वाराणसी (ब्यूरो)। हम जिस देश में रहते हैं, उस देश की पहचान हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी से है। इन कुछ सालों में जो हिंदी भाषा को बढ़ावा देने की आंधी चली, तो उसने लोगों के मन में एक बार फिर से हिंदी के प्रति रुचि बढ़ा दी है। हिंदी भाषा हमारे देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। वर्तमान समय में दुनियाभर में अंग्रेजी एवं मंदारिन भाषा के बाद हिंदी तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। विश्व भर में लगभग 60 करोड़ लोग इस भाषा का इस्तेमाल अपनी बोल-चाल की भाषा के रूप में करते हैं। हिंदी भाषा के महत्व को देखते हुए हमारे देश में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार हिंदी दिवस की थीम (हिंदी पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक) पर आधारित है। आज के खास मौके पर हम हिंदी भाषा के एक्सपर्ट से जानेंगे कि लोगों में हिंदी के प्रति कितनी रूचि बढ़ी है और एआई हिंदी पढ़ाने में सफल साबित हो सकता है।
हर सेक्टर की जानकारी हिंदी भाषा में देगा एआई
हिंदी विभाग के प्रो। श्रीप्रकाश शुक्ल ने बताया, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। आम आदमी के जीवन को आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इंडिया एआई मिशन शुरू किया है। आम जनजीवन से जुड़ी स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग, बीमा, खेती, न्यायालय, रेलवे जैसी सेवाओं में एआई को अपनाया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने 10 हजार 3710 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। एआई सभी उम्र के लोगों के सीखने के तरीके को बदल रहा है। लोग हिंदी भाषा में इन सेवाओं का लाभ उठा सकते है। फ्यूचर स्किल्स प्राइम कार्यक्रम एआई से जहां बड़ी संख्या में नौकरियों पर खतरा बताया जा रहा है। वहीं, यह मशीन लर्निंग विशेषज्ञ और सूचना सुरक्षा विश्लेषक बनने के अवसर भी लेकर लाया है। इसके लिए सरकार भी युवाओं को ट्रेनिंग दे रही है। इसमें एआई से जुड़े 119 पाठ्यक्रम शामिल हैं। अब तक 1.27 लाख से अधिक युवा प्रशिक्षित हो चुके हैं। 1236 सरकारी अधिकारियों व 292 प्रशिक्षकों को एआई में प्रशिक्षित किया जा चुका है। वहीं, देश के 2552 स्कूलों के 2536 शिक्षकों को एआई के बुनियादी ज्ञान की जानकारी दी गई है। विकास के लिए एआई नेशनल ई-गवर्नेस डिवीजन व एमईआईटीवाई ने एआई कार्यक्रम शुरू किया। इसके तहत कक्षा 8 से 12 तक के स्कूली छात्रों को एआई तकनीक और सामाजिक कौशल प्रदान किया जाना है।
किताबों से पढ़ें हिंदी
जहां एक तरफ टीचर्स से लेकर स्टूडेंट तक को एआई से जुड़ी जानकारी दी जा रही है। वहीं उन्हें ये भी बताया जा रहा है कि हिंदी भाषा से जुड़ी जानकारी देने में एआई अभी पीछे है। क्योंकि इंगलिश की तो उसे अच्छी जानकारी है पर कई बार वह हिंदी में आधी अधूरी जानकारी दे देता है। ऐसे में स्टूडेंट को हिंदी के विषय चैट जीपीटी और एआई से न पढ़कर किताबों से ही पढऩा चाहिए। बात करें हिंदी विषय में स्टूडेंट की रुचि की तो बीएचयू में हर साल हिंदी पढऩे वाले स्टूडेंट की संख्या 10 परसेंट बढ़ रही है।
ऐसे पढ़ सकते हैं एआई से हिंदी
सीबीएसई स्कूल्स में बच्चों को कई चीजें हिंदी विषय की एआई से पढ़ाई जाती हैं। जैसे छोटी क्लास यानी एलकेजी से पांचवी क्लास के स्टूडेंट को हिंदी के कई ऐसे शब्द दिए जाते हैं, जिसका अर्थ उन्हें चैट जीपीटी से खोज कर लाना होता है। ये उन्हें होमवर्क में दिया जाता है। जिससे छोटी क्लास से स्टूडेंट की हिंदी मजबूत हो। वहीं, सिक्स क्लास से 12वीं क्लास के स्टूडेंट को साहित्यकारों के बारे में एआई के माध्यम से जानकारी जुटाने को कहा जाता है और असाइमेंट बनाने में भी स्टूडेंट एआई की मदद ले सकते हैं।
बनारस के इन साहित्यकारों से मिली हिंदी को पहचान
- भारतेंदु हरिश्चंद्र
- मुंशी प्रेमचंद
- जयशंकर प्रसाद
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल
- पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी
- नामवर सिंह
हिंदी दिवस-2024 की थीम
हिंदी दिवस 2024 की थीम की बात करें तो मॉडर्न टेक्नोलॉजी से जोड़ते हुए इसे तैयार किया गया है। इसमें इस बार की थीम (हिंदी पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक ) पर आधारित है। इस साल की थीम हिंदी के महत्व को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई टूल्स) को जोड़ती है। हिंदी भाषा को एआई से जोडऩे पर इसे केंद्रित किया गया है।
हिंदी को बढ़ावा देने के लिए ये कर रहे प्रचार
नागरीय प्रचारिणी के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ला ने बताया, हिंदी से ही हमारा गौरव है। इसे बढ़ावा देने के लिए कई स्कूल्स और कॉलेज में जाकर हिंदी के महत्व को बताता हूं, जिससे आने वाली पीढ़ी हिंदी भाषा को अपनाए। बीएचयू के हिंदी विभाग के प्रोफेसर श्रीप्रकाश शुक्ल ने बताया, इन कुछ सालों में स्टूडेंट की रुचि हिंदी की ओर बढ़ी है। क्योंकि कई सांइस स्ट्रीम के स्टूडेंट भी हिंदी की किताबें पढऩे के लिए लेकर जाते हैं।
वर्जन
आज हम हिंदी भाषा में ही हर सेक्टर की जानकारी एआई से ले सकते हैं। हिंदी के प्रति स्टूडेंट की रुचि भी बढ़ी है। तभी तो हर साल 10 परसेंट अधिक एडमिशन हिंदी विभाग में हो रहे हैं।
श्रीप्रकाश शुक्ला, प्रोफेसर, हिंदी विभाग, बीएचयू
हिंदी को बढ़ावा देने के लिए स्कूल्स कॉलेज में जाकर बच्चों को हिंदी के महत्व के बारे में बताते हैं, जिससे आने वाली पीढ़ी हिंदी भाषा के महत्व को समझे और इस धरोहर को आगे बढ़ाए।
व्योमेश शुक्ला, प्रधानमंत्री, नागरीय प्रचारिणी लाइब्रेरी
स्कूल में स्टूडेंट को एआई से होमवर्क करने के लिए कहा जाता है, जिससे वह हिंदी के कई शब्दों के अर्थ समझते हैं और इससे उनकी हिंदी भी मजबूत होती है। साथ ही हिंदी बुक्स को रीड भी कराया जाता है।
अनुपमा मिश्रा, प्रिंसिपल, सनबीम स्कूल, लहरतारा
क्लास में बच्चों को एआई से पढ़ाई करने की ट्रेनिंग दी गई है। अब उन्हें पता है कि वह कैसे उससे पढ़ाई में सहायता ले सकते हैं। लेकिन इसके साथ ही उन्हें एआई के नुकसान भी बताए गए हैं।
सुधा सिंह, प्रिसिंपल, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल