वाराणसी (ब्यूरो)। सुख दुख की घड़ी में जो काम आएवो एक सच्चा दोस्त होता हैकहते हैं कि दोस्त से खून का रिश्ता भले ही न हो, पर दोस्ती का रिश्ता सगे से भी बढ़कर होता हैइसी खास रिश्ते को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल 30 जुलाई को इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे मनाया जाता हैवाराणसी के कई दोस्त ऐेसे हैं, जो एक दूसरे से भले ही दूर हों, पर उनकी दोस्ती आज भी उतनी ही मजबूत है, जितनी सालों पहले थीये ऐसे दोस्त हैं, जिन्होंने अपने दोस्त को कॅरियर में सफल करने के लिए हर तरह का सपोर्ट किया

आगे बढ़ाने में किया सपोर्ट

वाराणसी के सुनील कुमार और उनके जौनपुर के रहने वाले दोस्त विमल की कहानी भी काफी खास हैदोनों ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई काशी के हरिशचंद्र कॉलेज में साथ में कीइनकी दोस्ती इतनी बढ़ी की आज इनकी दोस्ती को 20 साल पूरे हो चुके हैंग्रेजुएशन के बाद दोनों की जॉब आईटी सेक्टर में लग गईऔर उनका दोस्त बेेलेव्यू वाशिंगटन में रहने लगाअलग होने के बाद भी दोस्ती में कोई फर्क नहीं आयाआज भी उनकी दोस्ती उतनी ही गहरी हैदोनों ने एक दूसरे को फाइनेंशियल सपोर्ट भी कियाविमल की फैमिली अब भी वाराणसी में ही रहती हैविमल की अनुपस्थिति में सुनील कुमार उनकी फैमिली का ध्यान रखते हैं

कॅरियर में किया गाइड

वाराणसी के उपमन्यु और संजय सिंह की दोस्त भी काफी खास हैदरअसल, संजय सिंह उपमन्यु के बढ़े भाई भी हैं और उनके खास दोस्त भी हैंउपमन्यु कहते हैं कि आज अगर वह अपने जीवन में सफल हो पाए हैं तो इसमें पूरा साथ संजय ने दिया हैआज उनके दोस्त को यूएस में रहते हुए 24 साल हो चुके हैं, पर आज भी रिश्ता वैसा ही हैसंजय ने उन्हें उनके कॅरियर बनाने के दौर में बहुत गाइड किया हैउन्होंने बताया कि किस सेक्टर में जॉब के ऑफर हैं और उन्हें क्या करना चाहिएअपने दोस्त की गाइडेंस से सुनील अगर बढ़ते गए और आज वह मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैंदोनों की दोस्ती बचपन से ही है