वाराणसी (ब्यूरो) स्कूली और कॉलेज विद्यार्थियों में लगातार बढ़ती मोबाइल की आदत से हॉस्टल कल्चर भी बदल गया हैपहले जहां अभिभावकों की ओर से बच्चों को अपने क्षेत्र में बेहतर शिक्षण संस्थान नहीं होने पर ही हॉस्टल में दाखिला दिलाया जाता था, वहीं बदलते दौर में बच्चों को मोबाइल की लत छुड़ाने, बेहतर पढ़ाई, अनुशासन और जीवन की सीख के लिए हॉस्टल कल्चर को पसंद किया जा रहा हैअभिभावकों की बदलती सोच की वजह से वाराणसी में हॉस्टल व पीजी में रहकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैइस साल सीकर में एक लाख से अधिक विद्यार्थी अब तक हॉस्टल और पीजी में दाखिला ले चुके हैंखास बात यह है कि कई ऐसे भी छात्र हैं जो स्कूल, कॉलेज और कोचिंग से नियमित रूप से अप-डाउन कर सकते हैंलेकिन, परिजन की ओर से पढ़ाई और सेहत को ध्यान में रखते हुए हॉस्टल में ही दाखिला दिलाया जा रहा है

हॉस्टल में रहकर की पढ़ाई फिर नीट में पूरे नंबर

सुंदरपुर निवासी मनोज रस्तोगी ने नीट की तैयारी के लिए पिछले साल वाराणसी में कोचिंग के साथ हॉस्टल में दाखिला लियायहां पांच घंटे कोचिंग और फिर हॉस्टल के पढ़ाई के माहौल से काफी फायदा मिलामनोज ने नीट में 720 में से 610 अंक भी हासिल किएमनोज ने बताया कि जब घर पर रहते हैं तो मोबाइल फोन किसी न किसी वजह से हाथ में आ ही जाता हैमोबाइल मेरे सपनों की राह में ब्रेकर नहीं बने, इसलिए मैंने हॉस्टल को चुना

बच्चे की आदत से परिजन परेशान, हॉस्टल में दाखिला

भदोही के रहने वाले शुभ दुबे के बेटे दसवीं के छात्र की दिनचर्या में मोबाइल गेम्स रच बस गएबच्चे के घंटों तक मोबाइल देखने की लत से वह परेशान हो गएऐसे में उन्होंने सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल के हॉस्टल में दाखिला दिला दियाशुरुआत में कई दिनों तक बच्चे का मन नहीं लगाबाद में स्कूल प्रबंधन ने बच्चे का मन लगाने के लिए क्रिकेट के पुराने शौक को नई रफ्तार दीअब बच्चा मोबाइल से दूर हो गया

तकनीक के इस दौर में मोबाइल जीवन का अहम हिस्सा बन गया हैमोबाइल बच्चों की पढ़ाई के साथ सेहत पर बुरा असर डाल रहा हैइसके अधिक उपयोग से बच्चों में इस तरह की मनोवृत्ति आ रही है कि वह अपनों से दूर होते जा रहे हैं

- डॉश्याम सुंदर पांडेय, चिकित्सक

मोबाइल पर हिंसक गेम खेलने और आपत्तिजनक सामग्री देखने के बाद बच्चा अकेला रहना पसंद करता हैछोटी-छोटी बातों पर नाराज होता हैमोबाइल हाथ से लेते ही गुस्सा करता है या तोडफ़ोड़ करने की कोशिश करता है

-शुभ दुबे, पेरेंट्स

छात्रावास में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई हैकई अभिभावकों की ओर से बच्चों को मोबाइल की लत से दूर करने के साथ पढ़ाई कराने के लिए छात्रावास व पीजी को ज्यादा पंसद किया जा रहा है

-समीर जैन एक्सपर्ट, वाराणसी

हॉस्टल में मोबाइल पर पूरी तरह पाबंदी हैकई हॉस्टलों में तो स्टाफ को ड्यूटी पर आते ही अपना स्मार्टफोन जमा कराना पड़ता हैयहां रहने वाले विद्यार्थियों की परिजन से सात दिन में एक बार बात कराई जाती हैविद्यार्थियों की दिनचर्या सुधारने के लिए सुबह पांच से लेकर रात दस बजे का कलेंडर तय हैइसके हिसाब से विद्यार्थियों को पढ़ाई कराई जाती हैवहीं विद्यार्थियों के मनोरंजन व शारीरिक व मानसिक फिटनेस के लिए हर दिन 40 मिनट खेलों का अभ्यास कराया जाता है

-दीपक बजाज, चेयरमैन, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल व हॉस्टल

बनारस के हॉस्टल्स में दाखिला लेने वाले कई विद्यार्थियों के अभिभावकों ने मोबाइल की लत की मजबूरी से हॉस्टल में दाखिला दिलाने की बात कही हैबच्चों की मोबाइल फोन की आदत छुड़ाने के लिए अभिभावकों को भी त्याग करना होगाअभिभावकों को बच्चों को समय देना होगा और उनके साथ आउटडोर गेम खेलें, उनसे बात करेंउनको अपनी बात बताने का मौका और माहौल दें

-नित्यानंद पांडेय, कॅरियर काउंसलर बीएचयू