वाराणसी (ब्यूरो)। बारिश का पानी शहर में जगह-जगह लगने लगा हैइस कारण मच्छरों के प्रकोप के साथ ही लार्वा भी पनपने रहे हैं, लेकिन इनकी रोकथाम के लिए फॉगिंग की व्यवस्था सिर्फ कागजों में चल रही हैवहीं, लार्वा को रोकने के लिए सिर्फ सतही तौर पर केमिकल का छिड़काव कर कोरम पूरा किया जा रहा हैलार्वा को मारने के लिए जो केमिकल का छिड़काव किया जाता है, उसकी मात्रा इतनी कम रहती है कि लार्वा मरता नहीं बल्कि रुके हुए पानी में बना रहता है

फॉगिंग से भी नहीं मरते लार्वा

नगर निगम या हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से मच्छरों के प्रकोप को रोकने के लिए फॉगिंग की जाती है, जिससे मच्छर नहीं मरतेहां, क्षणिक राहत जरूर मिल जाती है, लेकिन धुंआ खत्म होते ही मच्छरों का प्रकोप फिर बढ़ जाता हैकालोनी, मोहल्ले से लेकर गलियों में मच्छरों के प्रकोप से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है

फॉगिंग की 7 कंप्लेन

जुलाई में नगर निगम के कंट्रोल रूम में 7 कंप्लेन आई हैंइसके पीछे बड़ी वजह नगर निगम के अधिकारी बारिश का होना बता रहे हैंबारिश के चलते शहर में फॉगिंग नहीं हो पा रही हैबारिश रुके तो कॉलोनी, मोहल्लों के घरों में फॉगिंग कराई जाए

दो केमिकल का छिड़काव

नगर निगम और हेल्थ डिपार्टमेंट मच्छर और लार्वा को मारने के लिए जो केमिकल का इस्तेमाल करते हैं, वह टेमीफॉस और मेलाथियॉन हैमच्छरों के लार्वा को मारने के लिए टेमीफॉस का छिड़काव करते हैंवहीं, मेलाथियॉन डीजल में मिलाकर कॉलोनियों और मोहल्लों में फॉगिंग करते हैंडीजल में केमिकल की मात्रा कम होने से इसका असर मच्छरों पर कम होता हैयही वजह है कि मच्छर मरते नहीं हैंनगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि 5 लीटर डीजल में सिर्फ 0.5 एमएल टेमीफॉस केमिकल मिलाते हैंइसके चलते मच्छर नहीं मरते हैंअगर प्रॉपर तरीके से केमिकल को मिलाया जाए तो मच्छरों का प्रकोप खत्म हो जाए

निगम के पास 100 हैंड मशीन

शहर में फॉगिंग के लिए नगर निगम के पास 100 हैंड मशीन और 8 व्हीकल मशीन हैं। 100 हैंड मशीनों से शहर के सौ वार्डों में फॉगिंग किए जाने का निर्देश है, लेकिन कुछ समय तक फॉगिंग कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता हैहैंड मशीन की क्षमता सिर्फ 25 मिनट तक फॉगिंग करने की हैजबकि व्हीकल मशीन की क्षमता 1 घंटे की हैइसलिए ज्यादा समय तक शहर में फॉगिंग नहीं हो पातीएक राउंड फांिगंग करने के बाद मशीनों को रख दिया जाता है

5 लीडीजल, 1 लीपेट्रोल की क्षमता

हैंड मशीन में 5 लीटर डीजल और 1 लीटर पेट्रोल भरने की क्षमता होती हैइसके लिए 0.5 एमएल टेमीफॉस केमिकल मिलाया जाता हैइसके बाद फॉगिंग की जाती हैव्हीकल मशीन में 30 लीटर डीजल, 5 लीटर पेट्रोल और 100 ग्राम केमिकल मिलाकर फॉगिंग की जाती हैएक घंटे फॉगिंग करने के बाद मशीन को बंद कर दिया जाता हैनगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉप्रदीप शर्मा का कहना है कि 108 फॉगिंग मशीन से समय-समय पर फॉगिंग होती रहती है, चाहे मरीज मिले या नहीं मिलेंहम पखवाड़ा बनाकर फॉगिंग करते रहते हैं

सिर्फ सड़कों पर होती फॉगिंग

नगर निगम के कर्मचारी पब्लिक की डिमांड पर सिर्फ मेन सड़क, पॉश कॉलोनी और प्रमुख मोहल्ले में फॉंिगंग कर चले जाते हैंजबकि जमा जल, झाड़ी और झंखाड़ में फॉगिंग भी नहीं करते हैं

फैक्ट एंड फीगर

108 फॉगिंग मशीन हैं नगर निगम के पास

100 हैंड मशीन हैं निगम में

08 व्हीकल मशीन हैं

फॉगिंग का समय

- हैंड मशीन में 5 लीटर डीजल व 0.5 एमएल केमिकल भरकर 25 मिनट तक कर सकते हैं फॉगिंग

- व्हीकल मशीन में 30 लीटर डीजल व 100 ग्राम केमिकल मिलाकर 1 घंटे तक फॉगिंग करने की क्षमता होती है

केमिकल की खासियत

टेमीफॉस केमिकल : लार्वा मारने के लिए करते हैं छिड़काव

मेलाथियॉन केमिकल : मच्छरों को मारने के लिए करते हैं फॉगिंग

डीजल में मेलाथियॉन केमिकल मिलाकर फॉगिंग की जाती हैअगर केमिकल की मात्रा सही हो तो मच्छर मरते हंैकर्मचारी डीजल की मात्रा भी कम रखते हैं और केमिकल भी प्रॉपर तरीके से नहीं मिलाते हैं

- डॉएसएस कन्नौजिया, डिप्टी सीएमओ

बारिश के चलते शहर में फॉगिंग की प्रक्रिया रुक जा रही हैबारिश खत्म होते ही प्रॉपर तरीके से कॉलोनी व मोहल्लों में फॉगिंग कराई जाएगीऐसे भी पब्लिक की डिमांड के अनुसार फॉगिंग कराई जाती है

  • डॉपीके शर्मा, नगर स्वास्थ्य अधिकारी