलिस के अलावा पांडेयपुर जिला अस्पताल में स्थापित वन स्टॉप सेंटर में प्रतिदिन दो या तीन शिकायतें दहेज उत्पीडऩ की पहुुंचीसेंटर प्रभारी रश्मि दुबे बताती हैं कि पहले की अपेक्षा महिलाओं में जागरूकता ज्यादा हैयही वजह है कि उत्पीडऩ के खिलाफ महिलाएं आवाज उठा रही हैंपहला प्रयास यही रहता है कि पति-पत्नी को बैठाकर काउंसिलिंग की जाती हैदोनों को समझाया जाता हैखासकर पुरुष को कानून के बारे में जानकारी दी जाती है

पुरुष की सोच में बदलाव से ही दहेज उत्पीडऩ जैसी खत्म हो सकती हैअब महिलाएं शिक्षित और जागरूक हैंउत्पीडऩ और अत्याचार बर्दाश्त नहीं कर रही हैंअपने अधिकार और सम्मान के लिए लड़ रही हैंकमिश्नरेट पुलिस भी महिला अपराध को लेकर गंभीर है.

-ममता रानी, एडीसीपी महिला अपराध

आकड़ों के हिसाब से

2018-36

2019-36

2020-28

2021-20

2022-26

2023-24

2024-24