वाराणसी (ब्यूरो)। प्रात:काल से ही भक्तों के पग बाबा काल भैरव मंदिर की ओर बढ़े जा रहे थे। यही नहीं काशी के सभी अष्ट भैरव मंदिरों में भी भक्तों की कतार लगी रही। समंदिरों को फूलों-पत्तियों से सजाया गया था, पुष्पों की सुवास के साथ मादक गंध हर ओर फैल रही थी। बाबा काल भैरव की जय और हर-हर महादेव के उद्घोष से वातावरण गुंजित था। होता भी क्यों नहीं, पुरवासी अपने नगर कोतवाल का जन्मोत्सव जो मना रहे थे। भोरहरी से लेकर आधी रात के बाद तक यह अटूट क्रम बना रहा। इस बीच बाबा काल भैरव को ब्रह्म मुहूर्त में ही 101 लीटर दूध से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए गए। पुष्पों से श्रृंगार किया गया। विधिवत पूजन-अर्चन हुआ। मदिरा, चीनी का घोड़ा, नीलकंठ के फूल, फल, मेवा आदि नैवेद्य अर्पित किए गए। दोपहर में भक्तों ने पंचमेवा और देसी घी, मक्खन से बना 1100 किलो का देसी केक काटा और वितरित किया। अर्धरात्रि में सवा लाख बत्तियों से आरती बाबा की आरती की गई।
केक काटने के बाद श्रद्धालुओं ने पापकार्न व टाफियां भी बांटी। उधर, श्रीलाट भैरव का भव्य अन्नकूट शृंगार किया गया। प्रात: दशविधि स्नान के बाद अष्ट भैरव की मनोरम झांकी सजाई गई। संगीतमय सुंदरकांड पाठ हुआ। नगर वधुओं ने भी अपनी हाजिरी लगाकर नृत्य प्रस्तुत कर बाबा से आशीर्वाद मांगा। श्रीलाट भैरव काशी यात्रा मंडल की ओर से कज्जाकपुरा स्थित लाट भैरव मंदिर से अष्ट भैरव प्रदक्षिणा यात्रा निकाली गई। ब्रह्म दोष निवरणार्थ श्रद्धालुओं ने श्रीकपाल मोचन कुंड के जल से मार्जन किया। बाबा के सम्मुख संकल्प लेकर आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित भैरवाष्टकम का पाठ कर यात्रा आरंभ हुई। नंगे पांव, पारंपरिक परिधान में मस्तक पर पर त्रिपुंड लगाए बहुत से भक्त मानसिक जप करते चले तो अन्य जय भैरव बम भैरव का उद्घोष करते हुए। भ्क्तों ने महामृत्युंजय स्थित असितांग भैरव, दुर्गाकुंड स्थित चंड भैरव, हरिश्चंद्र घाट स्थित रुरु भैरव, कामाख्या देवी कमच्छा स्थित क्रोधन भैरव, बटुक भैरव स्थित उन्मत्त भैरव, कज्जाकपुरा स्थित कपाल भैरव, भूत भैरव, नखास स्थित भीषण भैरव, गायघाट स्थित संहार भैरव सहित समीपवर्ती अन्य भैरव मंदिरों में दर्शन कर यात्रा पूर्ण किया। यात्रा में कुशवाहा, शिवम अग्रहरि, धर्मेंद्र शाह, रितेश कुशवाहा, उत्कर्ष कुशवाहा, जय प्रकाश राय, आनंद मौर्य, नरेंद्र प्रजापति, कृष्णा यादव, रुद्र अग्रहरि, हरि वि_ल, रमाकांत आदि थे।