वाराणसी (ब्यूरो)। गंगा के जलस्तर में दो सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव जारी है। इसके चलते जानकी व भदैनी घाट डूब गए। पानी बढऩे से कई घाटों का संपर्क आपस में टूट गया। घाट किनारे स्थित कई मंदिर भी पानी में समा गए हैं व कुछ में पानी प्रवेश कर गया है। ऐसी स्थिति में गंगा में स्नान करना जान जोखिम में डालना है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में अस्सी से लेकर राजघाट तक लोग गोते लगाते मिले। अस्सी, तुलसी व ललिता घाट पर चेतावनी बोर्ड लगा है। बावजूद इसके बड़े और युवक ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे बच्चे भी जमकर गोते लगा रहे थे। ऐसे में लापरवाही जानलेवा हो सकती है। इसी बीच मंगलवार सुबह मुड़ादेव घाट पर डूबने से अधेड़ की मौत हो गई। गंगा नदी में तेज बहाव के चलते जल पुलिस ने छोटी नावों के संचालन पर रोक लगा दी है। मंगलवार रात आठ बजे जलस्तर ६२.५० मीटर पर पहुंच गया है, जो अभी खतरे के निशान ७१.१६१ मीटर से काफी नीचे है।
रुक्मिणी मंदिर भी पूरी तरह से डूबा
गंगा नदी में जलस्तर बढऩे की वजह से केदारघाट समेत अनेक घाटों का संपर्क भी टूटने की कगार पर है। अहिल्याबाई घाट के प्राचीन शिव मंदिर में पूरी तरह से पानी घुस गया है। इसमें स्थापित शिवलिंग जलमग्न हो गया है तो हनुमानजी की प्रतिमा के कांधे तक गंगा का पानी पहुंच गया है। प्रयागघाट का जुगल रुक्मिणी मंदिर पूरी तरह से डूब गया है। दशाश्वमेध घाट का प्लेटफार्म व नमो घाट के रैंप जलमग्न हो चुके हैं। भदैनी घाट व जैन घाट का आपस में संपर्क टूट गया है तो शिवाला घाट व हनुमान घाट के बीच भी संपर्क टूट चुका है। केदारघाट की तीन सीढिय़ां बची हैं, ये भी डूबीं तो इस घाट पर भी अन्य घाटों से पहुंचना मुश्किल हो जाएगा।
तीर्थ पुरोहितों ने चौकियां हटाईं
गंगा के जलस्तर में शनिवार से हो रही तेजी से वृद्धि के चलते रविवार की शाम तक तक ही कई घाटों पर सीढिय़ां डूब चुकी थीं और पानी और भी सीढिय़ों को डुबाने के लिए ऊपर की ओर बढ़ रहा था। मणिकर्णिका घाट पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर, ललिता घाट पर बनी जेटी, दशाश्वमेध घाट पर बना गंगा आरती का प्लेटफार्म आदि पानी में डूब चुके थे। बढ़ते पानी का प्रवाह और गति देख आशंकित मान मंदिर पर तीर्थ पुरोहित अपनी चौकियां हटा चुके हैं तो दशाश्वमेध पर लगी झंडियां भी आरती समिति के स्वयंसेवकों ने उतार लिए हैं।
बाढ़ के चलते ज्यादा हादसों की आशंका
जुलाई में जबर्दस्त बारिश का सिलसिला शुरू हो गया। इसके चलते गंगा नदी में पानी स्तर लगातार बढ़ रहा है। घाट किनारे पानी अधिक होने के साथ बहाव भी तेज होता है। गहराई और बहाव के फोर्स का अंदाजा नहीं होने से कई बार गंगा में स्नान करते समय स्नानार्थी धोखा खा जाते हैैं। पिछले साल गंगा में बाढ़ के दौरान हर दिन लगभग दो लोगों के डूबने की घटनाएं सामने आई थीं। हादसे के दौरान जिन पर गोताखोर और स्थानीय लोगों की नजर पड़ जाती है, उनकी जान बच जाती है। अन्यथा डूबने की घटना हो जाती है। अधिक घाटों पर डेंजर प्वाइंट बने हुए हैं। यहां अनजान लोगों को अकेले स्नान करने से बचना चाहिए।
घाट पर इंतजाम नाकाफी
प्रति माह लाखों की तादाद में सैलानी और पर्यटक बनारस घूमने आते हैैं। इस दौरान ये गंगा में स्नान भी करते हैं। घाटों पर चेन बैरिकेडिंग, पर्याप्त संख्या में चेतावनी बोर्ड, बहुभाषी चेतावनी बोर्ड, गोताखोरों की नियुक्ति और पेट्रोलिंग के अभाव में अक्सर सैलानियों के डूबने की घटनाएं सामने आती हैं।
इस बिंदुओं की अनदेखी
-गंगा घाट पर स्नान या पानी में उतरने वालों के लिए चेतावनी के उचित उपाय नहीं।
-जिन घाट की दीवारों पर चेतावनी बोर्ड हैं, वह दूर होने के कारण नजर नहीं आते।
-पानी में उतरने व गहराई तक जाने वालों को रोकने की व्यवस्था नहीं।
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स्नान के दौरान बरतें सावधानी
-पानी में उतरने से पहले गहराई की जानकारी ले लें।
-अकेले हों तो अच्छा यही कि स्नान करने के लिए पानी में न उतरें।
-सुनसान घाट पर स्नान से बचें।
-घाट के पास जलस्तर और नोटिस बोर्ड पर नजर रखें।
-स्मार्टफोन में वाटरलेवल की अपडेट प्राप्त कर लें।
-आपात स्थिति में घाटों के किनारे के नाविकों, लोगों और जल पुलिस को सूचित करें।
फैक्ट एंड फीगर
२२ लोगों की जनवरी से जून तक डूबने से हुई मौत
३८ लोगों की २०२३ में डूबने से मौत हुई।
५३ लोगों की २०२२ में डूबने से मौत हुई।
गंगा में इन दिनों पानी का स्तर सामान्य है। गंगा में स्नान करने वाले सैलानियों को नाविक अपने स्तर से जागरूक करते हैैं। प्रशासन व जल पुलिस भी घाटों की मॉनिटरिंग करते हैं। नगर निगम की ओर से डेंजर घाटों पर नोटिस बोर्ड और कर्मचारी तैनात होना चाहिए।
प्रमोद मांझी, अध्यक्ष, नाविक संघ
गंगा घाटों पर सैलानियों और पब्लिक की सुरक्षा के लिए जल पुलिस एक्टिव है। गंगा में लोग गहरे पानी में नहीं उतरें। संबंधित थाने की पुलिस समय-समय पर गश्त करती रहती है। कई घाटों पर पुलिस प्रशासन द्वारा नोटिस बोर्ड लगाए गए हैैं।
-मोहित अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर
वाराणसी में छोटी नाव संचालन पर रोक
दशाश्वमेध पर गंगा आरती में नहीं लगेगी दूसरे घाट की नाव
वाराणसी में गंगा की बढ़ते जलस्तर को लेकर जल पुलिस एवं नाविकों के साथ बैठक दशाश्वमेध घाट पर आयोजित की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि गंगा में अब नाव को अब काफी सतर्कता से चलाना होगा। इसके अलावा नाव पर क्षमता के आधे यात्रियों को बैठाकर लाइफ जैकेट को पहनाकर ही पर्यटकों को नाव से घाट घुमाया जाएगा।
छोटी नाव का संचालन बंद
वाराणसी जल पुलिस प्रशासन मिथलेश यादव ने बताया कि नाविकों के साथ बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अगले आदेश तक गंगा में छोटी नाव का संचालन पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। इसको लेकर एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है। जल पुलिस की कर्मचारियों द्वारा निगरानी भी रखी जा रही हैं।
दशाश्वमेध के गंगा आरती में नहीं खड़ी होगी बाहरी नाव
गंगा के जलस्तर और तेज बहाव के मद्देनजर नाविकों की हिदायत दी गई है कि वह गंगा आरती के दौरान अपनी नाव न लगाए। दशाश्वमेध को छोड़कर अन्य घाटों से आने वाली नाव को वापस लौटा दिया जाएगा, उन नावों को गंगा आरती में खड़े होने की अनुमति नहीं दी जायेगा। जल पुलिस प्रशासन मिथलेश यादव ने बताया कि नाविकों पर निगरानी रखी जा रही है। सभी को हिदायत दी गई है कि वह अपने नाव पर ५० प्रतिशत यात्री बैठाकर ही नाव से पर्यटकों को घाट घुमाएंगे। आरती खत्म होने के बाद किसी नाव को नाव चलाने की अनुमति नही दी गई हैं। वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढऩे से दो घाटों का संपर्क टूट गया है। आज सुबह ८ बजे तक गंगा का जलस्तर ६२.३० मीटर रहा।