वाराणसी (ब्यूरो) शहर के तमाम सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन) स्कूल ने अब स्टूडेंट की हिंदी इंम्प्रूव करने की ठानी हैदरअसल, 10वीं और 12वीं के बोर्ड स्कूल रिजल्ट में स्कूल ने पाया कि बच्चों के हिंदी विषय में काफी कम माक्र्स आए हैंइसको देखते हुए स्कूल्स बच्चों को एआई द्वारा हिंदी सिखाएंगे और ये भी बताएंगे कि स्टूडेंट एआई से अपनी हिंदी बेहतर कैसे कर सकते हैंटेक्नोलॉजी के इस दौर में कई भाषाओं को सीखने वाले लोगों के लिए एआई संचालित एप्स मददगार साबित हो रहे हैंऐसे में सीबीएसई स्टूडेंट इन एप्स का उपयोग हिंदी सीखने के लिए कर सकते हैं

घर बैठे सीखेंगे हिंदी

सोशल मीडिया के इस दौर में युवा पीढ़ी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर हिंदी में कविताएं, कहानियां, व्लॉगिंग करके उसे साझा कर रही हैंस्कूल का मानना है कि इंटरनेट ने ऑनलाइन भाषा सीखने के संसाधनों और सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया भर में हिंदी बोलने वालों को जोड़ा हैइसमें इंटरनेट ने अहम भूमिका निभाई हैइसी के साथ जिन युवाओं और स्कूल जा रहे विद्यार्थियों की हिंदी भाषा कमजोर है, वह घर बैठे इन एप्स का सब्सक्रिप्शन लेकर हिंदी पढ़ सकते हैंसबसे पहले स्कूल बच्चों को एआई द्वारा हिंदी पढऩे की ट्रेनिंग देगाउसके बाद स्टूडेंट इन एआई एप्स से घर बैठे अपनी हिंदी करेक्ट कर सकते हंै

बच्चों को मिल रहा अंग्रेजी बोलने का माहौल

काउंसलर नित्यानंद तिवारी का कहना है कि हिंदी हमारी भाषा हैफिर भी लोग खासतौर से बच्चे इससे दूर जा रहे हैंबच्चों में हिंदी बोलने का चलन कम हो गया हैअब विद्यालय हो या घर, बच्चों को अंग्रेजी बोलने का माहौल मिल रहा हैशायद इसी कारण बच्चों ने हिंदी परीक्षा में कम अंक पाए हैंहिंदी भाषा कमजोर होने की वजह से सीबीएसई स्कूल ने अब ये फैसला लिया है, जोकि स्टूडेंट के लिए काफी अच्छा साबित होगाएआई एप के माध्यम से अब स्टूडेंट अच्छे से हिंदी सीख लेंगे

दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से हिंदी एक हैहिंदी के सामने एक समय चुनौती थी कि आने वाली पीढ़ी शायद हिंदी को उतना महत्व न दें, लेकिन इंटरनेट के इस दौर में हिंदी के लिए लोगों में फिर से एक उमंग जगी हैइसलिए स्कूल ने बच्चों को भी हिंदी भाषा में मजबूत बनाने की सोची है

गुरमीत कौर, कोऑर्डिनेटर, सीबीएसई

लंबे समय तक यह धारणा प्रचलित रही है कि कंप्यूटर पर केवल अंग्रेजी में काम हो सकता हैइस वजह से युवा पीढ़ी की अपनी भाषा हिंदी दूर होती गई, लेकिन अब एआई की मदद से हिंदी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में काम करना बहुत आसान हो रहा है

नित्यानंद तिवारी, काउंसलर, बीएचयू