वाराणसी (ब्यूरो)। चोलापुर के दानगंज चौकी क्षेत्र में तेज रफ्तार स्कूल वैन टायर फटने की वजह से सूखी नहर में पलट गई थी, जिससे सात बच्चे घायल हो गए थे। रोहनिया के राजातालाब के पास उतरते समय बच्चा उसी स्कूली वैन की चपेट में आ गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। मंडुवाडीह मार्ग पर स्कूली बच्चों से भरे ई-रिक्शा को तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी, जिससे तीन मासूम घायल हो गए। ये घटनाएं पुरानी हैं, लेकिन यह बता रही है कि ई-रिक्शा, ऑटो, वैन से अपने लाडले को स्कूल भेजना कितना रिस्की है। बावजूद इसके शहर की हर सड़कों पर सुबह-सुबह स्कूली बच्चों को लेकर ई-रिक्शा, ऑटो व वैन दौड़ते दिख जाएंगे। गंभीर सवाल यह उठता है कि परिवहन विभाग स्कूल के अन्य वाहनों की जांच करता है। मगर इन वाहनों की जांच नहीं होती। वैसे भी ये वाहन स्कूली बच्चों के लिए अलाउड नहीं हैं, फिर भी संबंधित विभाग आंखें बंद किए रहते हैं।
ठूंस-ठूंस कर बैठाते हैं बच्चे
बनारस की सड़कों पर पाबंदी के बावजूद वैन और मैजिक बच्चों को ठूंस-ठूंसकर भरकर फर्राटा भर रही हैं। शनिवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने पाया कि वैन में क्षमता से अधिक 20 से 22 बच्चों को बैठाया गया था। भीषण गर्मी में बच्चे पसीने से तर-बतर थे। हवा लेने के लिए कई बच्चे बार-बार अपने चेहरे को वाहन से बाहर निकाल रहे थे। इस वाहन के इर्द-गिर्द तेज रफ्तार गाडिय़ां भी निकल रही थीं। यह सब बड़ा लालपुर, मंडुआडीह, पहडिय़ा, मैदागिन आदि में देखने को मिला। अब सवाल उठता है कि इस तरह के वैन के सफर पर बैन कौन लगाएगा। जाम की वजह बन चुके ई-रिक्शा बेरोकटोक स्कूली बच्चों को ढो रहे हैं।
12 सीटर से ऊपर वाले वाहन ही मान्य
वाराणसी परिवहन विभाग ने 12 सीटर से ऊपर वाले वाहनों से ही बच्चों को घर से स्कूल लाने-ले जाने अनुमति दी है। बावजूद इसके शहर की सड़कों पर स्कूली बच्चों को ढोने वाले वाहनों की भरमार है। इसमें ई-रिक्शा सबसे खतरनाक साधन है। बावजूद इसके स्कूल पहुंचने वाला हर पांचवां व्हीकल ई-रिक्शा ही मिला। घर से स्कूल तक बेधड़क, बेखौफ होकर ये ई-रिक्शा आते-जाते दिखे। अधिकतर ई-रिक्शा की स्टेयरिंग अनाड़ी और नाबालिगों के हाथों में दिखी। वैन वाले तो ड्राइविंग के दौरान मोबाइल पर बातचीत करते मिले।
पेरेंट्स कमेंट
सुबह के समय सड़कें खाली रहती हैं और स्कूली वैन तेज गति से दौड़ती हैं। इनकी लापरवाही से छोटी-छोटी दुर्घटनाएं हर दिन होती हैं। बच्चों के लिए बस ही बेस्ट है।
- डॉ। सुनील कुमार, पंचक्रोशी
मजबूरी में पेरेंट्स मैजिक व स्कूली वैन से अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं, लेकिन इनकी रफ्तार पर पुलिस को कंट्रोल करना चाहिए। शहर में जगह-जगह पुलिस चौकी और थाना मौजूद हैं।
- सुमन सिंह, कैंटोनमेंट
मैजिक व स्कूली वैन में बच्चों को भूसे की तरह ठूंसकर ले जाना गलत है। यह तस्वीर हर दिन देखने को मिलती है, जिसे देखकर अक्सर डर भी लगता है।
- अनिता शर्मा, घौसाबाद
सरकार को बच्चों के लिए फ्री बस सर्विस देनी चाहिए। कई देशों में इस तरह की सुविधा है, लेकिन यहां तो एजुकेशन की आड़ में कारोबार होता है।
- उपमन्यु सिंह, शिवपुर
ई-रिक्शा से छोटे बच्चों को स्कूल भेजना काफी रिस्की है। हालांकि, स्कूल वाहनों के ड्राइवर अच्छे व केयरफुल होते हैं। अभिभावकों को बच्चों को ई-रिक्शा से नहीं भेजना चाहिए।
- वंदना जायसवाल, चेतगंज
भागमभाग भरी जिंदगी में पेरेंट्स के पास कम ऑप्शन हैं। कुछ लोग कम किराए के चक्कर में ई-रिक्शा या अन्य असुरक्षित वाहन से भेजते हैं। सभी बच्चों के लिए बस की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- संगीता विश्वकर्मा, सामनेघाट
वैन में क्षमता से अधिक बच्चों को नहीं बैठा सकते। यदि यह हो रहा है तो गलत है। उडऩदस्ते को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। आरटीओ में सिर्फ 12 सीटर से ज्यादा के वाहन ही रजिस्टर्ड हैं।
-श्यामलाल यादव, एआरटीओ
---------
यह दिखती है लापरवाही
- वैन में कोई फायर एक्सटिंग्विशर नहीं होता।
- वाहन पर कोई हेल्पलाइन नंबर नहीं लिखा होता।
- फिटनेस और प्रदूषण प्रमाणपत्र नहीं होते।
- खिड़की के शीशे के बाहर जाली नहीं लगाते।
- स्पीड कंट्रोल डिवाइस नहीं लगाई जाती।
- लोकेशन के लिए जीपीएस नहीं लगाया जाता।
-पुलिस के वेरिफिकेशन का सर्टिफिकेट नहीं होता।
- ड्राइवर के पास डीएल है, इसकी जानकारी नहीं होती।
- ड्राइविंग के समय गाने बजाए जाते हैं।
- निर्धारित संख्या से ज्यादा बच्चों को बैठाते हैं।
- ड्राइविंग के दौरान वाहन चालक मोबाइल पर बात करते हैं।
जरूरी फैक्ट
10 किमी। परिधि में 300 से अधिक निजी स्कूल
03 हजार की संख्या में वैन बच्चों को ले जा रही हैं
50 वाहन ही इस तरह के आरटीओ में हैं पंजीकृत
700 रुपये प्रति स्टूडेंट तक किराया वसूलते हैं वैन वाले
05 हजार ई-रिक्शा स्कूली बच्चों का साधन बने
10 से 12 बच्चे बैठाकर सुरक्षा से कर रहे खिलवाड़